माही की गूंज, काकनवानी।
काकनवानी पलवाड क्षेत्र के समीपस्थ बड़ा बाजार थांदला लगता है। जहां दशमी को भव्य रुप से दशहरा मेला लगता है एवं रावण दहन होता है। जहां पलवाड क्षेत्र की सारी जनता थांदला रावण दहन देखने के लिए जाती हैं। जिस कारण से नन्हे मुन्ने बच्चो के उत्साह को देखते हुए इस क्षेत्र में रावण दहन दशहरे को न करते हुए ग्यारस को किया जाता है। ग्यारस के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। जिससे आमजन के मन मे भी यह साफ है कि, भ्रष्टाचार रूपी बुराई को खत्म करने के लिए किसी विशेष दिवस की आवश्यकता नही है उसे जब चाहे खत्म कर अच्छाई की जीत हांसिल की जा सकती है।
अक्सर हमने देखा है कि, कोई भी कार्यक्रम हो चाहे धार्मिक हो यह सामाजिक को या और भी कोई गांव के हित में हो, कार्यक्रम करने वाले बड़े-बड़े आयोजको में कहीं न कहीं अहंकार छुपा होता है या सिर्फ अपने को बड़ा दिखाने के लिए कार्य में आगे आना और स्टेज पर फूल माला और पगड़ी पहनने की लालायित होती है। लेकिन नन्हे-मुन्ने बच्चों को न तो कोई अहंकार होता है और न ही कोई फूल माला या पगड़ी पहनने की लालच होती है। अक्सर खुशी और उत्साह में नन्हे मुन्ने बच्चे हर कार्य को करने में मददगार हो जाते हैं। जो कार्य बड़े-बड़े आयोजक नहीं कर सकते वह कार्य छोटे-छोटे बच्चे कर दिखाते हैं। ऐसा ही वाकया काकनवानी में अक्सर देखने को मिलता है। पिछले दिनों गणेश उत्सव मनाने के लिए मीटिंग की गई, जिसमें काफी मात्रा में बच्चे भी एकत्रित हुए बच्चों का उत्साह देखते हुए। बड़ों ने बच्चों की ही एक समिति गठित करी और उन्हीं में से एक को अध्यक्ष बनाया और इसी कार्यकारिणी ने बड़े धूमधाम से गणेश उत्सव मनाया। इन 10 दिनों में अलग-अलग सजावट की गई और अंतिम दिन झांकी बनाकर ढोल नगाड़ों के साथ गणेश जी विसर्जन किया। इसके पश्चात नवरात्रि महोत्सव मनाने के लिए बड़ों-बड़ों की समिति तो गठित की गई लेकिन बच्चों का उत्साह देखते हुए उनकी भी एक समिति गठित की गई, जिन्होंने रोजाना गरबा पांडाल में साफ सफाई, स्टेज लगाना, कुर्सियां लगाना, माता जी की पूजा पाठ करना, देख-रेख करने एवं पेयजल की व्यवस्था भरपूर की।
12 फीट का बनाया रावण
गुरुवार ग्यारस को रावण दहन की तैयारी को लेकर बच्चों ने 2 दिनों तक काफी मेहनत कर दुकानों से पटाखे बटोरे एवं रावण बनाने के लिए कपड़े एवं बास की व्यवस्था की सारी तैयारियां कर बच्चों ने 12 फीट का बहुत ही शानदार आकृति देकर रावण बनाया। बड़े उत्साह के साथ ढोल धमाके एवं आतिशबाजीयों के साथ रावण दहन किया गया। इन सभी कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका विघ्नहर्ता गणेश मंडल के अध्यक्ष वेदांश पंचाल, उपाध्यक्ष अभिनव पंचाल, सचिव प्रिंस डामोर एवं कोषाध्यक्ष प्रिंस पंचाल एवं मित्र मंडल की रही।