माही की गूंज, थांदला।
रविवार को आजाद अध्यापक शिक्षक संघ मध्यप्रदेश के प्रांतीय आह्वान पर एवं प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल के निर्देशानुसार सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के प्रत्येक ब्लाक में संघ की बैठकों का आयोजन कर अध्यापक शिक्षक संवर्ग की प्रमुख प्रांतीय मांगों, क्रमोन्नति, समयमान वेतन, पुरानी पेंशन, ग्रेच्युटी, अनुकंपा, गुरुजी वरिष्ठता, पद्दोन्नती सहित विभिन्न मांगों एवं स्थानीय समस्याओं को लेकर पूरे प्रदेश में आर पार के आंदोलन को लेकर कठोर रणनीति बनी।
इसी कड़ी में आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के थांदला ब्लाक की बैठक बैठक प्रभारी जवानसिंह बारिया प्रदेश संगठन मंत्री की अध्यक्षता में जिला संगठन मंत्री रोशनी मेड़ा एवं ब्लाक अध्यक्ष मिट्ठूसिंह गणावा की उपस्थिति में थांदला ब्लाक के सैकड़ों अध्यापक शिक्षक साथियों पदाधिकारियों की उपस्थिति में बैठक नई मंडी थांदला में सम्पन्न हुई। बैठक में गहन, मंथन, विचार विमर्श के बाद शिक्षकों में सरकार एवं विभागीय अधिकारियों के प्रति गहरा आक्रोश देखा गया। सरकार एवं विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली एवं शोषण दमनकारी नीतियों, आदेशों के खिलाफ अध्यापकों ने अक्रोशित होते हुए संगठन के बैनर तले एक स्वर में आर पार के आंदोलन का संकल्प लिया।
क्रमोन्नति/समयमान वेतन एवं पुरानी पेंशन को लेकर बहुत आक्रोश
बैठक में 2005 एवं उसके बाद नियुक्त अध्यापकों जिनके बारह वर्ष की सेवा अवधि 2018 में पूरी हो गई है उनमें बहुत आक्रोश देखा गया। शिक्षकों का कहना है कि, शिक्षकों की छोटी-छोटी कमियों पर कार्यवाही कर शिक्षकों का शारीरिक मानसिक शोषण करने वाले अधिकारियों एवं सरकार के नुमाइंदों ने जिनके ऊपर देश की शिक्षा व्यवस्था की बागडोर है उन शिक्षकों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। चार-चार वर्ष हो गए शिक्षकों के क्रमोन्नति /समयमान वेतन के आदेश जारी नही किए जा रहे है। जिससे 2005 एवं उसके बाद की भर्ती के शिक्षकों को सातवे वेतन की एरियार्श राशि भी आज तक प्राप्त नहीं हो रही है। विभागीय अधिकारी एवं बाबू लोगों ने नियमों में उलझा रखा है।
अध्यापक शिक्षक संवर्ग के हजारों साथी सेवानिवृत हो गए है एवं कई साथियों की मृत्यु हो गई है उनके परिवारों की बड़ी दयनीय स्थिति है। उन्हे सरकार को पुरानी पेंशन के दायरे में लाकर पेंशन नहीं दे रही है। जबकि देश के अन्य पड़ोसी राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है। गुरुजी वरिष्ठता का मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी वही हाल है, पद्दोन्नति के लिए शिक्षक तरस रहे है।
मूल कर्तव्य शैक्षणिक कार्य को छोड़ कर नित्य नए नए आदेश, नए-नए प्रयोग, नए-नए कार्य करवाकर प्रदेश में शिक्षा गुणावता का स्तर निम्न कर कमजोर, वंचित तबके को शिक्षा से दूर किया जा रहा है और आम जन में शिक्षकों की छवि को धूमिल किया जा रहा है। अधिकारियों की तानाशाही सरकार के हर आदेश में कुछ न कुछ विसंगति पैदा कर शिक्षकों को उन्हे मिलने वाले असली लाभ से वंचित किया जाता है, जिससे वो हमेशा आंदोलन एवं विभागों के चक्कर लगाता रहे। इस प्रकार की कई प्रादेशिक समस्याओं के साथ स्थानीय समस्याओं पर चर्चा हुई।
थांदला विकासखंड में विभागीय अधिकारियों एवं बाबुओं का हमेशा शिक्षकों के काम में लेट लतीफी करना एवं जानबूझकर नियमों का हवाला देकर परेशान करने की शिकायत सामने आई।
कई शिक्षकों ने बताया कि, जिन-जिन शिक्षकों ने संकुल के बाबुओं को सातवां वेतन सेवा पुस्तिका कोष लेखा से पारित करवाने के लिए पैसे दिए, उनका वेतन निर्धारण कर सातवे वेतन की एरियर्श राशि का भुगतान कर दिया। जिन्होंने पैसे नही दिए उन लोगों का वेतन निर्धारण कोष लेखा से पारित नहीं करवाया और वो लोग आज भी बार-बार आवेदन, निवेदन, ज्ञापन देने के बाद भी एरियर्श राशि से वंचित है। संबंधित द्वारा विरोध करने पर विभागीय कार्यवाही, जांच करने आदि की धमकी दी जाकर ठंडा कर दिया जाता है।
कई संकुलों में ट्रांसफर सीजन के दौरान आपसी मिली भगत से नियम विरुद्ध ट्रांसफर करवाकर उन्हें संकुलों एवं ब्लाक से रिलीव किया। कई विद्यालयों को शिक्षक विहीन किया और उन विद्यालयों का वित्तीय प्रभार अन्य लोगों दिया। अभी वहां की शैक्षणिक व्यवस्था अतिथि शिक्षक सम्हाल रहे है फिर भी अन्य शाला के शिक्षकों को उस शिक्षक विहीन शाला के लिए जहां पहले से अतिथि शिक्षक शैक्षणिक कार्य कर रहा है एवं प्रभार अन्य के पास है। ऐसी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर अन्य स्कूल के शिक्षक को भेजकर उस शिक्षक की मूल शाला के बच्चो के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्रकार के कई तुगलकी आदेश नियमों को ताक में रखकर जारी किए जा रहे है। विरोध करने पर दबाव, प्रभाव का उपयोग किया जाता है। ब्लाक के दिवंगत हुए कई शिक्षकों के परिजनों को आज दिनांक तक एनपीएस की राशि का भुगतान विकासखंड के किसी भीं संकुल में नही हुआ है। उनके परिजन परेशान है वर्षो गुजर गए पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। संकुलों में न प्राचार्य है, न बाबु है, सारी व्यवस्था राम भरोसे है। इस प्रकार की व्यवस्था से शिक्षक संवर्ग के लोगों को भारी, मानसिक, आर्थिक, शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे शैक्षणिक व्यवस्था भी प्रभावित होती है।
इस बैठक में ब्लाक से समस्त पदाधिकारियों एवं समस्त संकुलों के शिक्षकों एवं संगठन के पदाधिकारियों ने सैकड़ों की संख्या में उपस्थित होकर अपनी बात रखी।बैठक में विशेष रूम से दिव्यांग शिक्षक जोगसिंह मावी, कलसिंह वसुनिया, निकेश भूरिया, बाबूलाल लिमडिया आदि में भी काफी रोष दिखा एवं इन्होंने भी अपने हक अधिकारों के लिए सभी से आगे आने का विशेष आह्वान किया।