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आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी ये हालात...
20, Aug 2022 2 years ago

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लेटना तो ठीक बैठ भी नही सकते अस्पताल में, जगह-जगह गंदगी का आलम 

प्रसूता वार्ड की स्थिति और खराब, लाखो रुपए खर्च करने के बाद भी दयनीय स्थिति में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

माही की गूंज, झाबुआ/कल्याणपुरा।

        हम देश की आजादी का 75वां आज़ादी उत्सव मना चुके है। लेकिन आज भी हम आजाद नही है क्योकि करोड़ो  रुपए खर्च करने के बाद भी सरकारें वो सुविधाएं आमजन तक नही पहुँचा पा रही है जो 75 वर्ष में पहुँच जानी थी। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था धीरे-धीरे बेहतर होती जा रही है। सरकारी अस्पतालों में बढ़ती भीड़ के साथ सरकार और जिला प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं और साफ-सफाई की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि मरीज़ों को बेहतर सुविधाएं मिल सके। लेकिन उसके विपरीत जिले के कल्याणपुरा स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत भूतिया भवन की तरह पड़ी है। जहाँ इलाज करने के लिए मरीज और उनके परिजन जान जोखिम में डाल कर इलाज करवाने पर मजबूर है। यू तो कल्याणपुरा में नेताओ की कमी नही है लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की हालत पर जब बात आती है तो ये कहकर चुप हो जाते है कि, जैसी भी है गाँव मे डॉक्टर की सुविधा है और बीएमओ साहब उपलब्ध हो जाते है। लेकिन बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर खुद नगरवासियो को नगर क्लिनिक खोल कर बैठे निजी डॉक्टरों या फिर बहार इलाज के लिए जाना ही ठीक समझते है और सरकारी अस्पताल का उपयोग केवल इमरजेंसी के लिये छोड़ रखा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से लोग यहां बडी संख्या में पहुँचते है जो मजबूरी में अव्यवस्थाओ के बीच इलाज कराने के लिए मजबूर है।

लेटना तो ठीक बैठना भी मुश्किल, लाखो के खर्च की बंदरबांट

        अस्पताल की हालत इतनी दयनीय है कि, यहां लगे बेड पर मरीज का लेटना तो ठीक बैठना तक मुश्किल है। जगह-जगह गंदगी का आलम, पान गुटखे की पिक, कही जानवरों का मल, तो मरे हुए जानवर के पड़े होंना मामूली बात है। अस्पताल की दीवारों और छतों पर मकड़ी के जाले ही जाले बने हुए है। आखरी बार अस्पताल की सफाई कब हुई होगी ये भी नही पता चल पा रहा है। बेड पर बिछे चद्दर की हालत तो इतनी खराब है कि, पिछले 6 माह से शायद ही चद्दरों को धोया गया होगा। बदबू ओर अव्यवस्थाओ से परेशान मरीज ओर उनके परिजनों अस्पताल में कैसे समय बिताते है ये कहना भी मुश्किल है। जिले के छोटे से छोटे सरकारी अस्पताल तक आज की तारीख में साफ-सुधरे दिखते है, क्योंकि लाखो रुपये अस्पताल के मेंटेनेंस के लिए आते है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी सफाई, सहित अन्य व्यवस्थाओ के लिए एजेंसी ने काम ले रखा है। लेकिन यहां आने वाली राशि बंदरबांट के जरिए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है जिसके चलते अस्पताल की हालत खराब ही रही है।

इंफेक्शन का खतरा मरीज और परिजनों को 

        अस्पताल में लापरवाही का आलम बेड तक ही सीमित नही बल्कि पीने के पानी में लापरवाही, असुविधा, गंदे शौचालय, दुर्घटना में घायल मरीज़ों की ड्रेसिंग और साफ-सफाई वाली पट्टियों का यहां-वहां पड़े रहने के कारण मरीजों और उनके साथ आने वाले परिजनों को हमेशा इंफेक्शन का डर बना रहता है। कोरोना वायरस से बचने के लिए आसपास साफ-सफाई और इंफेक्शन से बचने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन कल्याणपुरा के सरकारी हॉस्पिटल में कोरोना सहित इंफेक्शन से होने वाली सैकड़ो बीमारियों को खुला निमंत्रण मिल रहा है। 

        अस्पताल में हो रही लापरवाही पर बीएमओ का कहना है कि, व्यवस्था सुधारने की पूरी कोशिश कर रहे है। पर उनकी बातों से लगता है उनका अधीनस्थ स्टाफ उनकी सुनता ही नही। जिस पर जिला कलेक्टर ओर जिला स्वास्थ्य अधिकारी को कार्रवाई करनी पड़ेगी।

प्रसूती वार्ड की स्थिति भी खराब 

        सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत बहुत बड़ा क्षेत्र इसके दायरे में आता है। इसलिए बड़ी संख्या में मरीज खास कर प्रसूता महिलाएं बड़ी संख्या में आती है लेकिन अस्पताल के प्रसूता वार्ड की हालत भी ऐसी ही है। जहॉ कई प्रसूताओं को नवजन्मे बच्चों के साथ बहार बरामदे में ही सोना पडता है। अव्यवस्था और लापरवाही यहाँ भी आसनी से देखी जा सकती है।

निजी प्रैक्टिस और बंगालियों डॉक्टरों के मज़े 

         ऐसा नही की नगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद ही एक मात्र इलाज की व्यवस्था है। यहां फैली अव्यवस्था का पूरा लाभ निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों ओर बंगाली डॉक्टरों द्वारा लिया जा रहा है। जो सुबह-शाम इस गाँव मे इलाज के नाम पर अपनी दुकान सजाते है और शाम को घर दूसरे शहर में चले जाते है। यहां निजी क्लिनिको पर मरीजों की भीड़ आसानी से देखी जा सकती है जो प्रशासन की मिली भगत ओर महीना बंदी के दम पर बेधड़क इलाज़ कर रहे है। जिले की अयोध्या कहे जाने वाले कल्याणपुरा नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बिल्कुल ही राम भरोसे है जहॉ जाने का मतलब जान जोखिम में डालना है। जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने जिले के अस्पताल को आइकॉन बनाने के लिए हर प्रकार की सुविधा ओर व्यवस्था कर रहे है, लेकिन जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्र पर साहब की कृपा दृष्टि कब होगी, जिससे नगरवासियों सहित क्षेत्र के ग्रामीणों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके।





अस्पताल के अंदर की व्यवस्थाओं के फोटो देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस प्रकार की लापरवाही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कल्याणपुरा में बरती जा रही है।


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