माही की गूंज, संजय भटेवरा।
झाबुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा में अप्रत्याशीत व ऐतिहासिक विजय के पश्चात मध्यप्रदेश की कमान शिवराज सिंह चौहान को न सोपते हुए शीर्ष नेतृत्व ने चौंकाने वाला निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री के रूप में चुना। शुरुआत में पार्टी हाई कमान के इस निर्णय को कई राजनीतिक पंडित ने प्रयोगवादी कदम बताया था कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ कार्य करना मोहन सरकार के लिए चुनौती पूर्ण था लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजनीतिक सूझबूझ और अपने कार्य शैली से सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण कर लिया। हालांकि एक वर्ष के कार्यकाल से पूरे कार्यकाल की तुलना करना कठिन है लेकिन फिर भी इस एक वर्ष में मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यों को ही आगे बढ़ाया है। लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटे जितना इस एक वर्ष की बड़ी उपलब्धि है जो कई वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करना और उनके साथ बेहतर तालमेल के साथ कार्य करना मोहन सरकार की उपलब्धि है। पूरे वर्ष में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के साथ कार्य करने की शैली मुख्यमंत्री को सर्वमान्य नेता साबित कर रही है और पर्ची वाले सीएम की छवि से बाहर निकाल रही है।
हाल ही में विदेशी दौरे पर लगभग 70 हजार करोड़ के निवेश का दावा किया जा रहा है। अब कितना निवेश होगा और मध्य प्रदेश को कितना लाभ मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बेहतर तालमेल डबल इंजन वाली सरकार का बेहतर मॉडल साबित हो रहा है। समय-समय पर केंद्रीय नेतृत्व का मध्यप्रदेश को अपेक्षित सहयोग मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा खींची गई लाइन को ही आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। ऐसे में यह भी है की मुख्यमंत्री श्री यादव की नई कोई ठोस कार्य योजना बिते इस 1 वर्ष में लागु नही हुई है।