माही की गूंज, बनी।
सरकार किसानों के विकास के बड़े-बड़े वादे करती है और आय दोगुना करने का वादा करती है मगर जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। इसका ताजा उदाहरण किसानों को यूरिया खाद की किल्लत से साबित होता है। किसानों से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्तमान समय गेहूं की बौवनी का चल रहा है और कुछ किसानों ने गेहूं की बोवनी कर दी है जिन्हें यूरिया खाद देने की आवश्यकता है। मगर हाल यह है कि किसान जब सरकारी संस्था रायपुरिया में यूरिया खाद लेने जाता है तो उसे खाद नहीं मिलता और तो और जिस जगह खाद का वितरण किया जाता है उस जगह दुकान की शटर भी नहीं खुली है और ना ही कोई कर्मचारी वहां मौजूद था। किसानों का कहना है कि, हम रात्रि में गेहूं को पानी पिलाने के लिए खेत पर जाते हैं और सुबह समिति पर यूरिया खाद लेने जाते हैं, मगर वहां खाद न मिलने पर हमें निराश होना पड़ता है। अपनी फसल को खाद देकर तैयार करने के लिए बाजार से ऊंचे दामों में 400 से 450 रुपए में खाद लेकर आना हमारी मजबूरी है। सरकार किसानों को दुगना फायदा देने की बात करती है। उनकी आई डबल करने की बात करती है। मगर किसानों को काला बाजार से यूरिया खाद उच्च दामों में लेने को मजबूर होना पड़ रहा है ऐसे में क्या किसान की आय दुगनी होगी...?
क्या कहते हैं किसान...
किसान पप्पू पाटीदार का कहना है कि, मैं यूरिया खाद लेने रायपुरिया सरकारी संस्था पर शनिवार और सोमवार दो दिन गया मगर संस्था पर खाद उपलब्ध नहीं है और संस्था 12:00 बजे तक खाद गोदाम बंद पड़ा था।
किसान नंदराम पाटीदार का कहना है कि, मैं खाद लेने रायपुरिया संस्था में गया था मगर संस्था पर नारायण पाटीदार अकेला था और उनका कहना था खाद अभी नहीं है ऐसी स्थिति में में बाजार से खाद लेने के लिए मजबूर हूं।
जब यूरिया खाद की जानकारी लेने के लिए एसडीम तनुश्री मीना को तीन बार मोबाइल से कांटेक्ट करना चाह मगर उनके मोबाइल पर रिंग जाने के बाद कॉल अन्य जगह फॉरवर्ड होना बताता है और बात नहीं हो पाती है।