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28 वर्ष के बाद भी भाजपा के हाथ खाली, कांग्रेस ने छठवीं बार भी जिला पंचायत पर जमाया कब्जा
30, Jul 2022 1 year ago

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जसवंत भाबोर के सहारे कांग्रेस ने पार की अपनी नैया, सोनल जसवंतसिंह भाबोर रही विजय

भाजपा के दावे परिणामों के बाद खोखले साबित हुए

माही की गूंज, झाबुआ।

        जिला पंचायत के चुनावों को लेकर शुक्रवार का दिन बहुत ही गहमा गहमी वाला रहा। सुबह से ही कलेक्टोरेट कार्यालय परिसर में कांग्रेस व भाजपा समर्थित कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। लंबी कशमकश और जद्दोजहद के बाद दोपहर में सामने आए परिणामों में कांग्रेस ने विजयश्री हासिल की तो भाजपा को 28 वर्ष बाद अब भी सूखा ही देखने को मिला। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद प्रत्याशी को लेकर लंबा मंथन चला। कांग्रेस ने एन वक्त पर शुक्रवार सुबह निर्णय लेते हुए सोनल जसवंतसिंह भाबोर को अपना प्रत्याशी घोषित किया। वहीं भाजपा ने श्रीमती गीता चौहान को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया था, श्रीमती चौहान कलसिंह भाबर गुट की मानी जाती है। जिला पंचायत सदस्यों के परिणाम आने के बाद स्थिति कुछ ऐसी थी कि कांग्रेस के 6, भाजपा के 6, जयस का एक तथा निर्दलीय एक प्रत्याशी विजयी रहे थे। इस स्थिति को देखते हुए यह माना जा रहा था कि एक निर्दलीय और एक जयस के सदस्य पर निर्भल करेगा कि जिला पंचायत पर किसका राज होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों के कयास भी लगभग इस जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष निर्वाचन में सही साबित हुए। क्योंकि एक निर्दलीय जो विजय हुआ था वह कांग्रेस का ही बागी था। इसलिए सीधे तौर पर उसे कांग्रेस का ही माना जा रहा था। एक जिला पंचायत सदस्य जो जयस का था, उसको देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि यहां उलट फैर हो सकता है। जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद दोनों ही दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को भूमिगत कर दिया था। जिसके बाद दोनों ही दलों द्वारा एक निर्दलीय व एक जयस सदस्य को अपनी ओर खींचने की कवायदें शुरू हो गई थी। मगर कांग्रेस के लिए एक खतरा और था वह थी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शांति राजेश डामोर। अपना टीकट कटने के बाद शांति राजेश डामोंर पार्टी से खफा चल रही थी। लेकिन कांग्रेस लम्बे प्रयासों के चलते शांति राजेश डामोर को मनाने में कामयाब हो गई। शुक्रवार को कलेक्टोरेट कार्यालय में स्थिति उस समय साफ हो गई जब झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया 6 कांग्रेसी सदस्यों के साथ अन्य दो बागी निर्दलीय व जयस सदस्य को लेकर मतदान करवाने कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंचे। बावजूद इसके भाजपा का यह दावा था कि जो दो सदस्य कांग्रेस खेमे के साथ अंदर गए है वे भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे और भाजपा 28 वर्ष के सूखे के बाद झाबुआ जिला पंचायत पर काबिज होगी। जब परिणामों की घोषणा हुई तो स्थिति स्पष्ट हो गई। जिला जनपद के 14 सदस्यों में से 8 ने कांग्रेस को अपना मत दिया तो 6 ने भाजपा को। इस तरह कांग्रेस जसवंतिंसह भाबर के सहारे अपनी नैया पार लगाने और जिला पंचायत पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल हुई। भाजपा को 28 वर्ष बाद भी सूखा ही देखने को नसीब हुआ।

उपाध्यक्ष भी कांग्रेस का

        जिला पंचायत अध्यक्ष पद के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाता देख एक-एक कर सारे भाजपाई धीरे से कलेक्टोरेट परिसर छोड़कर निकल लिए। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के बाद भाजपा नेताओं को इस बात का अंदाजा हो गया था कि यहां रूकने का अब कोई फायदा नहीं है। क्योंकि परिणाम वैसा ही आएगा जैसा अध्यक्ष के लिए आया है। उपाध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिए कांग्रेस ने पहले से तय अकमाल मालू डामोर को अपना प्रत्याशी घोषित किया जो कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर आए थे। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने उपाध्यक्ष पद के लिए बहादुर हटिला पर औपचारिक दाव खेला। यहां भी कांग्रेस को 8 और भाजपा को 6 मत मिले और उपाध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया।

डामोर को काटा, भाबोर को दिया मौका

        यूं तो पिछले 28 वर्षो से जिला पंचायत पर कांग्रेस का कब्जा है। स्वर्गीय कलावती भूरिया के जोबट विधायक बनने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की ही शांति राजेश डामोर की ताजपोशी हुई थी। अब जबकि पूर्व कार्यकाल में शांति राजेश डामोर जिला पंचायत अध्यक्ष थी, मगर इस बार उनका टीकट काटते हुए कांग्रेस ने थांदला क्षेत्र से जसवंतसिंह भाबोर की पत्नी सोनल भाबोर को अपना प्रत्याशी बनाया। नतीजा यह रहा कि शांति राजेश डामोर पार्टी से नाराज हो गई। जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष निर्वाचन के पहले उन्हे किसी तरह मना लिया गया।

कांग्रेस की डूबती नैया को मिला जसवंत का सहारा...?

        जिले की कद्दावर नैत्री कहे जानी वाली स्व. कलावती भूरिया को समर्पित कर जसवंत ने अपने इरादे सबके समक्ष रख दिये है। कलावती जिले की एक मात्र ऐसी नैत्री जिसकी कार्यप्रणाली से विरोधी भी प्रभावित थे। कांतिलाल भूरिया की राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक राजनीति में व्यस्तता जिले में कांग्रेस को जब गर्त में ले जाने लगी तो कलावती ने ही जिले में कांग्रेस की बूझती आग में जान फूंकी थी। ठेठ गांव खेड़े से लेकर जिला मुख्यालय एवं नगर स्तरीय नेताओं का कलावती के बंगले पर तांता लगा रहता था तो कलावती के ग्रामीणों के मध्य गहरी पेंठ का परिणाम ही था कि जिले के पंचायत चुनाव में कांग्रेस का क्षत्रप रहा। कलावती के जाने का ही परिणाम रहा कि झाबुआ जनपद जिसमें बराबरी की टक्कर थी के अध्यक्ष चुनाव में भाजपा सेंधमारी करने में सफल रही। जिले की चार जनपदों में भाजपा के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जिला पंचायत को लेकर चिंता थी किंतु अंतिम समय में कांग्रेस ने सोनल जसवंत भाबर का नाम अध्यक्ष के लिये सार्वजनिक कर ताबूत में आखरी कील ठोक दी और परिणाम सबके सामने है।

        बताते है, स्व. रतनसिंह भाबोर के पुत्र जसवंत भाबोर पिता के विधायक कार्यकाल के समय से सक्रीय कांग्रेस के नेता रूप में कार्यरत थे। मिलनसार व्यक्तित्व जो उन्हे पिता से विरासत में मिला था, के कारण वह अपने क्षैत्र में काफी लोकप्रिय भी है। इसके पूर्व कांग्रेस ने उन्हे थांदला नगर परिषद के अध्यक्ष पद हेतु अधिकृत प्रत्याशी बनाया जिसमें जसवंत भाबोर उनके पिता रतनसिंह भाबोर सहित शुभचिंतको एवं कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत भी की थी। चुनाव पूर्व राजनैतिक विश्लेषक जसवंत को नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी जीता हुआ बता रहे थे किंतु आखरी समय में भाजपा ने ही कांग्रेस में सेंधमारी कर कांग्रेस के विश्वसनीय नेताओं को बरगला लिया था। इस आशय के आरोप चुनाव पश्चात लगने भी लगे थे।

        त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव जिसमें अधिकांश विजय हुए जिला, जनपद सदस्यों की व्यक्तिगत मेहनत व लोकप्रियता पार्टी की अपेक्षा से ज्यादा रंग लगाई। श्रीमती सोनल जसवंत भाबोर भी अपने पति की छत्र छाया में मैदान में आई और अपने वार्ड के मतदाताओं का भरोसा जीत लिया। अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस तब और भी चिंतित हो गई जब जसवंत भाबोर के भाजपाई मंत्रियों के संपर्क में आने की खबरे बाहर आने लगी। हालांकि जसवंत भाबर को इससे पूर्व भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाकर मंत्री बनने वालों ने तलब किया। किंतु जसवंत ने हमेशा बाप-दादाओं से विरासत में पार्टी का कार्य मिला है पर अटल रहे। यही कारण रहा कि श्रीमती सोनल जसवंत भाबर जिसके लिये जिला पंचायत अध्यक्ष बनने हेतु कांग्रेस के अधिकांश तथा निर्दलीय जीते सदस्य भी अड़े हुए थे, जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गई।

जसवंत को संगठन की जिम्मेदारी देकर फिर खड़ी हो सकती है कांग्रेस

        लगातार गर्त में जा रही कांग्रेस के बड़े नेताओं पर हमेशा पूरे मन से समर्थन नही करने के आरोप लगते रहते है। कांग्रेस जिसके पास आज भी ऐसे नेताओं की भरमार जो खुद के दम पर अपने क्षैत्र के परिणाम प्रभावित करने की ताकत रखते है, किंतु न जाने क्यूं कांग्रेस चुनाव में ऐसे कांग्रेसी जांबाजो को जिम्मेदारी नही देती जो पार्टी के पक्ष में परिणाम लाने के लिये सक्षम है। यही कारण है कि हमेशा कमजोर रणनीति, घिसी पीटी कार्यप्रणाली कांग्रेस के कद्दावरों की मेहनत के बाद भी कांग्रेस रंग फीका ही रहता तो चुनाव परिणामों के पश्चात आरोप-प्रत्यारोप के दौर सतत जारी रहते। जोबट विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी ऐसे भिड़े थे कि बात पुलिस रिपोर्ट तक चली गई थी। खैर अभी जिले के कांग्रेस खेमे में जश्न है और यही से संगठन की बागडोर जसवंत के हाथ में सौपने का समय भी। हालांकि अहम कितना आड़े आएगा यह तो समय के गर्त में है किंतु जसवंत को नई जिम्मेदारी देकर कांग्रेस जिले में फिर से ताकतवर बनने के सपने संजो सकती है। इसके पूर्व विक्रांत भूरिया पर कांग्रेस भरोसा कर के देख चुकी है किंतु विक्रांत अंतिम पंक्ति तक जाने में आज भी असफल है। जसवंत जिसमें युवाओं को साधने की कला है तो वरिष्ठो को सम्मान देने का सलीका भी, परंतु इसकी पूछपरख पूर्व में कांग्रेस ने ना के बराबर की, और अब जसवंत की हवा जोरो से चली है तथा कलावती को जीत समर्पित कर स्व. भूरिया के पदचिन्हो पर चलने का संदेष जसवंत ने भी दे दिया। गेंद अब कांग्रेस आलाकमान के पाले में है, जो कांग्रेस में पनप रहे कोहिनूरों को खोजे तथा नए दायित्व के साथ एक बार पुनरू जिला कांग्रेस में नई जान फूंके ।

पैराशुट से उतरे भाजपा नेता नप गए

        इससे पूर्व भाजपा ने जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 01 से प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सबको अचंभे में डाल दियां। भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं के दबाव में एक नवनेता की माता को अपना अधिकृत प्रत्याशी उनके भाजपा कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर घोषित किया जो वर्षा ठेठ गांव खेड़े में मेहनत कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाते आए है तथा कई बार भाजपा इन्ही नेताओं की बेड़ी के सहारे विजय हुई है। पैराशुट नेता को अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने बाद भाजपा में विरोध के सुर उठने लगे किंतु पैराशुट के संरक्षक वरिष्ठो की धौंस के कारण भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता ज्यादा कुछ कर नही सके और बगावत कर चुनाव में उतर गए। अल्प जनाधार तथा भारी धनाधार के बल पैराशुट नेता ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव तो फतह कर लिया किंतु अब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये भाजपा ने इसी नवनेता पर भरोसा जता कर श्रीमती चौहान को अध्यक्ष के लिये खड़ा कर दिया। हालांकि माहौल भाजपा के पक्ष में जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव परिणाम पश्चात से नही रहा किंतु भाजपाईयों ने नवनेता की माता के लिये एड़ी चोटी का जोर जरूर लगाया। नवनेता की माता जिला पंचायत सदस्य चुनाव विजय होने पर सोशल मीडिया पर जमकर इनके संरक्षको की तारीफ के पुल भी बांधे गए किंतु जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पश्चात भाजपाई नवनेता उर्फ पैराशुट नेता पर भाजपा को भरोसा जताने की चर्चा जमीनी कार्यकर्ताओं में जारी है।




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