मूलभूत सुविधाओं से वंचित कलमोड़ा गांव, आजादी के इतने वर्षो बाद भी आखिर क्यों नही हो रहा समाधान
माही की गूंज, राणापुर।
ग्राम पंचायत कलमोड़ा आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। आज भी आम जनता को यहां काफी समसयाओं का सामना करना पड़ता है। कलमोड़ा हनुमान मंदिर रोड से आंगनवाड़ी तक 5 किलोमीटर तक कच्चा रोड गांव में आने जाने के लिए एक ही रास्ता है। जिस पर से 15 फलिए की लगभग 3 हजार से ज्यादा जनसंख्या परेशान है। फिर भी कोई जनप्रतिनिधी इस और ध्यान नही दे रहे है। यहां के ग्रामीण रोज कच्चे रास्ते से आना-जाना करते हैं बरसात के समय में ग्रामीण को बिना पुल के मार्ग से बहते पानी में निकलना पड़ता है। वही बच्चे स्कूल पहुंचने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते है, तो गांव में एंबुलेंस भी नही पहुंच पाती है। यहां के 3000 से अधिक ग्रामीण जन अब भला कैसे अपना जीवन यापन करते होंगे। बड़ी समस्या लेकिन समाधान फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है वर्षो से परेशान हो रहे ग्रामीण जनों के हित में हिन्दू युवा जनजाति संगठन 2021 से लगातार पहल कर रहा है। 2021 में झाबुआ दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री को हिन्दू युवा जनजाति संगठन ने आवेदन देकर समस्या से अवगत करवाया था। आश्वाशन भी मिला था, लेकिन आश्वाशन के बाद समाधान की कोई किरण तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी नही मिला आखिर क्यों...?
आपको जानकारी देते हुए ग्रामीणों के कुछ दर्द को बता दे कि, कलमोडा गांव को जोड़ने वाला यह पांच किलोमीटर का मार्ग है जिसमे दो नदियां आती है, वही 8 फलिए की आबादी यहा रहती है, जिन्हे नदियों को पार करके जाना होता है। बरसात के समय में अधिक पानी गिरने से पानी के तेज बहाव की वजह से नदी पर करना मुश्किल हो जाता है। जिससे ग्रामीण कई दिनों तक गांव से बाहर नहीं जा सकता है। वही कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो जाता है।
कई बड़ी मुश्किल के साथ ही इस मार्ग के कारण जान से भी हाथ धोना पड़ा
इस मार्ग के आवागमन बंद होने के कारण गावों के नागरिकों को समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है लेकिन कई आदिवासी यूवक-युवतियों के साथ कई हादसे भी हो चुके है। अभी कुछ दिन पहले ही एक गर्भवती महिला को पारा अस्पताल पहुंचना था लेकिन नदी के तेज बहाव के कारण समय पर महिला को अस्पताल नही पहुंचा पाए, वही समस्याओं के चलते महिला की जान चली गई। लेकिन फिर भी जिम्मेदार अभी मोन है किसी जनप्रतिंनिधी का इस और कोई ठोस बयान आपने नही सुना होगा। आखिर कब तक ऐसी समस्याओं में उलझे रहेंगे यहां के ग्रामीण।
सरपंच रूपसिंह मेड़ा
सरपंच रूपसिंह मेड़ा से हमने जब इस मामले में बातचित की तो उन्होंने बताया कि, यह मार्ग पांच किलोमीटर का है जहा दो नदी आती है। एक छोटी नदी स्वीकृत हो चुकी है, जिसको में जल्द ही बनवा दूंगा। वही जो बड़ी नदी है उसके लिए में केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया को आवेदन दे चुका हु। लेकिन अभी तक कोई कदम इस और नही उठाया गया है। साथ ही जो नदी स्वीकृत हुई है उसका बिल लगाना सरपंच रूपसिंह मेड़ा द्वारा बताया गया। लेकिन हमारे द्वारा उनसे जब बिल के फोटो के बारे में जानकारी ली गई तो वो जवाब नही दे पाए, साथ ही बात को पलटने लगे। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है की, स्वीकृत मार्ग होने के बाद भी क्यू नही बना पुलिया।
जनपद सीईओ संगीता गुड़िया
जनपद सीईओ संगीता गुड़िया ने बताया की मामला हमारे संज्ञान में है, वही विभाग द्वारा इस पर कार्य किया जा रहा है, मैं फिर भी इस और ध्यान देती हु और जल्द ही समस्या का समाधान करवाती हु।
जनप्रतिनिधि भाजपा युवा नेता व पंचायत सदस्य
भाजपा युवा नेता व पंचायत सदस्य वॉलसिंह मसानिया से भी इस मामले को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि, मार्ग को लेकर केबिनेट मंत्री दीदी निर्मला भूरिया से बात हुई है, उन्होंने कहा है विधायक निधि से इस मार्ग को स्वीकृत करवाना होगा मैं देखती हु।
भाजपा जिला अध्यक्ष भानू भुरिया
भाजपा जिला अध्यक्ष भानू भुरिया ने बताया कि, झाबुआ जिले में कई मार्ग है जिन्हे बनवाना है। मैं इस मार्ग को लेकर बहन निर्मला भूरिया से चर्चा करता हु ओर इसे जल्द स्वीकृत कर समस्या का समाधान हो ऐसा करता हु।
ग्रामीण भारत मेड़ा
ग्रामीण भारत मेड़ा ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि वर्तमान सरपंच के पिता पिछले 30 वर्ष से सरपंच पद पर है, वही फिलहाल वे है। लेकिन उसके बाद भी वो इतने वर्षो में नाले के ऊपर पुल भी नही बनवा पाए तो आखिर उन्होंने इतने वर्षो में विकास का क्या कार्य किया। इन समस्त नेता व जनप्रतिनिधियों को आम जनता की जान की परवाह नही है। केवल वोट की राजनीति करते है। हमारा निवेदन है हमारी समस्या का समाधान हो।
हिन्दू युवा जनजाति संगठन विजय मेड़ा
हिन्दू युवा जनजाति संगठन विजय मेड़ा ने बताया, लंबे समय से हम सभी इस समस्या से जूझ रहे है, हमने प्रभारी मंत्री को भी अवगत करवाया है, लेकिन आज अवगत करवाने के बाद 4 वर्ष बीत चुके है, फिर भी हमारी समस्या की ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। अब हम आक्रोश वश उग्र आंदोलन करेंगे व सरकार को चेतावनी देंगे।
बड़ा सवाल...
जब इस तरह की समस्या होती है, एक महिला की मौत लापरवाही और दुरस्त मार्ग को लेकर हो जाती है, फिर भी अधिकारी व जनप्रतिनिधि इस प्रकार के बयान देते है, तो जनता किसपे विश्वास करे। इतनी बड़ी समस्या के बाद भी समाधान नहीं हुआ। साथ ही परिजनों से अभी तक कोई जनप्रतिंधि मुलाकात के लिए नही पहुंचे। आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी झाबुआ जिले के समीप कलमोडा गांव को जोड़ने वाले पांच किलोमीटर के मार्ग का ना बनना, कही न कही सरकार की पोल खोल रहा है। सरकार बड़े बड़े दावे करती है, विकास की बात करती है, करोड़ों रुपए योजनाओं के नाम पर स्वीकृत करती है लेकिन धरातल पर मूलभूत सुविधाओं के लिए आदिवासी समाज जान गवा रहा है। 3000 से अधिक की जनसंस्ख्या है लेकिन इन्हें केवल वोट के लिए मान्य कर रखा है सुविधाओं के नाम पर इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं।
सरकार कहती रोजगार देंगे ग्रामीण नही चाहिए रोजगार रोड दे दो
सरकार कहती है हम रोजगार देंगे, लेकिन यहां के ग्रामीण कहते है हमे रोजगार नही हमे तो रोड दे दे जिससे हमारे बच्चो की जान बच जाए, गर्भवती महिलाएं अस्पताल पहुंच जाए। गांव से शहर मार्ग बन जाए तो हमारे जीवन उपयोगी सामान की खरीदारी हो जाए। बच्चे स्कूल पहुंच जाए उनका भविष्य उजव्व्ल हो, इसलिए हमे रोड दे दो।