मामला थांदला जनपद की ग्राम पंचायत परवाड़ा का
जिम्मेदार ग्राम पंचायत व सब इंजीनियर की मिलीभगत से नाली निर्माण मे भ्रष्टाचार कर के कर दी इतिश्री
माही की गूंज, खवसा।
मध्यप्रदेश सरकार आम जनता को मूलभूत सुविधाएं मिले इसी उद्देश्य के साथ शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में कई जगह शासकीय मद से मिलने वाली राशि से निर्माण कार्य करवाया जाता है। लेकिन निर्माण के वक्त निर्माण एजेंसी वह मॉनेटिंग करने वाले सब इंजीनियर की मिली भगत से शासन के पैसों की जमकर बर्बादी की जाती है या भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इसकी बानगी आप देख सकते हैं थांदला जनपद की ग्राम पंचायत परवाड़ा में। यहां दो माह पहले ही निम्न व घटिया स्तर का कार्य करके नाली का निर्माण किया गया। नाली में निम्न व घटिया स्तर का सरिया और सीमेंट व डस्ट चुरी का उपयोग निर्माण कार्य मे किया गया। जिसके कारण नाली में जो उच्च गुणवता के कार्य होना चाहिए था वह नहीं हो पाया। ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, स्थानीय व्यक्तियों को ठेका देकर पंचायत में कार्य करवाया उसमें भी निम्न व घटिया स्तर का माल मटेरियल लगाकर पंचायत ने शासन के पैसों की बर्बादी की गई है।
मिली जानकारी के अनुसार परवाड़ा ग्राम पंचायत के भेरूपाड़ा फलिया में 10 लाख से अधिक की नाली निर्माण का कार्य किया गया निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत थी जिसका कार्य गर्मी में ही शुरू किया गया था। नाली निर्माण पूर्ण हो चुका है आधे से अधिक इसका भुगतान भी हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि, यहां सब इंजीनियर साहब कभी भी मूल्यांकन करने नहीं पहुंचे हैं ना ही कभी नाली निर्माण को देखने ग्राम पंचायत व स्थानी ठेकेदार ने मनमर्जी अनुसार यह कार्य करके शासन के पैसों की बर्बादी की है। अगर इस नाली निर्माण की मटेरियल की लैब में टेस्टिंग की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। यहां सवाल यह है कि, इसकी जांच करें कौन...? यहां तो कहावत सिद्ध हो रही है कि जब बागड़ ही खेत को खाने लगे तो रखवाली करेगा कौन। यानि ग्राम पंचायती निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार करेगी तो कैसे कार्य होगा यह सहज जी अंदाज लगाया जा सकता है।
मामले में परवाड़ा ग्राम पंचायत के सचिव मानसिंह डामर से चर्चा की तो कहा कि, कार्य तो पूरा हो गया है अभी भुगतान बाकी है, बाकी जैसा भी कार्य हुआ है सही हुआ है।