माही की गूंज, बनी।
आज के युग में शिक्षा बहुत अनमोल है और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई प्रकार के जतन कर सीएम राइस, मॉडल स्कूल की स्थापना कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का बीड़ा उठाया हुआ है। मगर बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर अपने स्कूलों तक पहुंचाना पड़ रहा है।
बात करे ग्राम बनी की तो यहां का बस स्टैंड एक ऐसा बस स्टैंड है कि जहां से आसपास के 5 से 7 गांव के बच्चे पढ़ने के लिए रायपुरिया और पेटलावद जाते हैं। स्कूल पहुंचने का समय 10 बजे के लगभग का है, इस समय बस की सुविधा न मिलने पर बच्चे टेंपो के अंदर और ऊपर बैठकर स्कूल जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। पढ़ने के लिए मजबूर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर टेंपो की छत पर बैठकर स्कूल तक पहुंचने के लिए मजबूर है। मगर वर्षा के समय टेंपो के ऊपर बैठकर जाना मतलब जान जोखिम में डालकर ही स्कूल तक पहुंचना है। शासन को इस और और जल्द से जल्द ध्यान देकर स्कूल टाइम पर किसी बस को चालू करवाना चाहिए ताकि कल के भविष्य बच्चों के साथ जान से खिलवाड़ न हो सके।
ऐसे में एक सवालिया निशान प्राइवेट बस संचालकों के ऊपर भी खड़ा होता है जो स्कूल जाने के समय अपनी बसों को न चला कर समय में परिवर्तन कर अन्य किसी समय में चलते हैं। क्योंकि अगर उनकी बस उस रुट पर स्कूल के समय पर चलेगी तो स्कूल के बच्चे आधा किराया देकर ही उनके बसों की यात्रा करेंगे और ऐसे में वह किराया आधा ही देते हैं। यही कारण है कि, कोई भी बस मालिक स्कूल समय पर अपनी बसों को नहीं चलता है। शासन-प्रशासन को इस और ध्यान देना चाहिए और जिस भी बस का जो भी समय निर्धारित किया गया है उसे उस समय पर सुचारू रूप से चलवाना चाहिए। चाहे बस किसी की भी हो कल के भविष्य को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।