जिम्मेदारी और सरकारी नियम दोनों ताक पर, जिम्मेदारों की नहीं खुल रही नींद तो खनिज के अवैध परिवहन पर भी मूंदी आंखें
माही की गूंज, खवासा/भामल।
ग्रामीण अंचलों में सुगम एवं सरल रास्ते बनाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना इन दिनों भारी वाहन चलने से क्षतिग्रस्त हो रही है, जिस पर क्षमता से अधिक वजन लेकर डम्फर दौड़ रहे है। एक तरफ सरकार लाखों रुपए सड़कों पर इसलिए खर्च करती है ताकि आने-जाने वाले राहगीरों को किसी प्रकार की तकलीफ न हो और उन्हें गंतव्य तक पहुंचने में मददगार साबित हो। लेकिन कुछ ना समझो और सरफिरों की नादानी और अधिकारियों की मिली भगत का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी हुई सड़कों पर 8 टन से अधिक वजन के डम्फर बेरोक टोक से दौड़ रहे हैं और सड़क को छल्ली करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, इसमें सबसे बड़ा मसला खनिज विभाग का है। गीट्टी का अवैध परिवहन इन्ही सरकारी और सरपट दिखने वाली सड़कों के माध्यम से होता है। अधिकारियों को वैसे तो ध्यान होता ही नही है और होता भी है तो सिर्फ हाईवे पर, ऐसे में डम्फर चालक अधिकारियों की नाक के नीचे खुलेआम बेधड़क अवैध तरीके से गिट्टी राजस्थान की तरफ ले जा रहे हैं। जबकी कलेक्टर के साफ निर्देश है कि, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़कों पर किसी भी परिस्थिति में 8 टन से ज्यादा वजन के वाहन को न गुजरने दिया जाए। लेकिन कुछ विभागीय अधिकारियों ने कलेक्टर के आदेशों को भी खूंटी पर टांग दिया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन दिनों भामल होते हुए 3 किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा पर पाटन थाने के अंतर्गत पांणदा ग्राम में किसी सरकारी रोड का कार्य शुरू किया गया है, जिसमें भामल के ही मादलदा ग्राम पंचायत के कलदेला से गिट्टी क्रेशर मशीन से यह डम्फर भामल होते हुए राजस्थान की ओर दिनभर व रात के साए में निकल रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाणदा ग्राम में कोई रोड का कार्य या डेम ठेकेदार के माध्यम से शुरू हुआ व यह गिट्टी धड़ड़ले से ले जा रहा है। डम्फर राजस्थान पारसिंग है जिनका न राज. 18 जीए 5788 है जिससे अवैध तरीके से गिट्टी यहां से वहां जा रही है। जिस पर खनिज विभाग कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को इस और ध्यान देकर उनके ऊपर वेधानिक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़को को इस तरह से नुकसान नहीं पहुंचा जाए। ओवरलोड डम्फर धड़ल्ले से निकल रहे हैं लेकिन जिम्मेदार है की कार्रवाई से परहेज कर रहे है।
8 टन के रोड पर 40 टन का खेल
सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश वाहन की आवाजाही रात के अंधेरे में होती है ताकि कोई भी इन्हें रोक न सके। इसी कारण से 8 टन पासिंग रोड पर 40 टन के वाहन मदमस्त होकर चलते हैं और सड़कों की धराशाई कर देते हैं। गौरतलब है कि, पिछले कुछ दिनों से भामल-बेडावा मार्ग पर बना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से रोड पर अधिक ओवरलोड डंपर गुजर रहे हैं।
आखिर ग्रामीणों का क्या दोष
ग्रामीणों का कहना है कि, बहुत चक्कर काटने के बाद प्रशासन हमारे गांव में सड़क बनाता था ताकी आवागमन में कोई परेशानी न हो। लेकिन सड़क बन जाने के बाद बड़े और भारी वाहन का आवागमन शुरू हो जाता है जिससे सड़के खराब हो जाती है। अधिकारी और अवैध परिवन करने वालो की मिलीभगत का खामियाजा ग्रामीणों को सड़कों के खराब होने की वजह से भुगतना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि, अधिकारियों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए था कि अवैध परिवहन की वजह से सड़के खराब ना हो और शासन को चुना भी ना लगे।