एसडीएम दिसम्बर में की थी कार्यवाही, नए साल में रेत गायब
माही की गूंज, पेटलावद।
गत माह पेटलावद एसडीएम अनिल कुमार राठौर को, मंडी सचिव की और बालू रेत से भरे अवैध डंफर मंडी परिसर में खड़े होने एवं हेलिपेड़ को नुकसान पहुँचाने की शिकायत के बाद कार्यवाही करते हुए 11 दिसम्बर को मंडी के बहार से एक रेत भरा डम्फर जप्त किया। जबकि दो डम्फर चालक हेलीपेड के करीब रेत खाली करके भाग गए। जप्त डंफ़र थाना पेटलावद में खड़ा करवाया गया। जबकि दो डम्फर खाली हुई रेत का पंचनामा बनाया गया। जप्त रेत अचानक 2 जनवरी को सुबह मौके से गायब हो गई । बताया जा रहा 1 जनवरी की रात में जेसीबी ओर ट्रेक्टर के माध्यम से रेत उठाई गई। जप्त रेत किसने ओर किसकी अनुमति से उठाई इसकी कोई जानकारी नही मिली।
सबसे बडी बात रेत जप्त करने वाले एसडीएम अनिल राठौर से जब इस सम्बंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने इसकी कोई जानकारी नही होने की बात कहते हुए मामले को दीखवाने की बात कही । दो दिन बीत जाने के बाद भी ऐसी कोई जानकारी साहब की ओर से नही मिली जिससे ये पता चल सके कि जप्त रेत आखिर गई कहा...?
सोमवार की रात में जप्त रेत जेसीबी ओर ट्रेक्टर से उठाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद जागरूक नागरिक ने इसका वीडियो बनाया और पुलिस तक सूचना पहुचाई लेकिन पुलिस की ओर से रेत प्रशासन द्वारा जप्त करना और उनके द्वारा कार्यवाही करने की बात कहते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया।
एसडीएम की छवि हो रही धूमिल
आईएएस एसडीएम अनिल कुमार राठौर को पदस्थ हुए एक वर्ष से अधिक हो गया है लेकिन उन पर कोई गम्भीर आरोप नही लगे और उनकी साफ छवि के चर्चे भी राजस्व के गलियारों में हो रहे हैं। लेकिन जप्त रेत के रातों रात यू बीना उनकी जानकारी के गायब हो जाना सवालिया निशान लगा रहा हे। इस मामले में बाजार में, अधिकारियों की मिलीभगत की चर्चा आम हो रही हैं। शिकायत करने वाले मंडी सचिव को नही पता कि रेत किसकी अनुमति से उठाई गई।
अवैध रूप से चल रहे रेत के ठिये तो यहां भी हुई सेटिंग
नगर और नगर के आसपास एक दो नही कम से कम 15 से 20 रेत के अवैध ठिये संचालित हो रहे हैं। इसमें से ज्यादातर ठिये मुख्य मार्गो से लगे हुए है जिन पर रोज जवाबदारों का आना-जाना होता है जिसे ये अनदेखा कर निकल जाते हैं। अब बाज़ार में यही चर्चा है कि जब रेत के ठिये मिलीभगत से चल सकते हैं और रोज बिना रॉयल्टी के ओवरालोड रेत वाहन आ जा सकते तो इसमें कोनसी बड़ी बात है की जप्त रेत इन्ही ठिये वालो के माध्यम से मिलीभगत कर ठिकाने लगाई गई होगी। जप्त रेत के साथ जप्त डम्फर अभी भी थाने पर ही खड़ा है, ऐसे में खनिज विभाग द्वारा इसका कोई निराकरण हुआ इसकी संभावना भी कम है।