प्रधानमंत्री आवास की राशि बिना कार्य के ही आहरण करने वाला मंत्री बहाल, मृतक रोजगार सहायक पर फटा बिल
फर्जी रूप से निकाला भुगतान किया जमा, 18 हजार मजदूरी कहा गई साहब
माही की गूंज, पेटलावद।
जनपद पंचायत पेटलावद में फैले भ्रष्टाचार को अगर उजागर किया जाता है तो यहां भ्रष्टाचार पर कार्यवाही की जगह उसको दबाने ओर निपटाने के लिए उससे भी बड़ा भ्रष्टाचार किया जाता है । जनपद पंचायत पेटलावद की कारगुजारी एक बार फिर उजागर हुई है जहां बिना कार्य किये राशि आहरण करने के एक मामले में जबाबदारो ने राशि वसूल कर मामले को पुरानी परंपरा अनुसार खत्म कर दिया । मामला ग्राम पंचायत करडावद का है जहां प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि मे गबन का मामला सामने आया था । शिकायतकर्ता गोपाल आंजना द्वारा शिकायत के बाद पूरा मामला उजागर हुवा था और माही की गूंज द्वारा प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ खबरों के माध्यम से पूरा मामला उजागर किया गया था। शिकायतकर्ता को हर प्रकार के दिये प्रभोलन के बाद जब शिकायतकर्ता नही माना तो अधिकारीयो ने अपनी सेटिंग बिठा कर मामले को हवा कर दिया । पूरे मामले का खुलासा एक बार फिर सूचना अधिकार द्वारा निकाली गई जानकारी से हुवा है ।
ये था मामला
विकास खण्ड की ग्राम पंचायत करडावद में राजाराम आंजना के नाम से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुवा था लेकिन राजाराम ने ग्राम पंचायत से सेटिंग बिठा कर बिना निर्माण कार्य किये योजना की मिलने वाली राशि एक लाख बीस हजार ओर मजदूरी की राशि 18 हजार फर्जी जगह का जियो टैग कर हितग्राहि के खाते में डाल कर राशि की बंदरबाट कर ली । मामले की शिकायत के बाद अधिकारी इस मामले की जांच तक करने को तैयार नही थे और मामले को जैसे-तैसे रफा-दफा करने में जुट गए। गूँज द्वारा मामला उठाने के बाद बमुश्किल हुई जांच में आखिर भ्रष्टाचार उजागर हुवा ओर प्रधानमंत्री आवास की राशि मे बंदरबाट सामने आई ।
मामला दर्ज करने की मांग, थमाये थे कानूनी नोटिस
शासकीय राशि मे हेराफेरी उजागर ओर प्रमाणित होने के बाद शिकायतकर्ता ने शासकीय राशि के दुरुपयोग ओर अमानत में खयानत सहित पंचायत एक्ट के तहत 420 व अन्य धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की थी और इस सम्बंध में जिला कलेक्टर , जिला सीओ ओर जनपद सीईओ को कानूनी नोटिस भेज कर मामले में पुलिस प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग करते हुवे नियमानुसार कार्यवाही नही होने पर जिम्मेदार अधिकारीयो के विरुद्ध न्यायालीन कार्यवाही करने की बात कही थी।
बीच की गली निकाल कर दबा दिय्या मामला, मरे हुवे रोजगार सहायक पर फाड़ा बिल
इस प्रकार के सैकड़ों मामले पेटलावद जनपद में सामने आए हैं जिन्हें हमने उजागर किया है ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता से मिलीभगत कर मामले निपटा दिए जाते हैं और फर्जी भुगतान के मामले वसुली के नाम पर फाइलों में दब कर रह जाते है। जिम्मेदार सचिव उपयंत्री और सरपंच लेनदेन कर कारण बताओ नोटिस तक सीमित कर दिए जाते हैं । लेकिन इस मामले में शिकायतकर्ता के मजबूत होने के कारण अधिकारीयो ने पुलिस प्रकरण से भ्रष्ट कों बचाने के लिए बीच का रास्ता निकालते हुवे हितग्राही से एक मुश्त राशि शासन के खाते में डलवा कर भ्रष्टाचार का बिल इस पंचायत के रोजगार सहायक पर फाड़ दिया गया जो पहले से मर्त हो चुका है । ग्राम पंचायत के सचिव ने अपने कथन में बताया कि उसकी गैरमौजूदगी में उसके आईडी पासवर्ड का दुरुपयोग रोजगार सहायक ने कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। अब मर चुका रोजगार सहायक कैसे बताये की इस भ्रष्टाचार में उसकी क्या भूमिका थी।
एक बीस जमा तो मजदूरी के 18 हजार कहा गए
भ्रष्टाचार के इस मामले में फस चुके सरपंच, सचिव, हितग्राही सहित अधिकारीयो ने बचने के लिए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी रकम कुल एक लाख बीस हजार रुपये एक मुश्त शासन के खाते में जमा कर दिए। जिसका खुलासा आरटीआई में निकले दस्तावेजो से हुवा । अधिकारीयो ने हितग्राही राजाराम आंजना के खाते से एक लाख बीस हजार जमा किये जिससे ये साफ हो गया की किस तरह केंद्र की राशि की बंदरबांट की जा रही है पकड़े गए तो चोर नही तो सरकारी माल अपना ओर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों का साथ मिल जाये तो चोरी की राशि जमा करो और पाक साफ होंकर नोकरी पर बहाल हो जाओ । हालांकि योजना की कुल राशि का भुगतान एक लाख अठतिस हजार किय्या गया था। 18हजार का भुगतान फर्जी रूप से मजदूरों के खातों में किया गया क्योंकि जांच में साफ हो चुका था कि कोई काम किया ही नही गया तो मजदूरों का भुगतान कैसे हुवा। अधिकारीयो की कारिस्तानी साफ नजर आती है कि एक बड़ी रकम जमा करवा कर मामले को जैसे तैसे निपटाया गया हैं और बताया जा रहा है कि इसके लिए भी लेन देन किया गया।
बहाल हुवा सचिव
जांच के दौरान भ्रष्टाचार पाये जाने पर ग्राम पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया गया था । राशि जमा कर मंत्री साहब को वापस बहाल कर दिया गया। जिसे बड़े नियमो से किया गया।बकायदा सचिव ने बहाल होने के लिए जिला सीओ के समक्ष आवेदन पेश किया । जिस पर जिला सीओ ने जनपद सीईओ का प्रतिवेदन बुलाया । प्रतिवेदन में राशि जमा होने और म्रतक रोजगार सहायक द्वारा जियो टैग करना बता कर सचिव को मुक्त कर पुनः बहाल कर दिया गया। सबसे बड़ी बात जिला सीओ ओर जनपद सीईओ ने फर्जी मजदूरी भुगतान का कोई उल्लेख तक नही किया । जबकि शिकायतकर्ता ने ग्राम पंचायत में ऐसे और भी मामले होने की शिकायत की थी जिंसमे आधे अधूरे निर्माण को पूरा भुगतान और हितग्राही के पास पहले से मकान बना होने के मामले भी थे जिसकी जांच की जानी थी लेकिन अधिकारीयो ने अपनी जांच को केवल एक मामले तक सीमित कर मामला खत्म कर दिया।
अब आगे क्या ?
इस सम्बध में गूँज द्वारा शिकायतकर्ता गोपाल आंजना से चर्चा की तो उन्होंने ने बताया कि पूरे प्रकरण की प्रमाणित नकल प्राप्त कर ली हैं और वकील से कानूनी सलाह के बाद आगे की कार्यवाही जारी रखूंगा। पूरे मामले को देखने के बाद यही पता चलता है कि जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल किस कदर चल रहा है जहां मामलू चोरीयो के आरोप में कई लोग जेल में पहुँच जाते हैं या कानूनी प्रक्रिया में उलझ जाते हैं वही शासन द्वारा दी जा रही राशि को जनपद के अधिकारी ऐसे ही लुटा रहे है और पकड़े जाने पर कानून की किताब को अपने हिसाब से पड़ कर चोरों ओर शासकीय राशि उड़ाने वालो को एक ओर भ्रष्टाचार कर बचा लेते हैं। जनपद पंचायत पेटलावद की कई पंचायतों के फर्जी भुगतान के मामले वसुली के नाम पर अधिकारियों की धूल खा रहे हैं ये जिम्मदारो के खुले भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था को गुमराह करने का पुख्ता प्रमाण है।
हितग्राही के माध्यम से योजना की राशि एक लाख बीस हजार जमा करने की रसीद।
निलंबित सचिव द्वारा बहाली के लिए जिला सीओ को प्रस्तुत आवेदन।
सचिव के आवेदन पर जिला सीओ द्वारा जनपद सीईओ से मांगा प्रतिवेदन।
सचिव के पक्ष में भेजा गया प्रतिवेदन जिसके बाद मूल पंचायत में ही बहाल हुवा सचिव।