भवन की एक साइड की दीवार हुई धराराशाई कर्मचारियों को लगा रहता है डर
माही की गूंज, खवासा।
खवासा से 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत रन्नी के स्कूल फलिया के कस्बे मे आयुर्वेद चिकित्सालय भवन का बुरा हाल है। यह भवन काफी दयनीय स्थिति में है और जर्जर भी हो चूका है तो साथ ही एक साइड की दिवार भी ढह गईं है। फिर भी जिमेदार जिले के आला अधिकारी इस ओर कोई ध्यान ही नही दे रहे है, जिससे यह भवन आज भी खण्डर बना हुआ है। इसी में एक कंपाउंडर व एएनएम ग्रामीणों का इलाज करते है। विभागीय जानकारी के अनुसार यहां चार पद स्वीकृत है एक डॉक्टर का, एक कंपाउंड का, एक दवासास व एक एएनएम का, लेकिन अभी तक वर्तमान में यहां सिर्फ एक एएनएम पदस्थ हैं वह भी फील्ड में जाने का कार्य करते हैं। जब भी वह भी इस बिल्डिंग के अंदर अपना कार्य करते हैं तो उनको भी डर रहता है। काफी समय से यहां सभी पद खाली है लेकिन अब तक कोई भी नए पद में भर्ती नहीं हो पाई है, जिसके कारण आयुर्वेदिक औषधालय का संचालन भी सही नहीं हो पा रहा है।
बताते हैं कि, पूर्व में यहां डॉ. हरिकृष्ण अग्रवाल आयुष चिकित्सक के रूप में पदस्थ थे लेकिन उनकी सेवा निर्वती होने के बाद अभी तक यहां आयुष चिकित्सक की भर्ती भी नहीं की गई है, यह पोस्ट भी खाली है। सिर्फ एएनएम के भरोसे ही यहां का औषध्यालय चल रहा है। भवन काफी जर्जर हो चुका है और यहां पर लगया गया बोर्ड भी काफी जिर्ण शीर्ण अवस्था में है। एक तरफ स्वास्थ एवं शिक्षा कोई कमी नही आने दी जाएगी यह दावा किया जाता, लेकिन धरातल पर सबकुछ उलूट ही है अधिकारी कागजो में हरा हरा दिखा रहे है जमीनी स्थिति कुछ और ही है। जानकारी के अनुसार रन्नि ग्राम पंचायत की आबादी 5000 से अधिक है। इतनी आबादी आसपास पंचायत से मिलकर होने के बाद भी आयुष अस्पताल के हाल बेहाल है जिससे ग्रामीणों को सही से समुचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है।
सबसें पुरानी चिकित्सा पद्धति का दायरा बढ़ने के बजाय घट रहा है। कस्बे में मौजूद शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय की बिल्डिंग की हालत जर्जर हो चुकी है। और मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा है। आयुर्वेदिक औषधालय में रोजाना जोखिम उठाकर पदस्थ कंपाउंडर एवं महिला आयुर्वेदिक स्वस्था कार्यकर्ता मरीजों का उपचार करते हैं। जर्जर हो चुका भवनके दरवाजे खिड़कियां एवं भवन की दीवारें टूटी चुकी है व कोई दूसरी जगह न होने के चलते भी स्वास्थ कार्यकर्ता उसी भवन में बैठने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक बिल्डिंग की हालत देखकर हर समय खतरा बना रहता है। लोगों की माने तो सरकार हर बार बजट में स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों व सीएचसी केंद्रों को हाइटैक बनाने की बात कहती है। लेकिन थांदला तहसील के रन्नी आयुर्वेदिक औषधालय की हालत काफी दयनीय हो चुकी है। साथ ही सुधारने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे है। कस्बे में स्थित इस भवन की दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं। इटट्टे बहार दिख रही दरवाजा व शासकीय आयुष औषधालय का बोर्ड भी काफी पुराना हो चुका है। हर रोज क्षेत्र के 1 से 2 मरीज आयुर्वेद पद्धति से अपना इलाज कराने आते हैं। अस्पताल में बेड की सुविधा भी नही है।दो कमरों में अस्पताल संचालित होता है। तो साथ ही टेबल कुर्सी आदि टूटे हुए पर ही दवाई आदि रखी हुई है। उसके बाद भी विभाग इस बिल्डिंग से अनजान बना हुआ है। यहां कभी बड़ा हादसा हो सकता है।
कोराना काल मे आयुर्वेदिक गाड़ा भी काम आया था।
कोरोना काल के दौरान महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए आयुर्वेदिक पद्धति को काफी कारगर माना गया। आयुर्वेदिक दवाओं के साथ गाढ़ा का खूब इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद आयुर्वेदिक औषधालय के ऐसे हालता है।
मामले को लेकर जब जिले की आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रमिला चौहान से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि, मैं मीटिंग में व्यस्त हूं थोड़ी देर में आपको कॉल बैक करती हूं लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनका फोन नहीं आया।