एमडी डॉक्टर बनकर गांव का नाम करेगी रोशन, पिता के सपनों को किया साकार
माही की गूंज, बरवेट।
बेटा अगर दीपक है तो बेटी बाती। यह सिर्फ कहने की बात नहीं बल्कि हकीकत भी है। बेटा और बेटी को समान मानकर पढ़ा-लिखाकर कुछ करने के लिए प्रेरित करने वाले माता-पिता के सपनों को बेटियां साकार कर रही हैं। अपनी मेहनत और लगन के दम पर परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। कुछ ऐसा एक छोटे से गाँव की बेटी ने कर दिखाया है। पिता के सपनों को साकार करते हुए डॉक्टर बिटिया कहलाने लगी। आज माता-पिता अपनी बेटी को नाम से नहीं बल्कि डाक्टर एमडी बिटिया कहकर पुकारेंगे। कहते हैं कि यह तो हमारी शान है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं झाबुआ जिले के पेटलावद विकासखंड के छोटे से गाँव रामनगर के रहने वाले शिक्षक रामेश्वर पाटीदार की बेटी की। उन्होंने बेटा और बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए जी-जान लगा दी। नतीजा बेटी चिकित्सक बन गई। पिता के सपने को साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछले छह साल की कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई कर एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद शुष्मा पाटीदार के नाम के आगे डॉक्टर जुड़ गया। बेटी की सफलता से पूरा परिवार गदगद है। वहीं अब वह दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई हैं। वर्तमान में डॉ. शुष्मा पाटीदार रतलाम मेडिकल कालेज में सेवा दे रही हैं। साथ ही एमडी पैथालॉजी की डिग्री के लिए अध्यनरत थी ओर आज पोस्ट ग्रेजुएशन का रिजल्ट घोषित हुआ। जिसमें डॉ शुष्मा पाटीदार ने ऑलइंडिया रैक 36280 रेंक प्राप्त की ओर मुम्बई में पंडित मदन मोहन मालवीय शताब्दी गवरमेंट हॉस्पिटल में शिलेक्शन हुआ है। उनकी इस उपलब्धि पर क्षेत्र सहित सभी समाज जनों ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
हमेशा उत्साहित करते रहते है
पिता रामेश्वर पाटीदार बरवेट संकुल में शिक्षक है और सीएससी के तौर पर कार्यरत है। वे कहते है कि मेरी बड़ी बेटी शुरू से मेधावी थी ओर पढ़ाई में हमेशा अव्वल आती थी। शुष्मा का व्यवहार सबसे अलग है। वह सदैव अपने भाई बहन और मित्रो को पढ़ाई के प्रति उत्साहित ओर मदद करने को तैयार रहती है। आज उसके डॉक्टर बनने के बाद अभी परिवार रिश्तेदार ओर मित्रो सहित दर्जनों बच्चे कोटा में अध्ययन के लिए गए है।