अंचल के किसानों को अब गेहूं-चने की फसल के लिए मिल सकेगा भरपूर पानी
माही की गूंज, बरवेट।
रबी की मुख्य फसल गेहूं तथा चने की बुआई का कार्य शुरू होने को है। खेतों से नमी चटक चुकी है। नमी के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इस लिहाज से जिले के सबसे बड़े माही डेम से 05 नवंबर को नहरों के माध्यम से पानी छोड़ा जाएगा। इधर... नहरों की साफ-सफाई नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़नी स्वभाविक है।
दीपवाली के पहले हो जाएगी बुआई
एक माह के बाद दीपावली का पर्व के आ रहा हैं। ऐसे में माही परियोजना विभाग माही की मुख्य के नहरों से पानी छोड़ने के लिए दीपावली के पहले शेड्यूल बनाने की बात कह रहा है। ऐसे में नहरों की सफाई कब होगी। कब उनमें पानी छोड़ा जाएगा। कब गेहूं की बुआई होगी, यह बड़ा सवाल किसानों की ओर से है। गौरतलब है कि इस बार औसत से ज्यादा वर्षा हुई है। इस हिसाब से माही डैम में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पर्याप्त पानी है। जिससे इस वर्ष भी किसानों को गेहूं-चने के लिए भरपूर पानी मिलने की संभावना है इस बार डैम से निकली नहर से सैकड़ों गांव के किसानों को 05 नवंबर से पानी देने की तैयारी है। नहर से पानी की सप्लाई शुरू होने के बाद किसान बुआई का कार्य प्रारंभ कर देंगे।
-माही नहरों से 05 नवंबर को छोड़ा जाएगा पानी
-अभी पूर्ण रूप से भरा है बांध
-लगभग 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिए माही परियोजना ने रखा है लक्ष्य
-17 किमी फैली है मेन कैनाल
-32किमी तक है फैली है मुख्य नहरें
-240 किमी है नहर की लंबाई संपूर्ण क्षेत्र में
अंचल के लिए संजीवनी है माही का पानी
गौरतलब है कि अंचल के लिए माही नदी पानी पिछले कई वर्षों से संजीवनी साबित हुआ है। माही के पानी ने जहां रबी के सीजन में खेत सूखे पड़े रहते हैं वह भी अब हरे-भरे नजर आते हैं। माही बांध की बात की जाए तो इस वर्ष सितंबर के अंतिम सप्ताह में हुई मूसलाधार बारिश से महि डेम लबालब हो गया था और उसके आठो गेट खोले गए थे। मानसून का सीजन आते ही पूरे अंचलवासियों की निगाहें माही बांध की पूर्ण भराव क्षमता 451.50 मीटर तक जल स्तर पहुंचने पर लगी रहती है। इस बार डैम 451.50 मीटर अपनी क्षमता तक भरा हुआ है।
इन गांवों में पहुंचेगा माही बांध का पानी
माही बांध ने पूरे पेटलावद क्षेत्र की काया पलटी है। इस बांध से निकली नहरों का लाभ रामगढ़, बावड़ी, करड़ावद, करवड़, घुघरी, सारंगी, बोड़ायता, बरवेट, बैंगनबर्डी, मोहनपुरा, गुणावद, सहित क्षेत्र के बड़े हिस्से को मिल रहा है। इसमें 240 किमी क्षेत्र में फैली नहरों से लगभग 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होती है। वहीं नहरों का विस्तार करते हुए रायपुरिया, रूपगढ़, जामली, कोदली सहित अन्य क्षेत्र को लाभ भी मिलना प्रारंभ हो गया है। आने वाले दिनों में इन सभी गांवो में माही की नहरों के माध्यम से पानी पहुंचेगा।
अब किसानों को रबी फसल से उम्मीदें
इस बार मौसम की मार और प्रकृति के प्रकोप से पारंपरिक और हाइब्रिड टमाटर-मिर्च की खेती से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान रबी की फसल से उम्मीद लगाए बैठे हैं। इसके लिए माही डैम से मिलने वाले पानी से अपने खेतों को सिंचित करेंगे।
नहरों की साफसफाई जल्द शुरू हो
माही डेम से कई गांवों से होते हुए निकली नहरों में झाड़ियां व खरपतरवार उग आई है। वहीं शहरी क्षेत्र में लोगों द्वारा कूड़ा-करकट भी फेंका जाने के चलते इनकी सूरत ही बदल गई है। आगामी दिनों में किसानों को 05 नवंबर से पानी भी नहरों से दिया जाना है। ऐसे में माही परियोजना विभाग की नहरों की साफ-सफाई का कार्य करवाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा नहरों की सफाई जल्द कराई जाए जिससे किसान पलेवा कर बोवनी शुरु कर सकें। हालांकि विभागों के अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं कि हमने हमारी तैयारी पूर्ण कर ली है। रही बात नहरों की सफाई की तो वह भी जल्द ही हो जाएगी। किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। जानकारी के अनुसार जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में 05 नवंबर को पानी छोड़ा जाएगा। पिछले साल 15 नवंबर से पानी छोड़ा गया था।
1 पलेवा और 4 पानी दिया जाएगा
माही परियोजना के एसडीओ जयपाल सिंह बिष्ट ने बताया, हमारे द्वारा रबी सीजन के लिए किसानों को पानी देने के लिए तैयारियां की जा रही हैं। नहरों की साफ-सफाई का काम जल्द शुरू करेंगे। इसके बाद इस बार भी किसानों को हम 1 पलेवा और 4 पानी देंगे। जल्द ही हम नहरों के माध्यम से पानी देने का शेड्यूल बनाएंगे। इसके बाद 05 नवंबर से किसानों को सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा।