अतिथि भर्ती की जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा
बिना विज्ञप्ति के एक आवेदन पर ही कर दी गई भर्ती, ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों के करीबी की भर्ती
माही की गूंज, पेटलावद।
लम्बे समय से अतिथियों को लेकर राजनीति होती आ रही। इस बार सत्ता में बैठी भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस सत्ता में आने को बेकरार है दोनो ही अतिथी शिक्षको के लिए पैकेज की घोषणा करेगे जिसमें सत्ता में बैठी भाजपा त्वरित कोई लाभ दे सकती है तो कांग्रेस सत्ता में आने के बाद उन्हे लाभ देने का कहेगी इसकी पूरी उम्मीद् थी। चुनावी वर्ष होने से सभी को पुर्व से पता था कि, मुख्यमंत्री इस बार अतिथि शिक्षको का उद्धार जरूर करेंगे। इसी पूर्वानुमान के चलते स्कूलों में सेटिंग से जमे हुए जिम्मेदारो ने अपने नाते रिश्तेदारों को अतिथि शिक्षक के पदो पर नियुक्ति देने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। सारे नियमों को ताक में रखकर ऐसा खेल, खेला की व्यापम जैसा घोटाला यहां भी हो गया। यहां यह मुहावरा पूरी तरह फिट बैठता है कि, ‘‘अंधा बांटे रेवड़ी और अपने-अपनें को दे...’’ रेवड़ी भी ऐसी बांटी की इन्हे पेटलावद नगर से कोई योग्य उम्मीद्वार ही नही मिले। लगभग 30 से 35 किलोमीटर दूर रह रहे नाते रिश्तेदारों की नियुक्ति की गई।
बिना विज्ञप्ति के हुई भर्ती, ज्यादातर संस्थाओं में एक या दो आवेदन
पेटलावद विकास खण्ड में अतिथि भर्ती में चौकाने वाली बात सामने आई है। यहां भर्ती के लिए बीइओ या बीआरसी कार्यालय से तो ठीक संस्था की ओर से भी कोई विज्ञप्ति जारी नही की गई। कई संस्थाओं में तो भर्ती के बाद आवेदकों को पता चला कि, भर्ती हो चुकी हैं। अधिकांश संस्थाओं द्वारा कोई भी विज्ञप्ति जारी नही की जाती और अन्य कोई अभ्यर्थी आजाये तो उसे यह कहकर भगा दिया जाता है कि, कोई पद रिक्त नही है और खुद की जान-पहचान वाले नाते-रिश्तेदारों या सेटिंग वालो को एक पद, एक आवदेन लेकर नियुक्ति दे दी गई। कई जगह पूर्व कार्यरत अतिथि शिक्षकों को भी दरकिनार करके अपनो को नियम विरूद्ध नियुक्तियां दी गई। तो कही मजबूरी में अधिक आवदेन लेना पड़े। वही अधिक अंक वाले दुसरे उम्मीद्वारों को हटाने का नया तरीका भी ईजाद कर लिया, जिसमे फर्जी रूप से असहमति बताकर कम अंक वाले रिश्तेदारों को नियुक्ति देकर खुद की नौकरी भी दाव पर लगा दी।
अतिथि भर्ती में सामने आया फर्जीवाड़ा, अतिथि की नोकरी करते हुए रेगुलर बीएड कैसे...?
शैक्षणिक सत्र में हुई अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को पेटलावद निवासी बाली भारद्वाज ने शासकीय मॉडल स्कूल पेटलावद में स्कूल प्रबन्धन पर आरोप लगाकर जिम्मेदारो के द्वारा अपने नाते-रिश्तेदारों और चहेतों को अतिथि शिक्षक पद नियुक्ति देकर भाई-भतीजावाद किया है। इस जानकारी का खुलासा आरटीआई की जानकारी में सामने आया है। साथ ही बिना विज्ञप्ति जारी किए अधिकांश पदो के लिए एक पद एक फार्म लेकर नियुक्तिया की गई है जो एक बड़ा सवाल पैदा कर रही हैं। इसी के साथ बाली भारद्वाज ने सीएम राइज विद्यालय में भी अभ्यर्थी नलिनी शुक्ला द्वारा फर्जी रूप से बीएड की डिग्री हासिल कर बीएड की डिग्री के जरिए स्कोर कार्ड में सौ नम्बर की वृद्धि करवाकर नियुक्ति पाकर मुझे नियुक्ति से वंचित कर दिया है। साथ ही प्राचार्य द्वारा जानबूझ कर नियुक्ति प्रोसिडिंग में मेरे नाम मे भी गोलमाल कर नाम ही बदल दिया गया। ये फर्जीवाड़ा भी आरटीआई की जानकारी मे सामने आया है। जिसमें शुक्ला द्वारा एक तरफ तो विद्यालय में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य किया जाना बताया गया, वहीं उन्होंने अन्यत्र स्थान पर जाकर रेगुलर बीएड की डिग्री हासिल की जो पुरी तरह से फर्जीवाड़े को उजागर करता है। अब प्रश्न उठता है कि, एक अभ्यर्थी एक तरफ स्कूल जाकर नियमित रूप से सेवा दे रहा है तो दूसरी तरफ लगभग पचास किलो मीटर दूर रेग्युलर अपनी उपस्थिती देकर बीएड कॉलेज जाकर बीएड की डिग्री हासिल की, यह बात बिल्कुल भी किसी के गले नहीं उतरती हैं।
इस सम्बन्ध में प्राचार्य सहित खण्ड शिक्षा अधिकारी को शिकायती पत्र देकर जांच कर नियुक्ति देने का निवेदन किया हैं। मामले में सीएम राइज प्राचार्य पुरालाल चौहान ने शुक्ला का बचाव करते हुए हास्यस्पद जवाब देते हुए बताया कि, अतिथि शिक्षक द्वारा अनुमति लेकर बीएड किया है, साथ ही आनलाइन क्लासेस अटेंड कर बीएड की डिग्री हासिल की है,ं मैं इस संबंध में में कोई कार्यवाही नहीं कर सकता हूं। साहब के जवाब पर हंसी भी आती हैं और दुःख भी होता हैं के प्राचार्य को इतना सामान्य ज्ञान भी नहीं है क्योंकि अतिथि शिक्षक की योग्यता वृद्धि के लिए ना ही अनुमति ली जाती हैं और ना ही अनुमती दी जा सकती है।
कोरोना के बाद बीएड की रेगुलर क्लासेस हुई शुरू, शिक्षक भर्ती में बोनस अंक के लिए हो रहा पूरा खेल
जिस अभ्यर्थी द्वारा सत्र 20-21 और 21-22 में बीएड किया, कोरोना काल में ही केवल ऑन लाइन क्लास लगी थी बाकि समय तो रेगुलर कॉलेज लगे और पढ़ाई भी हुई। फिर नलिनी शुक्ला ने बिना कॉलेज गये ही बीएड की डिग्री हासिल कैसे कर ली...? वही उक्त आवदेन खण्ड शिक्षा अधिकारी को भी दिया है जिसके बाद उन्होंने जांच करवाने का आश्वासन दिया है। दरअसल, पूरा मामला अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा के दौरान मिलने वाले बोनस अंक से जुड़ा हुआ है। कुछ महीनों पहले नवनियुक्त शिक्षकों को इस बोनस अंक का बड़ा फायदा मिला था। इसी बीच अतिथि शिक्षकों की महापंचायत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनका मानदेय दोगुना करने की घोषणा कर दी। नियुक्ति से वंचित रहे युवक-युवतियों के आरोप हैं कि, शाला प्रभारियों द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं रखा जा रहा है और बगैर डिग्री योग्यता की जांच के केवल स्कोर कार्ड के आधार पर नियुक्तियां की जा रही हैं।
शिकायतो पर नही कोई कार्रवाई, पालक शिक्षक संघ को हवा तक नही ओर हो जाते हैं हस्ताक्षर
पेटलावद विकास खण्ड में कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके है जिसमें शिकायत भी हुई पर कोई कार्रवाई नही हुई। सम्बन्धित प्राचार्यों से इस संबंध में शिकायत की जाती हैं तो कोई कार्यवाही नहीं करते है। दूसरी ओर संस्था के प्रभारी ओर नियुक्ति के लिए जिम्मेदार स्कूल के पालक शिक्षक संघ की बिना जानकारी के उनकी सहमति के हस्ताक्षर करवा लेते हैं। जांच के दौरान पूरी प्रक्रिया को वैध बताकर जिम्मेदार अपनी गर्दन बचा लेते हैं।
क्या है नियम... आनलाइन भर्ती को ताक में रखकर होता है सब काम
शासन के आदेशानुसार गत वर्ष में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को वरियता देना है। पूर्व से पैनल है तो नए आवेदन नहीं लेकर अगले नंबर वाले आवेदन को बुलाना है। यदि पैनल नहीं है तो विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। जो आवेदन आते हैं उनका पैनल बनाकर उच्चतम स्कोर वाले आवेदक को नियुक्त किया है। एसएमसी इस प्रक्रिया में नियुक्ति की भूमिका निभाती है। जिसमें अध्यक्ष शाला प्रबंधन समिति एवं सचिव शाला प्रभारी रहता है। नियमानुसार सचिव अपने सगे-संबंधी को नियुक्त नहीं कर सकता। शासन ने अतिथि शिक्षक भर्ती हेतु ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू कर रखा है जिंसमे सभी अभ्यर्थी आवेदन कर सकते है।ं लेकिन सेटिंगबाज़ संस्था प्रभारी, अतिथि शिक्षक जिले के पोर्टल से उठाने बजाए सीधे संस्था के आवेदन से भर्ती कर लेते हैं। जिससे अधिक नम्बर वाले अभ्यर्थी वंचित होकर कम नम्बर वाले शिक्षक की भर्ती कर ली जाती हैं।
जांच की आवश्यकता
पेटलावद विकास खण्ड में पिछले तीन वर्षों में हुई अतिथि भर्ती की जांच की आवश्यकता है जिससे भाजपा की शिवराज सरकार में एक और बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। संस्था के प्रभारी और प्राचार्य अपने मनमाने ढंग से शिक्षकों को नियम विरुद्ध इधर-उधर अटैच कर अतिथि भर्ती के लिए सीट खाली कर रहे हैं, तो कई संस्था, विभाग को अलग-अलग जानकारी भेज रही है। सीएम राइस स्कूल में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जिसका खुलासा ईमानदारी से होने वाली जांच में ही हो सकता है।
भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली को लेकर खंण्ड शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत शिकायत।
मॉडल स्कूल।