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माही की गूंज, पेटलावद।
शनिवार दोपहर से लेकर देर रात तक या हुसैन के नारों से नगर की फिजा गुंज उठी। मौका था मोहर्रम पर चल समारोह का। इस आयोजन में विगत एक पखवाडेे से नगर तैयार किए गए अपने ताजियों के जुलुस निकाले गए। प्रतिवर्ष की तरह ही इस वर्ष भी मुसलिम समाज के साथ हिन्दु समाज के लोगों ने ताजिए बनाए। ताजिए नगर के प्रमुख मार्गों से घुमाते हुए करबला तक पहुंचाए। कुल 10 ताजियों का निर्माण हुआ जिसमें हिन्दु कहार समाज ने 1, बसौड समाज ने 1, 1 आदिवासी समाज तो मुस्लिम समाज ने 7 ताजियों का निर्माण किया। पेटलावद नगर में यह वर्षो की परंपरा हैं कि दोनों समुदाय मिलकर यह पर्व मनाते है। आपको बता दे कि यहां मोहर्रम का जुलुस सांम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतिक माना जाता है जिसमें मुस्लिम धर्मावंलबीयों के साथ साथ हिन्दु समाज भी शिरकत करता है।
गौरतलब कि मोहर्रम पेटलावद तहसील में केवल मुख्यालय पर ही मनाया जाता है ओर आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में यहां आते है। देर रात तक नगर की सडकों पर ताजियों का जुुलुस जारी था। कई लोगों ने अपनी मन्नते भी उतारी। सभी समाज के लोगों द्वारा छोटे बच्चों को ताजिये के नीचे से निकाला जाता है, इसके पीछे मान्यता यह हैं कि बच्चा कभी बीमार नहीं होगा। मोर के पंखो की बुराक बनाई जो माहौल को सुगंधित कर रही थी। शहर में जुलूस का की स्थानों पर स्वागत किया गया। किसी ने दूध कोल्ड्रिंक बनाया तो किसी ने पानी पिलाया ओर समाजजनों का स्वागत किया। इसके बाद शाम से लेकर रात तक किसी ने छबील पिलाई तो किसी ने पानी पिलाया।
प्रशासन रहा चैकन्ना
मोहर्रम पर्व के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए। ताजिये नगर के राममोहल्ला, राजापुरा, हुसैनी चैक, सुभाष मार्ग, शनि मंदिर, झंडा बाजार, गणेश चौक, अंबिका चौक, सिर्वी मोहल्ला, होली चौक, महाकांल पथ, पुराना बस स्टेंड होते हुए वापस गणेश चौक, झंडा बाजार होते हुए करबला पहुंचे। सदर जावेद लोदी सहित समग्र मुस्लिम समाज ने पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों व समाजजनो का आभार माना।