इसी वर्ष बना था तालाब, मोटी कमाई के चक्कर मे घटिया निर्माण कर कमा रहे उपयंत्री और अधिकारी पैसा
मनरेगा में आखिर भ्रष्ट्राचार करने वालो पर क्यो नही होती कार्यवाही, कलेक्टर ओर नए जिला सीओ को खुली चुनोती
भाजपा राज में भ्रष्ट्राचार चरम पर, अधिकारी करते गुमराह- विधायक मैड़ा
माही की गूंज, पेटलावद।
जनपद पेटलावद में चल रहे भ्रष्ट्राचार की पोल एक बार फिर खुल गई। शनिवार शाम को हुई बारिश में मनरेगा योजना में बना लगभग 15 लाख का तालाब देखते ही देखते बह गया। एक बार फिर पेटलावद विकास की ग्राम पंचायतों में चरम पर पहुँच चुके भ्रष्ट्राचार की पोल खुल गई। मामला पेटलावद विकास खण्ड की ग्राम पंचायत झोंसर का जहाँ कुछ माह पूर्व बना कुण्डिया नाकी वाला तालाब बीती रात फुट गया। तालाब की लागत 14 लाख 62 हजार रुपये बताई जा रही है। मामले में उपयंत्री अहिरवार से इस संबंध में जानकारी चाही गई तो तालाब फूटने की पुष्टि की ओर तालाब फूटने के कारणों पर गोलमाल जबाब देते हुवे बचने का प्रयास किया। इधर जनपद सीईओ राजेश दीक्षित जिनके कार्यकाल में भ्रष्ट्राचार बेलगाम होता जा रहा है उनसे इस बात की जानकारी ली तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नही होना बता कर मामले को दिखवाने की बात की जिससे साफ होता है साहब के अधिनस्त कर्मचारी ऐसी सूचना तक अधिकारी तक नही पहुँचाते है।
मशीनों से खड़े हो रहे तालाब, वर्षो पुराने मामूली रकम में बने तालाब आज भी जिंदा
मनरेगा के नाम पर जारी भ्रष्ट्राचार का खुलासा माही की गूंज लगातार करता रहा है लेकिन कमीशन के खेल के चलते आज तक कोई बड़ी कार्यवाही नही हुई और यही बड़ा कारण है भ्रष्ट्राचार की जड़े अब हर ग्राम पंचायत तक फैल गई है। मनरेगा के नाम पर मजदूरों के हक पर डाका मार कर अघोषित ठेकेदारों के माध्यम से भारी मशीनों दिखावे के तालाब खड़े कर दिए गए जो पहली बारिश की मार तक नही झेल पाये। झोंसर में फूटे तालाब की लागत 14.62 है, पर्याप्त राशि के बाद भी बंदरबांट के इस खेल में तालाब की मजबूती के ख्याल नहीं रखा गया जबकि कई पंचायतो में आज भी 04 से 05 लाख की मामूली लागत से बने तालाब आज भी टिके हुवे है और भारी से भारी बारिश तक झेल गए जिससे वर्तमान तालाब निर्माणों में हो रहे भ्रष्ट्राचार की पोल खुल गई है।
भुगतान के लिए लगे बिलो की हो जांच, उपयंत्री की भूमिका संदिग्ध, पड़ल भरने के दौरान नही जाते मौके पर
मिली जानकारी के अनुसार उक्त कार्य इसी वर्ष स्वीकृत हुवा है और निर्माण के बाद इसकी मजदूरी का भुगतान भी हो चुका है। कार्य के बाकी के भुगतान के लिए बिल लगाए जा चुके है जिनकी जाँच होनी चाहिए, भुगतान के सभी जिम्मेदार अपने अपने बिल लगा राशि आहरण करते है। कार्य के उपयंत्री अहिरवार की भूमिका भी संदिग्ध है जो अघोषित ठेकेदारों के माध्यम से मनरेगा के कार्य पूर्ण करवा कर मोटा माल कमा रहे है। उपयंत्री अहिरवार कार्य के दौरान उपस्थित नही रहते और इसी फायदा उठा कर अघोषित ठेकेदार मनमाने ढंग से घटिया निर्माण कर निकल जाते है और अपने कमीशन के चक्कर मे कार्य की बिना जांच पड़ताल घर मे बैठ कर एमबी भर के भुगतान के लिए दे देते है।
नई कलेक्टर और नए जिला सीओ को खुली चुनोती
जिला कलेक्टर तन्वी हुड्डा के कार्यकाल की पहली बरसात है जिंसमे ऐसे मामले सामने आना तय है ये देखना होगा कि वो भ्रष्ट्राचार के इस मामले को कितनी गम्भीरता से लेकर कार्यवाही करते है। वही जिला सीओ अमन वाष्णेय की रवानगी के बाद आने वाली नई जिला सीओ रेखा राठौड़ जो एक दो दिन में जॉइन होने वाली है, उनके सामने आते ही ये बड़ी चुनौती होगी। देंखने वाली बात ये है कि व्यापारी द्वारा अधिक दाम पर कपास बेचने की शिकायत पर प्रशासन ने तुरंत कार्यवाही कर पुलिस प्रकरण बना दिया वही लाखो करोड़ो के खुले भ्रष्ट्राचार उजागर होने पर पूरा प्रशासन मौन हो जाता है। क्या इस मामले में प्रशासन घटिया निर्माण करने वाली एजेंसी ग्राम पंचायत, उपयंत्री और जिम्मेदार अधिकारीयो पर मामला दर्ज करेगे या हर बार की तरह इस बार भी कार्यवाही रिकवरी के नाम पर मामला फाइलों में उलझा दिया जाएगा। इस संबंध में विधायक मेड़ा ने जनपद सीईओ से चर्चा की तो सीईओ ने तालाब को अधूरा बताकर भुगतान नही होना बताया जबकि मजदूरी का भुगतान हो गया है और नियमो के अनुसार इस वर्ष का भुगतान होना संभव नही है और कार्य के बिल भुगतान के लिए लगे जिनका भुगतान अभी नही होना है जिसके आधार पर सीईओ राजेश दीक्षित ने विधायक मेड़ा को कार्य अधूरा बता कर गुमराह करने की कोशिश की।
क्या कहा जबाबदारो ने....
भाजपा सरकार के राज में भ्रष्ट्राचार चरम पर है और अधिकारी गलत जानकारी देकर अधिकारी गुमराह कर रहे है। तालाब फूटने की जानकारी मिली है और एसडीएम अनिल राठौर और सीईओ जनपद को जाँच का कहा है- विधायक वालसिंह मेड़ा
तालाब फूटने की जानकारी मिली है, सीईओ के माध्यम से जानकारी लेता हु- रमेश सोलंकी जनपद अध्यक्ष