पहले स्थान्तरित हुए दो कर्मचारी यही जमे, जिसको करनी थी समीक्षा उसी ने कर दिया नोटिस जारी
माही की गूंज, पेटलावद।
वर्ष 2021 में स्थान्तरित जनपद पंचायत कार्यालय के दो कर्मचारि कृपाराम जाटव और रामलाल कंवर के स्थान्तरण के मामले में गूंज के द्वारा स्थान्तरित कार्मचारीयो के द्वारा येन-केन प्रकारेण उसी स्थान पर जमे होने व कई वर्षो से जमे जनपद पंचायत में कर्मचारियों को लेकर मामले में समाचार प्रकाशित किये थे। इस कड़ी में 30 जनवरी को जनपद के एक ओर कर्मचारी मुकेश गोस्वामी सहायक लेखाधिकारी का स्थान्तरण जिला सीओ द्वारा, जिला कलेक्टर द्वारा अनुमोदित होना बताकर जनपद पंचायत रामा कर दिया गया। पहले आदेश में केवल कर्मचारियों को स्थान्तरित किया गया था उनके स्थान पर किसी की प्रतिनियुक्ति नही की गई, जिसका लाभ उठाकर कर्मचारी न्यायालय की शरण मे चले गये। लेकिन इस बार जारी आदेश में स्थान्तरित मुकेश गौस्वामी के स्थान पर रामा जनपद में पदस्थ प्रशांत शर्मा को पेटलावद सहायक लेखाधिकारी पर भेजा गया है। खबर लिखे जाने तक न ही जनपद पेटलावद का कर्मचारी रिलीव हुआ न ही रामा से रिलीव होकर आया।
फिर होगी सेटिंग, क्या जिला सीओ सच मे सख्त
सुनने में आ रहा है की जनपद अध्यक्ष द्वारा जनपद के कुछ कर्मचारियों के कार्यो की लगातार शिकायतो के चलते उनको हटाने की मांग की गई, लेकिन जिला सीओ द्वारा एक कर्मचारी को ही हटाया गया है। पिछले आदेशो के पालन नही होने से झल्लाये नए जिला सीओ ने इस आदेश के जारी होने के बाद जनपद सीईओ को स्थान्तरित कर्मचारी को दस घन्टे में रिलीव करने तक कि, बात कहते हुए, ऐसा नही होने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही, ऐसी चर्चा जनपद कार्यालय में हो रही है। अगर बात सही है तो ये देखना होगा कि, जिला सीओ साहब सच मे सख्त है या उनकी सख्ती के पीछे कारण दूसरा है ।
न्यायालय ने जिला सीओ को ही समीक्षा कर निर्णय लेने को कहा था
पूर्व में स्थान्तरित दो कर्मचारी में से रामलाल कंवर न्यायालय में दिव्यांग होने का लाभ उठाकर स्थान्तरित होने से बचने में कामयाब रहा। लेकिन कृपाराम जाटव को लेकर न्यायालय ने तत्कालीन जिला सीओ को ही तीन हप्ते में सभी पक्षो की समीक्षा कर न्यायालय में जबाब पेश करने को कहा था, जो नही करते हुए मामले को फाइलों में दबा दिया। नए सीओ ने जब फाइलों से धूल हटाई तो कारण बताओ नोटिस जनपद सीईओ को जारी कर दिया। जनपद सीईओ राजेश दीक्षित में कहा कि, मामला न्यायालय का है और मेरे हाथ मे कुछ नही है, न्यायालय के निर्देश के अनुसार जिले से ही न्यायालय में रिपोर्ट पेश होना थी, हमारी ओर से कारण बताओ नोटिस का जबाब दे दिया गया है। जो की भाजपा सरकार में छोटा सा छोटा कर्मचारी शासन-प्रशासन पर भारी पड़ता है। कभी लेन-देन, तो कभी न्यायालय के नाम पर अपनी मर्जी अनुसार एक ही जगह पर जमे रहने में कामयाब होता है।