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गूंज में समाचार प्रकाशित होने के बाद भ्रष्ट मैनेजर चेंनसिंह को मिला नोटिस
21, Jan 2023 2 years ago

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कलेक्टर लेंगे मामले का संज्ञान तो होगी जांच व कार्रवाई, नहीं तो चैनसिंह हमेशा की तरह गगन गैस लोन माफी मामले में भी घूमेगा आजाद

माही की गूंज, खवासा।

        चैनसिंह, एक ऐसा नाम जो आ.जा.स. संस्था भामल के साथ खवासा संस्था से अपनी कारस्तानी बताकर नित नये भ्रष्टाचार को अंजाम देकर भी वह रिटायरमेंट के अंतिम दौर तक भी मैनेजर के पद पर बैठ अपनी भ्रष्टाचार की कारस्तानी गड़ने में कोई चूक नहीं कर रहा है।

        चैनसिंह राठौर ने भामल की आदिम जाति सहकारी संस्था में पदस्थ होने के साथ ही भ्रष्टाचार के कई आयाम संस्था में गडे हैं, पर संस्था एवं संबंधित अधिकारियों की श्रेय व अपनी चतुराई के साथ मामूली कागजी कार्रवाई के अलावा कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में भ्रष्ट चैनसिंह राठौर के बारे में एक ही चर्चा होती है कि, चैनसिंह अपना उल्लू सीधा करने के लिए कुत्ते को भी अपना बाप बनाने से नहीं छोड़ता। नतीजन जब भी वह भ्रष्टाचार करता उन भ्रष्टाचारो में कुछ मामले उजागर भी होते तो मुंह मांगी रकम संबंधित अधिकारियों को देने के साथ उनके चरणों में नतमस्त होकर मामले की दिशा चेंज करवाकर अब तक बचता आया है।

भाई-भाभी व भतीजे का फर्जी केसीसी लोन लेकर कृषि ऋण माफी योजना में करवाया था माफ

          भ्रष्ट चैनसिंह ने अपने सगे भाई जिससे कई वर्षों से बोलचाल बंद होने के बावजूद भाई-भाभी व भतीजे के फर्जी हस्ताक्षर कर केसीसी लोन खाता खोलने के साथ ही खवासा आदिम जाति सहकारी संस्था से लोन आहरण कर लिया था। जिसका खुलासा भी माही की गूंज ने प्रमुखता के साथ किया था। जिसमें सामने आया था कि, चैनसिंह के भाई भगवानसिंह, भाभी व भतीजे के नाम के फर्जी रूप से दस्तावेज लगाकर उनकी बिना जानकारी व अनुमती के ही फर्जी केसीसी लोन कर राशि चैनसिंह द्वारा आहरण की गई थी।

         यहां तक की चैनसिंह की भाभी ने तो खवासा की संस्था का कभी आकर मुंह तक नहीं देखा था का भी खुलासा हुआ था। उक्त मामला कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कृषि ऋण माफी योजना के तहत किसानों के ऋण माफी सूची चस्पा होने पर उक्त भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था। परंतु उक्त इतने बड़े मामले में भी चैनसिंह अधिकारियों के साथ सत्ता पक्ष नेता का सरंक्षण प्राप्त कर अपने आप को सुरक्षित कर लिया था। वही अपनी ही चार पहिया गाड़ी में खाद्यान की हेरा-फेरी के खुलासे में भी लोगों के झूठे बयान करवाकर बच गया और पुनः मैनेजर की सीट पा ली। ऐसे ही कई मामले फर्जी लोन व अपने चहेतों को लिमिट से अधिक खाद् व खद्य वितरण के मामले भी सामने आ चुके हैं।

           चैनसिंह की भ्रष्टाचार की इसी कड़ी में गगन गैस में कुछ उपभोक्तायों को चार-चार हजार का लोन देकर उपभोक्ताओं को गगन गैस कंपनी बंद हो जाने तक भी गैस कनेक्शन की डायरी तक नहीं देने वाले चैनसिंह का एक और मामला आया। जिसे भी माही की गूंज ने अपने पिछले अंक में ‘‘गगन गैस में दिया गया लोन कृषि ऋण माफी में किया माफ, जांच हो तो मैनेजर चैनसिंह को हो सकती है जेल’’ के शीर्षक के साथ प्रकाशित किया था। जिसमें 7 व्यक्तियों को भामल संस्था से गगन गैस कनेक्शन में लोन के साथ दो-दो टंकी व एक चूल्हा दिया था।

           जिसमें नानालाल रामसिंह नकुम ने संस्था चुनाव में उम्मीदवारी के पूर्व लोन राशि जमा करा दी गई थी। जिसके बाद लक्ष्मणसिंह अनार सिंह सोलंकी, शंभूलाल तुलसीराम चौहान, हुकमचंद राधाकिशन लोहार, स्व. शैतानमल तुलसीराम चौहान के ब्याज सहित लोन राशि को कमलनाथ सरकार की कृर्षी ऋण माफी योजना में केसीसी लोन का बकाया बताकर इस राशि को ऋण माफी योजना में जोड़ गगन गैस पर दिए लोन को माफ करवा दिया गया। वहीं दो अन्य रामचंद्र खीमा चंद्रावत निवासी परवाड़ा, स्व. तेरसिंह रादू कटारा रन्नी जिसका पुत्र अवनीश कटारा को गगन गैस के बकाया में अब तक के ब्याज के साथ वसूली हेतु संस्था की ओर से नोटिस थमाया गया था। जिसके बाद उक्त मामला उजागर होकर माही की गूंज में प्रकाशित हुआ था।

           उक्त मामला माही की गूंज में प्रकाशित होने के बाद खवासा-भामल संस्था के प्रशासनिक प्रभारी तोलाराम मुणिया ने नोटिस भामल संस्था मैनेजर चैनसिंह को दिया है। यह तय है अन्य मामले में बड़े पैमाने पर अपनी भ्रष्टाचारी कारस्तानी दिखाकर बड़े रूप से व्यारे-न्यारे किए हैं, उसकी तुलना में तो यह अनियमित्ता व भ्रष्टाचार का छोटा मामला दिखाई दे रहा है, लेकिन अनियमित्ता, चोरी व भ्रष्टाचार में चाहे लेन-देन छोटी हो या बड़ी कानूनी मामला तो एक ही बनता है।

           इस संबंध में जब प्रशासनिक प्रभारी तोलाराम मुणिया से माही की गूंज कार्यालय से बात कि, तो बताया माही की गूंज में समाचार प्रकाशित हुआ जिसके आधार पर चैनसिंह को मामले में नोटिस दिया गया है, आगे श्री मुणिया ने कहा अगर मामले में कोई कलेक्टर को शिकायत करता है या कलेक्टर मामले को संज्ञान में लेकर जांच के आदेश देते हैं तो ही मामले में जांच और जांच के बाद कार्रवाई संभावित है, वरना उक्त मामले में चैनसिंह के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होगी।

           प्रशासनिक प्रभारी तोलाराम मुणिया की बात बिना तोले-बोले शब्दो में कहीं है पर वह अपनी बात को सही दिशा में कह गए। अगर मामले में कलेक्टर जांच करवाएंगे तो ही मामले में चैनसिंह के विरुद्ध मामला दर्ज हो सकता है, नहीं तो नहीं। तय है चैनसिंह कलेक्टर के सभी प्यादो से सांठ-गांठ कर अन्य मामले की तरह यह मामला भी दबाने का प्रयास करेगा और कलेक्टर को गुमराह करने की कोशिश करेगा।

           अब देखना है कि, कलेक्टर यहां भी भ्रष्टाचार में चार चांद लगाने वाले भ्रष्ट चैनसिंह राठौर के विरुद्ध जांच बिठाकर कार्रवाई करवाएगी या फिर अपने आशीर्वाद के साथ भ्रष्टाचार में और चार चांद लगाएगी।

        बात करें संस्था के प्रशासनिक अधिकारियों की तो वह तो इस भ्रष्टाचारी सिस्टम से जुड़े हुए ही है और ऐसे ही नोटिस देकर गोल-मोल जवाब तलब के साथ मामले को रफा-दफा करने में महारत हासिल है।

गूंज में उक्त समाचार प्रकाशित होने के बाद मिला भ्रष्ट चैनसिंह को नोटिस


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