
रस्म आदायगी के लिए मौके पर पहुचे तहसीलदार मौखिक रूप से काम बन्द करने का बोल कर आ गये, बड़े साहब बोल रहे जांच करेगे
माही की गूंज, पेटलावद।
यहां पेटलावद विकास खण्ड की ग्राम पंचायत बामनिया जहा 1975 के बाद से राजस्व विभाग का बंदोबस्त नही हुआ है। 1959-60 के रिकॉर्ड में दर्ज कई बड़ी सरकारी जमीनें अलग-अलग मदो की राजस्व रिकॉर्ड में देखते-देखते निजी हो गई ओर उनकी बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त की जा रही हैं। शिकायते होती हैं तो उन पर कार्रवाई ओर जांच रस्म अदायगी के लिए होती हैं। क्योकि राजस्व विभाग के पास उपलब्ध पुराने रेकॉर्ड को बिना देखे ही वर्तमान रेकॉर्ड ओर रजिस्ट्री के आधार पर जांच कर मामले को रफा-रफा कर दिया जाता है।
मामला ग्राम बामनिया का जहा सर्वे क्रमांक 104,105 और 106 को लेकर सरकारी जमीन की बंदरबांट होने की जानकारी सामने आई है। मामले की शिकायत दिलीप मालवीय द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेटलावद को मय रिकॉर्ड के जानकारी सहित की थी। एसडीएम से जांच का आश्वासन भी मिला और मौके पर जारी कार्य को रोकने का आश्वासन भी। लेकिन न कार्य रुका न कार्रवाई हुई कही न कही भू-माफिया अपना खेल पर्दे के पीछे से खेलकर मामले को दबाने में कामियाब हो जाते हैं।
राजस्व विभाग की मनमानी
वर्तमान में राजस्व विभाग की कार्य शेली को देखे तो उनकी पूरी कार्रवाई न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी की तर्ज पर हो रही है। जन मानस की और से बड़े भू-माफियाओ ओर रसूखदार लोगो के विरुद्ध हिम्मत जुटाकर शिकायत करने वालो शिकायतकर्ताओ को न्याय की जगह धमकी हिस्से आती है और जबाबदार शिकायत को खुद के लिए चांदी का जूता बना लेते हैं। बामनिया में हुई शिकायत के बाद एसडीएम अनिल कुमार राठौर ने मामला तहसीलदार को जांच के लिए भेजा लेकिन जारी पत्र में कार्य रोकने का नही कहा गया। मौके पर पहुँचे तहसीलदार महोदय और पटवारी साहब मोखिक रूप से कार्य रोकने का बोलकर रवाना हो गए। न पंचनामा बना न मौका जांच की ओर निर्माणकर्ता को बड़े साहब जांच करेगे बोल कर रवाना हो गए।
सही तो ताबड़तोड़ काम क्यो, कार्यकाल से लीक हो जाती है जानकारी
बताया जा रहा है निर्माणकर्ता के पास रजिस्ट्री है जिसके आधार पर ग्राम पंचायत से अनुमति ली गई है। लेकिन शिकायतकर्ता के अनुसार भूमि राजस्व रेकॉर्ड में सरकारी दर्ज थी जो बाद में रेकॉर्ड में हेरा-फेरी करने के बाद निजी हो गई है। शिकायत के बाद भूमि स्वामी ने निर्माण कार्य तेजी से करते हुए दिन-रात कार्य करते हुए दुकान खड़ी कर दी। अब सवाल ये खड़ा होता है कि, जब सब कुछ सही है तो जल्दबाजी किस बात की जा रही हैं।
शिकायतकर्ता दिलीप मालवीय ने बताया कि, आवेदन के बाद जिस प्रकार का आश्वासन अधिकारी से मिला था उसके अनुसार कार्रवाई नही हो रही। भू-माफिया स्थानीय नेताओं की साठ-गांठ से सरकारी जगह को निजी बनाया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया कि, भू-माफियाओ की साठ-गांठ इतनी है की जब अधिकारी से मामले में उनके कार्यालय में चर्चा होती है तो उसकी जानकारी भू-माफियाओ तक पहुँच जाती है और उनके फोन आना शुरू हो जाते हैं।