सुबह 11 से शाम 5 बजे तक खुलता केंद्र, बाकी समय मरीज राम भरोसे
माही की गूंज, अमरगढ़।
पेटलावद से 11 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम अमरगढ़ जहां रेलवे स्टेशन भी है और सैकड़ों लोगों का रोजाना आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में किसी का स्वास्थ्य अचानक खराब हो या कोई हादसा हो तो यहां के उपस्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को किसी प्रकार की कोई सुविधा या इलाज नहीं मिल पाती है। रात्रि कालीन कोई इमरजेंसी केस आता है तो उस उपस्वास्थ्य केंद्र पर ताला लगा मिलता है। जिस पर बामनिया या पेटलावद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने को मजबूर होना पड़ता है और छोटा गांव होने के कारण यहां वाहन की भी कोई सुविधा नहीं मिलती है। ऐसे में मरीज की जान का जोखिम बना रहता है। उपस्वास्थ्य केंद्र अमरगढ़ मात्र एक सीएचओ, एक एएनएम व आशा कार्यकर्ता के भरोसे चल रहा है। यह सीएचओ व एएनएम भी यहां 24 घंटे सेवा उपलब्ध नहीं देकर मात्र 4 से 5 घंटे ही स्वास्थ्य सेवा दे पा रहे है। उपस्वास्थ्य केंद्र सुबह 11 बजे खुलकर शाम 4-5 बजे बन्द कर दिया जाता है। जिसके बाद मरीज राम भरोसे ही रहते है।
बता दे कि, उप स्वास्थ्य केंद्र में सीएचओ दुर्गा खराड़ी पदस्थ है जोकि बामनिया निवास करती है। वही एएनएम रामेश्वरी गेहलोत रतलाम से असमय अपडाउन कर स्वास्थ्य सेवा दे रही है। दोनों ही दोपहर 11 से शाम 4 बजे तक ही उपस्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है एवं दोनों ही मात्र 4 से 5 घंटे की सेवा देकर अपनी स्कूटी और ट्रेन पकड़कर अपने निवास स्थान पहुंच जाती है। जबकि दोनों ही सीएचओ व एएनएम को उपस्वास्थ्य केंद्र पर ही 24 घंटे सेवा प्रदान करना होता है। दोनों ही नर्स की अनुपस्थिति में शेष समय आशा कार्यकर्ता के भरोसे ही उपस्वास्थ्य केंद्र रहता है। आशा कार्यकर्ता एक छोटी कार्यकर्ता होकर भी 24 घंटे अपनी सेवा प्रदान कर रही है, तो शासकीय सेवा में दोनों सीएचओ व एएनएम 24 घंटे अपनी सेवा क्यों नहीं दे पा रही है की बात ग्रामवासी कह रहे है।
नहीं हो रही डिलीवरी
ग्राम के सरपंच उपस्वास्थ्य केंद्र पर ही महिलाओं की डिलीवरी की सुविधाएं शुरू करने के लिए प्रयासरत है। सरपंच पिन्टूसिंग भुरिया का कहना है कि, ग्राम पंचायत ग्राम के ही उपस्वास्थ्य केंद्र पर डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए तत्पर है। उपस्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ को ग्राम में ही निवास करने के लिए कहा जा रहा है। अगर उनके रवैये में परिवर्तन नही आता है तो शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी। वही उपस्वास्थ्य केंद्र में पूरा स्टाफ महिला का होने के चलते यहां डिलीवरी की सुविधा शुरू करना भी जायज है, वही मामला यही आकर ठहर जाता है कि, पंचायत व ग्रामीण चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन दोनों नर्स मात्र 4 से 5 घंटे की सेवा देती है। इस दौरान जो डिलीवरी केस आता है उसे भी मना कर दिया जाता है। ऐसे में उसके परिजनों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां जननी सुरक्षा गाड़ी की भी सेवा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीज को या डिलीवरी वाली महिला को इमरजेंसी में मोटरसाइकिल पर बिठाकर 11 किलोमीटर पेटलावद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना पड़ता है। ऐसे में प्रसव पीड़ा से उस महिला की जान भी जा सकती है।
इमरजेंसी के दौरान रास्ते में हुई डिलीवरी
उपस्वास्थ्य केंद्र पर डिलीवरी नहीं होने की स्थिति में पेटलावद या बामनिया ले जाते समय कई बार रास्ते में सड़क पर ही डिलीवरी की समस्या उतपन्न हो जाती है। बीते दिनों ग्राम असलिया की प्रसूति महिला की प्रसव पीड़ा अधिक होने के चलते अमरगढ़ के उपस्वास्थ्य केंद्र से थोड़ी ही दूरी पर डिलीवरी रास्ते मे करवाई गई थी। अगर अमरगढ़ में डिलीवरी की सुविधा होती तो प्रसूति महिला की जान जोखिम में डाल रास्ते मे डिलीवरी करवाने की नोबत नही आती।
पल्ला झाड़ रहे जिम्मेदार
उपस्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे खुला रहे और प्रसव भी यही हो जिसके लिए कई बार ग्रामीणों एवं सरपंच ने आला अधिकारियों को सूचना कर निवेदन भी किया। लेकिन इस ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान नहीं है। ग्रामीणों ने दो बार ग्राम पंचायत की ग्राम सभा में भी मुद्दा उठाया और अधिकारियों को पंचायत द्वारा भी अवगत करवाया लेकिन अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। अधिकारी शायद कोई बड़ा हादसा या महिलाओं प्रसव पीड़ा के कारण किसी हादसे का शिकार होने का इंतजार कर रहे हैं। आखिर इस अनदेखी का खेल कब तक चलता रहेगा...?