
अंजान लोगों के फोन कॉल से रहे सावधान वरना हो जाएगा बैंक खाता निल
माही की गूंज, पेटलावद।
सोशल मीडिया से जुड़े साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले आये दिन ठगी के नए-नए तरीके ईजाद करते हैं, जिनके झांसे में आकर कई लोग शिकार हो चुके हैं। बढ़ती ठगी के मामलों के लोगो को तरीका पता चल जाता है तो ये ठग नया तरीका खोज कर फिर से लोगो को अपना निशाना बनाते हैं। गत दिनों ऐसे मामले सामने आये, जिंसमे अज्ञात व्यक्ति ने ठगी के शिकार लोगो को स्वयं का जान-पहचान का बता कर उनको उनके व्यवसाय से जुड़े सामान का आर्डर देकर उसका भुगतान करने के झांसे में लेकर ठगी की है। ऐसे मामले पेटलावद नगर सहित आसपास के क्षेत्र में तेज़ी से सामने आए हैं। जिनसे सावधान रहने की आवश्यकता है वरना आपके बैंक खाते में जमा राशि गायब हो जाएगी ।
नए तरीके से कुछ ऐसे हो रही है ठगी
ऐसा ही मामला बामनिया में सामने आया जहां एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा केक बनाने के नाम पर लड़की से ठगी की। व्यक्ति ने पहले केक का आर्डर किया ओर उसका भुगतान करने के लिये केश-लेश पेमेंट(ऑनलाइन) भुगतान किया और भुगतान नही होने पर ओटीपी देने को कहा जैसे ही लड़की ने ओटीपी दिए लड़की के खाते से 12 हजार रुपये उड़ गए। एक अजीब मामला ओर सामने आया जिंसमे ठग ने एक क्योसक संचालक को खुद को परिचित बताते हुए खाते में 20 हजार ट्रांसफर करने को कहा गया और पेमेंट अपने व्यक्ति को भेजकर करने की बात कही। दूसरी ओर उसी व्यक्ति ने एक होटल संचालक को 300 सौ कचौरी का आर्डर दिया और उसी के एडवांस राशि के भुगतान के लिए अज्ञात व्यक्ति ने उसी कियोस्क संचालक के पास भेजा जिसको बीस हजार खाते में डालने को कहा था । चालू फोन में होटल संचालक कियोस्क वाले के पास पहुँच जाता है जहां कियोस्क संचालक से बात कर उसे कहता है कि, मैने पेमेंट भेजा है इस व्यक्ति के साथ मेरे खाते में पैसे डाल दो, अज्ञात ठग अपनी लच्छेदार बातों में कुछ ऐसा माहौल बनाता है कि, होटल संचालक से बात किये बिना खाते में अज्ञात के खाते में लगभग 13 हजार डाल देता है और फोन कटने के बाद होटल संचालक और क्योसक संचालक एक-दूसरे को भुगतान के लिए बोलते हैं तब जा कर समझ आता है कि, वो दोनों अज्ञात व्यक्ति के झांसे में आकर ठगी का शिकार हो चुके हैं। मामला पुलिस चौकी पर भी पहुचा जहा अज्ञात नम्बर से आये फोन नम्बर सहित पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई। लेकिन साइबर क्राइम ओर ठगी को लेकर झाबुआ पुलिस आज तक कोई सफलता अर्जित नही कर पाई ।
पुराना परिचित होने का हवाला दे कर उलझते है ठग, सामने वाले को होती है पूरी जानकारी
नए तरह की ठगी करने वाले शातिर अपनी मीठी बातों में उलझते है, जिसको भी ये टारगेट बनाते हैं उनकी पूरी जानकारी इनके पास होती है। जिससे बात करते समय पहचान करने में परेशानी नही होती और सामने वाला न जानते हुए भी ठग को परिचित ही मान लेता है और अपनी परेशानी बताकर जैसा-जैसा वो चाहता है करवाकर अंत मे आपके खाते से राशि उड़ाकर ठगी कर लेता है। अज्ञात व्यक्ति सामने वाले का नाम लेकर बात करता है और पहचान होने की बात करता है जब व्यक्ति उसकी लच्छेदार बातों में आ जाता है तब खुद की परेशानी या किसी से पैसे लेने में समस्या आने पर भुगतान सामने वाले के खाते में डालने की बात करता, ठगी के शिकार होने वाले व्यक्ति को लगता है कोई परिचित ही होगा जो उनके खाते में पैसे डलवा रहा है और बाद में लेगा, यही से ठगों का खेल शुरू होता है। अज्ञात व्यक्ति भुगतान के लिए कई तरह की परेशानी बताकर सामने वाले के मोबाइल पर आई ओटीपी हासिल कर लेता है और इसके बात वही होता है जो होता आया है। खाते में राशि आने की बजाए खुद के खाते में रखी राशि भी उड़ जाती है। खबर के साथ क्यू आर कोड के माध्यम से आपको ठगी के लिए की गई बातचीत का पूरा ब्यौरा सुनवाते है जिंसमे सतर्क व्यक्ति ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बच गया।
पुलिस निष्क्रिय, सावधान रहने की सलाह देकर करती है इतिश्री
इस प्रकार की ठगी होना कोई नया नही है। आये दिन ये ठग नए-नए तरीके से लोगो को ठगी का निशाना बना रहे हैं। हजारो शिकायते पुलिस के पास आवेंदन के रूप में पहुँच चुकी हैं, लेकिन जिले की निष्क्रिय और साइबर क्राइम को ट्रेस करने में असफल पुलिस, शिकायतकर्ताओ को ऐसे मामलों में सावधान रहने की सलाह देकर इति श्री कर लेती हैं। जबकि इन ठगों के झांसे में पड़े लिखे ओर समझदार आ जाते हैं तो जिले की पृष्ठभूमि के अनुसार अनपढ़ ओर कम पढ़े लिखे जिनको मजबूरी में भी ऑनलाइन पेमेंट के मोबाइल एप चलाने पड़ रहे हैं। वो इन ठगों के आसनी से शिकार बन रहे। पुलिस को इस प्रकार के क्राइम को ट्रेस करने के लिए अलग से विशेष टीम बनाकर इन ठगों तक पहुँचना चाहिए ताकि ऐसे लोगो को पकड़े जाने का डर रहे।
सुने ठगोरे किस तरह से ठगने के नये-नये तरिके कर रहे निजात।