
नायक साहब का तुगलकी फरमान ऐसा था की पंचायत सचिव खो बैठता अपनी नौकरी
माही की गूंज, खवासा।
शिवराज सरकार में तंत्र किस तरह से कुंभकर्णी की नींद में सोया है यह तो हर किसी को दिखाई दे रहा है। तो वही शिवराज की भाजपा सरकार में प्रशासन के नुमाइंदे अपने तुगलकी फरमान ऐसे-ऐसे जारी कर देते हैं कि, मानो पूरी कानून व्यवस्था उनकी जागीर है और वह जो कह दे वही सही बाकी सब गलत होता है।
बात करें खवासा की टप्पा तहसील की तो यहां पर पदस्थ प्रशासनिक नुमाइंदे के रूप में नायब तहसीलदार अनिल बघेल, अपनी मन मर्जी के मालिक हैं। शासकीय अवकाश को छोड़ प्रतिदिन खवासा ठप्पा तहसील में बैठ नायब तहसीलदार अनिल बघेल को कार्य करना है, लेकिन वह अपनी मनमानी के चलते सप्ताह में एक दिन गुरुवार को ही खवासा टप्पा तहसील में बैठ अपने कार्य की इतिश्री कर रहे है। यह सब कारवा जिला प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद, जिला प्रशासन के मुखिया कुंभकर्णी नींद में सोए होने के कारण क्षेत्र की जनता खवासा में टप्पा तहसील होने के बाद भी उनके कार्य समय पर नहीं होने के चलते परेशानी झेल ही रहे हैं।
वही अपनी दोहरी कार्यप्रणाली के चलते नायब तहसीलदार अपने तुगलकी फरमान के साथ यह भी सिद्ध कर रहे कि, उनमें नायब तहसीलदार के पद का कितना ख्याल है और वे उस पद की गरिमा को किस तरह से धूमिल कर रहे हैं।
आवेदन प्राप्त कर मोरम खनन करवाने का तुगलकी फरमान दिया खवासा सचिव को, बाद में मुकरे अपनी जुबान से
दोहरी कार्यप्रणाली के साथ अपने कार्य की इतिश्री करने वाले खवासा नायब तहसीलदार ऐसे भी तुगलकी फरमान जारी कर देते हैं कि, अगर उनके फरमान मानकर कोई कर्मचारी कार्य कर दे तो उसे उसकी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। इसका एक उदाहरण पटवारी रूपसिंह भूरिया बन चुके हैं, जिन्हें कलेक्टर की कार्रवाई के साथ निलंबित होना पड़ा था।
वही एक-दूसरा और मामला सामने आया जिसमें खवासा पंचायत में पदस्थ सचिव कांतिलाल परमार को मौखिक रूप से अपना तुगलकी फरमान नायब तहसीलदार अनिल बघेल ने दिया कि, आप खवासा पंचायत में उन व्यक्तियों के आवेदन प्राप्त करो जिन्हें स्थानीय स्तर पर मकान बनाने या उसके आवश्यक कार्य हेतु मोरम की आवश्यकता हो और आवेदन प्राप्त करने के साथ पंचायत स्तर पर मोरम का एक निर्धारित शुल्क तय कर मोरम खनन की परमिशन दी जाए।
बता दें कि, ग्रीष्मऋतु में खवासा में पेयजल की समस्या अत्यधिक होती है। ग्राम में पिछले ग्रीष्मऋतु में कमलेश पिता शंभूलाल पटेल अपने निजी ट्यूबवेल से टैंकर के माध्यम से गांव में निःशुल्क पानी सप्लाई पीने हेतु कर रहे थे कि, उनके खेत में ट्यूबवेल तक जाने का रास्ता खराब होने के कारण पंचायत द्वारा 10 ट्रिप मोरम जेसीबी मशीन के माध्यम से खराब रास्ते पर डालने हेतु कमलेश पटेल के नाम से पंचायत से सचिव कांतिलाल परमार ने पत्र क्रमांक 106/09 जुन 2022 का जारी किया।
उक्त पत्र के आधार पर कमलेश पटेल ने खवासा की एक शिनराई जेसीबी मशीन को ले गए और खराब रास्ते पर मोरम डालने हेतु मात्र तीन ट्रिप ट्रैक्टर में भरी ही थी कि, नायक साहब की दोहरी कार्यप्रणाली के चलते उक्त मशीन को पकड़ा, साथ ही एक अन्य मशीन जो ग्राम में मकान निर्माण हेतु ले जा रहे मोरम का खनन कर रही थी, दोनों मशीन की जब्ती के साथ अपनी अफसरशाही झाड़ प्रकरण बनाया। वही 8 लेन निर्माण कंपनी वालो ने करोड़ों घनमीटर मोरम अनाधिकृत खदानों से बिना रॉयल्टी के खनन कर सड़क निर्माण के लिए ले गए वहीं क्षेत्र में भी मोरम को डंपरो से बेचा गया पर उन पर कोई बड़ी कार्यवाही साहब ने नहीं की। जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों में प्रशासनिक दोहरी कार्यप्रणाली के चलते नाराजगी भी जताई। जिसके बाद खवासा में जिस किसी को भी मोरम की आवश्यकता होती है या ग्राम पंचायत को ही मोरम की आवश्यकता होने पर बिना परमिशन के कोई भी जेसीबी मशीन मालिक मोरम खनन करने हेतु अपनी मशीन नही भेज रहा है। जब भी कोई मोरम हेतु मशीन संचालकों के पास जाते हैं तो वह नायब तहसीलदार या खनिज विभाग की परमिशन या रॉयल्टी होने पर ही मशीन व ट्रेक्टर भेजने की बात कही जा रही है।
जिसके कारण जिस किसी को मोरम की आवश्यकता पड़ रही है वह अपनी परेशानी के साथ नायब तहसीलदार अनिल बघेल के पास जा रहे। जिसके बाद उपरोक्त तुगलकी फरमान मौखिक रूप से खवासा सचिव कांतिलाल परमार को दिये कि, पंचायत आवेदन प्राप्त कर निर्धारित शुल्क के साथ मोरम खनन करने की परमिशन दे दे। पंचायत सचिव भी साहब के मौखिक आदेश पर खुष हो गया और साहब के दिए निर्देश व क्षेत्रवासियों को मिलने वाली सुविधा का हवाला देकर समाचार संकलन हेतु गूंज कार्यालय आया। लेकिन साहब के तुगलकी फरमान को यह पत्रकार समझ गया और सचिव को कहा अगर साहब ने कोई आदेश दिए हैं तो वह लिखित में होना चाहिए और साहब के आदेश अनुसार प्रावधान हे तो उसी लिखित आदेश का हवाला देकर पंचायत मोरम शुल्क निर्धारित कर, दे सकती है। सचिव ने कहा पंचायत को लिखित में नायब तहसीलदार अनिल बघेल ने आदेश जारी नहीं किया है, मुझे मौखिक में ही निर्देश दिए हैं, मैं लिखित आदेश साहब के पास जाकर ले लेता हूं कहकर सचिव गूंज कार्यालय से चला गया।
सचिव जब पुनः नायब तहसीलदार के पास लिखित आदेश लेने गया तो दोहरी नीति वाले भ्रष्ट नायब तहसीलदार अनिल बघेल ने सचिव को लिखित में आदेश देने से इनकार कर दिया। जब जाकर सचिव को समझ आया कि, अगर गूंज कार्यालय नहीं जाता तो तय हे साहब के तुगलकी आदेश से ग्राम पंचायत में आवेदन प्राप्त कर निर्धारित शुल्क तय करने के बाद भी मोरम की परमिशन देता तो उसकी नौकरी जाकर उसके बीवी-बच्चे को नायब तहसीलदार भूखे मार देते।
इस संबंध में गूंज प्रतिनिधि ने जिला खनिज अधिकारी राकेश कनेरिया से बात की तो बताया, नायब तहसीलदार या कोई भी अधिकारी इस तरह से मोरम की परमिशन के लिए पंचायत को अधिकृत नहीं कर सकते है। खनिज विभाग के नियमानुसार खदान अलॉट होती है और जिसके नाम से जिस रकबे की खदान अलॉट होती है उसी स्थान से खदान अलाट वाला व्यक्ति खनिज विभाग की गाइडलाइन अनुसार रॉयल्टी काट कर ही मोरम खनन कर सकते हैं। श्री कनेरिया ने बताया कि, ग्राम पंचायत में कोई विकास कार्य हो तो चाहे व पंचायत का कार्य हो या किसी विभाग का तो भी, ग्रामसभा में कार्य का विस्तृत उल्लेख कर किस रकबे से और किस स्थान पर विकास कार्य हेतु मोरम, वह भी कितनी मात्रा में ले जाना है का प्रस्ताव पारित करने एवं उक्त प्रस्ताव की प्रति दिनांक के उल्लेख के साथ तहसील कार्यालय से लेकर खनिज विभाग तक उक्त प्रति देना होती है, जिसके बाद ही ग्राम पंचायत हो या किसी भी विभाग का विकास कार्य हो तो मोरम ले जाकर कार्य कर सकते हैं। अन्यथा ऐसा नहीं करने पर पंचायत का कार्य हो या किसी अन्य विभाग का शासकीय कार्य होने पर भी कोई भी मोरम ले जाता है तो वह अवैध ही माना जाएगा और मोरम ले जाने वाले व्यक्ति चाहे शासकिय हो या अशासकीय के विरुद्ध प्रकरण बन जाएगा।
पंचायत सचिव को तुगलकी आदेश जारी करने वाले नायब साहब ने पंचायत द्वारा जारी पत्र के बाद भी जप्त कर ली थी मशीन।
थुक कर चाटने वाले व दोहरी कार्यप्रणाली वाले भ्रष्ट नायब साहब अनिल बघेल।