
झकनावदा
माही की गूंज, पेटलावद/रायपुरिया/झकनावदा/करवड़।
सोमवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। इस तिथि पर तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर मन्नतें लेकर छतरी चढ़ाते है। पूरे क्षेत्र में आज तेजा दशमी की धूम रही। शहरी क्षेत्र सहित आदिवासी अंचल में जगह-जगह तेज़ाजी के ओटले पर निशान चढ़ाने के लिए जुलूस के माध्यम से निकले। पेटलावद, दुलाखेड़ी, रायपुरिया, झकनावदा, रामपुरिया, अमरगढ़, नाहरपुरा, असालिया, करडावद, सारँगी, बेकलदा, जामली सहित क्षेत्र भर में बेंड बाजे के साथ गांव में सभी निशान को जगह-जगह छतरी निशान को पूजन कर सम्मलित किया। गांव में भृमण कर मंदिर पर पहुचे कर महाआरती के पश्चात तांती तोड़ने का कार्यक्रम किया। इस दिन तेजा जी महाराज के मंदिरों में मेला लगता है और भक्त तेजाजी को रंग-बिरंगी छतरियां चढ़ाते हैं। मान्यता है कि, तेजाजी की पूजा करने से सर्प दंश का भय नहीं रहता है। इसी वजह से ग्रामीण इलाकों में तेजा जी महाराज के भक्तों की संख्या काफी अधिक होती है।
तेजा दशमी पर तेजाजी की निशान यात्रा का निकाला गया जुलूस
माही कि गूंज, झकनावदा।
भादवा मास की बड़ी दशमी पर धूमधाम से मनाई गई। सूर्य वीर तेजाजी महाराज की दशमी पर मन्नत धारियों ने निशान चढ़ाकर अपने मन्नत उतारी। ग्राम के तेजाजी मंदिर पर भक्तों का दर्शन करने का ताता लगा रहा। साथ सुबह बस स्टैंड से ढोल-ठमाकों के साथ निशान यात्रा निकाली गई। यात्रा की शुरुआत तेजाजी मंदिर के पुजारी के घर से गांव के मुख्य मार्गो से होते हुए मंदिर पर पहुंची, वहां पर जहरीले जानवर के काटने पर बांधी गई तांती आज के दिन काटी जाती है। कहते कि, कोई सा भी जहरीला जानवर काट लेता है तो तेजाजी महाराज के नाम से तांती या धागा बांधा जाता है तो शरीर में जहर नहीं चढ़ता है। यह चमत्कार आज भी जीवित है। तेजा दशमी के 1 दिन पूर्व रात्रि में तेजाजी महाराज का जागरण होता है और रात भर भजनों के माध्यम से जागरण किया जाता है। निशान यात्रा में ग्राम के गणमान्य नागरिक निशान लेकर चल रहे थे।
रामपुरिया
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी तेजा दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया
माही की गूंज, करवड़।
पाटीदार भालोड मोहल्ला एवं बस स्टैंड पर से तेजाजी महाराज की निशान यात्रा नगर भ्रमण कर मंदिर पर निशान चढ़ाए गए। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन वीर तेजाजी की पूजा करने की परंपरा है। जाट समुदाय के आराध्य देव तेजाजी महाराज को सांपों के देव के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि, कितना भी जहरीला सांप काट ले तो तेजाजी की ताती बांधी जाए तो वह जहर उतर जाता है। वीर तेजाजी महाराज का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में हुआ था।
यह त्योहार मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान के कई इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है। तेजा दशमी के अवसर पर कई स्थानों पर मेलों का आयोजन होता है। कहीं जगह शोभायात्रा भी निकाली जाती है और भंडारा प्रसादी का आयोजन भी किया जाता है। सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर मंदिर आते हैं। आसपास के गांवों में भी तेजा दशमी पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया। गांव के नरवर सिंह सोलंकी, अनोखी लाल पाटीदार, संतोष भालोड, महेश भालोड, नंदलाल पाटीदार, अरुण भोला पाटीदार, भैरू सिंह चौहान, राघवेंद्र झाला, नंद लाल भालोड एवं गांव के कई वरिष्ठ पुरुष एवं महिला ने दर्शन किए एवं तेजा दशमी पर्व की की गांव एवं प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं दी।
करवड़