41 बड़े व 290 होंगे छोटे पुल के निकले टेंडर, प्रक्रिया हुई शुरू, दावा 2024 में इंदौर-धार के बीच ट्रेन दौडऩा होगी शुरू
माही की गूंज, रतलाम/झाबुआ।
रेलवे में लंबे समय से रुकी हुई इंदौर-दाहोद रेल लाइन के टेंडर जारी कर दिए है। वर्षो से कछुवा गति से चल रहे इस लाइन के कार्य मे दावा किया जा रहा है कि, 2024 में इंदौर-धार के बीच ट्रेन दौडऩा शुरू हो जाएगी। रेलवे की और से करोडों रुपये के टेंडर जारी किये जाने की जानकारी सामने आई है ।
शुरू हुई टेंडर प्रक्रिया 5 मई तक भरना होगा टेंडर
रेल मंडल के दाहोद-इंदौर वाया सरदारपुर, झाबुआ, धार 204.76 किमी लंबी नई रेल लाइन प्रोजेक्ट को रेलवे बोर्ड के द्वारा फिर शुरू करने की मंजूरी के बाद विभाग ने टेंडर जारी किए गए है। इसको भरने के लिए 5 मई तक का समय दिया गया है। इस टेंडर में लाइन के दौरान बनने वाले सभी छोटे-बड़े 300 से ज्यादा पुलो के टेंडर होना है। इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2020 में रोक लगाई गई थी। लेकिन अब दावा है कि, इसे जल्दी से पूरा किया जाएगा। इससे इस क्षेत्र का सामाजिक व आर्थिक विकास भी हो सकेगा। 2008 में मंजूर की गई इस रेल परियोजना को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य लिया गया था। 14 साल होने के बाद भी कई निर्माण कार्य अधूरे है।
मध्यप्रदेश व गुजरात शामिल है योजना में
रेल मंडल के अनुसार इस प्रोजेक्ट को रेल मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2007-08 में 678.54 करोड़ की लागत से स्वीकृत किया गया था तथा जून 2012 में रेलवे बोर्ड द्वारा विस्तृत आकलन के साथ 1640.04 करोड़ स्वीकृत किया गया था। इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 204.76 किमी है। इसमें 21 किमी गुजरात तथा शेष 183.76 किमी मध्यप्रदेश में पड़ता है। प्रोजेक्ट का दो खंडों इंदौर-राऊ 12 किमी व राऊ-टीही 9 किमी का काम जून 2016 व मार्च 2017 में कार्य पूरा होकर 21 किमी खंड कमिशन हो चुका है। वर्ष 2020 में इस प्रोजेक्ट को रोका गया था तथा मई 2020 से कार्य को बंद कर दिया गया था। अब इस कार्य को शुरू किया जाएगा। रेलवे जानकारों का कहना है कि, इंदौर से टीही तक का काम पूरा हो चुका है लेकिन इस पर अभी कंटेनर ट्रेन चलाई जा रही है। उधर, छोटा उदयपुर से धार के बीच का काम भी जल्द पूरा होने वाला है। इससे निकट भविष्य में इंदौर, छोटा उदयपुर तक जुड़ सकता है। वहीं यह लाइन पीथमपुर के लिए महत्वपूर्ण है। टीही से जाने वाले कंटेनर निकट भविष्य में वडोदरा होकर जल्दी मुंबई पहुंच सकेंगे। धार भी एक बड़ा जक्शन बनकर उभरेगा। इंदौर से जाने वाली ट्रेनें गुजरात होकर जल्द ही महाराष्ट्र पहुंच सकेंगी। वहीं इंदौर से मुंबई की दूरी भी कम हो सकती है। खंडवा की तरह यहां से कई ट्रेनें संचालित हो सकेंगी।
आदिवासी बहुल इलाके के विकास के लिए महत्वपूर्ण इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट
प्रदेश का आदिवासी बहुल इलाका धार-झाबुआ इसी प्रोजेक्ट की आस में खुद के तीव्र विकास का सपना देख रहा है। 8 फरवरी 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसका काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है, वहीं प्रोजक्ट की लागत भी बढ़ती जा रही है। विनीत गुप्ता मंडल रेल प्रबंधक का कहना है कि, दाहोद-इंदौर रेल परियोजना को तेजी से पूरा करने को कहा गया है। इसके लिए टेंडर जारी हो चुके है। इससे काम में गति आएगी। झाबुआ और धार पहली बार रेल लाइन होने का सपना अगर पूर्ण होता है तो अंचल के आदिवासियों सहित व्यापारियों को इसका सीधा फायदा ट्रेनों के आवागमन से होगा और आदिवासी जिले का विकास भी होगा।
इस प्रकार अब तक लाइन के कार्य को लेकर हुई तैयारी
- 2008 में प्रोजेक्ट स्वीकृत।
- 200 किलोमीटर लंबी रेल लाइन।
- 3 साल में काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- 1640 करोड़ का प्राजेक्ट बढ़ कर 2000 करोड़ हुआ।
- 847 करोड़ रुपये खर्च हो चुके अब तक।
- 21 किलोमीटर तक का काम पूरा इंदौर से टीही के बीच।
- 16 किलोमीटर तक काम पूरा दाहोद से कठवाड़ा के बीच।
- 331 पुल, जिसमें 41 बड़े और 290 छोटे।
- 32 छोटे-बड़े कुल रेलवे स्टेशन रहेंगे।