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वार्ड क्रमांक 20 में विकास का अभाव गंदगी से लोग परेशान, सचिव को ही पता नही वार्ड क्रमांक 20 कहा है तो फिर विकास कैसे ?
माही की गूंज, बामनिया
जिले भर में अपने घोटालों के लिए चर्चा में बनी रहने वाली बामनिया पंचायत अब भाजपा कार्यकर्ताओं और भाजपा समर्थित जनता को परेशान करने पर आमादा हैं, तो बाकी आम स्थिती क्या होगी समझा जा सकता है, वार्ड क्रमांक 20 जो अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य बस्ती हैं और यहां के रहवासी वर्षों से भाजपा को समर्थन करते आ रहे है। लेकिन इनके दुर्दिनों की शुरूआत हुई तब वर्तमान सरपंच चुनाव जीतकर आई उसके बाद से इनकी बस्तियों में जल प्रदाय, नालियों की सफाई, कचरा परिवहन वाहन जैसी सुविधाएं बंद कर दी गई। अचानक इस भेदभावपूर्ण रवैये से हतप्रभ रहवासियों ने शुरुआत में इसे नए सरपंच की कोई नई योजना का हिस्सा मानकर मोन रहे लेकिन धीरे-धीरे इस भेदभावपूर्ण रवैये को समझने लगे। वार्ड क्रमांक 20 के पश्चिमी भाग में जाने के लिए एकमात्र रास्ता है उस रास्ते पर कच्ची नाली है जिसका पानी रास्ते पर फैला रहता है ओर गंदगी से पटा पड़ा हुआ हैं उस मार्ग पर सीमेन्ट कंक्रीट कर पक्की नाली निर्माण की मांग करते हुए मोहल्ले के बाशिंदों को विगत तीन वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो गया लेकिन कोई सुनवाई पंचायत द्वारा नही की है। कई बार लोगो ने पंचायत में आवेदन दिए मगर भ्रष्टाचार की वैतरणी में डुबकी मारने वालों को इन रहवासियो की तकलीफ दिखाई नहीं दे रही हैं। पानी का टेंकर तक नही पहुँच सकता, यहां तक कि कचरा परिवहन करने वाला वाहन भी इस बस्ती में नही भेजा जाता है जिसके कारण मजबूरी में यहां के लोग अपना कचरा फेंकने खुद आधा किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाते है। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है बारिश में जब 100 से अधिक घरों की गंदगी एक साथ बारिश के पानी के साथ इस बस्ती में घुस जाती हैं और पूरी बारिश यहां के लोगो को जहरीले जीव-जंतुओं से खतरा बना रहता है। तमाम मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन काटने वाले इन लोगो ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेटलावद को भी आवेदन किया था, किंतु कहते है गरीब का कोई नहीं होता वहां भी स्वयंभू सरपंच जो पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर इन लोगो को हीन दृष्टि से देखता है ने उन तमाम आवेदनों के बारे में एवं निर्माण की मांग को राशि का अभाव बताकर अधिकारियों को भ्रमित कर दिया और इस बस्ती के रहवासियों को ज्यादा प्रताड़ित करना शुरू कर दिया ओर एक ईंट भी नही लगेगी जैसे शब्दों का प्रयोग करने लगे। गरीब लोग जो रोजी-रोटी के लिए दिनभर संघर्ष करते हैं वो इस धनाढ्य समर्थक सरपंच से बैर ले उसके चुनोती भरे प्रताड़ना के शब्दों से मुकाबला करने के बजाए गंदगी, अंधेरे और अव्यवस्था को अपनी नियति मानकर फिर से कोई नया सरपंच आएगा वो काम करेगा कहकर अपने जीवन संघर्ष में जुट जाते है कि, वो सुबह कभी तो आएगी कभी तो ये अंधियारा छटेगा सूरज निकलेगा।
मामले में पूर्व जनजाति मोर्चा के महामंत्री रमेशचंद्र बसोड़ कहते है कि, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग इस मोहल्ले में रहते हैं यहां सरपंच द्वारा विगत तीन वर्षों से अधिक समय से भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है जो कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की अंत्योदय की परिकल्पना एवं भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति के खिलाफ है भाजपा समर्थित सरपंच होकर भाजपा के लोगो एव मतदाताओं के साथ दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है जिसकी शिकायत में माननीय मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीड़ी शर्मा से करूंगा ओर इस सरपंच के पूरे कार्यकाल की जांच भी करवाउंगा।
पंचायत की अनिमितताओं के संबंध में पेटलावद ब्लॉक के कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कय्यूम शेख का कहना है कि, वर्तमान सरपंच का अभी तक का पूरा कार्यकाल विवादों से घिरा हुआ है और भाजपा सरपंच ने एससी, एसटी वर्ग के लोगो को केवल अपना वोट बैंक बना रखा है उनकी बस्तियों में कोई भी विकास कार्य नही किया गया है। जिस तरह से वार्ड क्रमांक 20 के लोग गंदगी और अभाव का नारकीय जीवन जी रहे है उसके लिए बामनिया की भाजपा समर्थित सरपंच जिम्मेदार हैं और जिस तरह से भ्रष्टाचार की खबरे आ रही है उसके बाद तो सरपंच को खुद ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और अब भी इसी तरह भ्रष्ट कार्यशैली नही छोड़ी तो बामनिया पंचायत की जांच की मांग की जाएगी।
प्रभारी सचिव भेरूलाल मैंडा ने उक्त मामले में बताया कि, बामनिया में वार्ड क्रमांक 20 कहा है, मेरी जानकारी में नही है, हमने दो वर्ष पूर्व कार्य के प्राक्कलन तैयार कर शासन को भेजे हैं किंतु विगत दो वर्ष से एक भी पैसा निर्माण कार्य के लिए सरकार द्वारा नही दिया गया है जब भी मप्र शासन पैसा देगा पूरे गांव के रोड नाली बनवा दिए जाएंगे।