माही की गूंज, खवासा।
कई मामलों में व्यक्ति हो या कोई संस्थान जिनके नाम के आधार पर ही उनकी व्याख्या की जाती है और व्यक्ति हो या संस्थान अपने निर्धारित नाम के साथ ही अपने कार्य को भी अंजाम देते हैं। परंतु शायद यह बात कहने और सुनने के लिए ही रह गई है।
बात करें पेटलावद आदर्श स्कूल की तो, इस स्कूल का नाम भले ही आदर्श से हो पर इनके आदर्श कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। खवासा की एनएचपीएस उर्फ बचपन स्कूल के डिफाल्टर संचालक की वजह से पिछले दो वर्षों से हाई एवं हाई सेकेंडरी स्कूल की मान्यता रद्द हो गई थी। देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के साथ खिलवाड़ व उनमें एक गलत संदेश स्थापित कर, दूसरे वर्ष आदर्श स्कूल पेटलावद में डमी एडमिशन कर उनके आदर्श का स्तर शिक्षा के क्षेत्र में कैसा है सार्वजनिक किया। किस तरह से फर्जी एवं डमी एडमिशन दूसरे ब्लॉक के बच्चों के आदर्श स्कूल में कर शिक्षा विभाग की आपसी सांठ-गांठ के साथ कर दिए गए, जिन बच्चों को संस्था संचालको ने एक नजर से देखा भी नहीं था। इतना ही नहीं ये तय है, बच्चों के किसी भी स्कूल संस्था में न्यू एडमिशन के साथ ही बोर्ड की परीक्षा के फॉर्म भरते समय से लेकर एग्जाम तक, कहीं ना कहीं एडमिशन स्कूल संस्था में बच्चों या पालको के हस्ताक्षर होते हैं। पर आदर्श स्कूल में किस आदर्श संहिता के तहत यह हस्ताक्षर कार्य, बच्चों व पालक के स्कूल तक नहीं आने के बाद भी किस टेक्निक से करवाए होंगे, यह तो वही जाने। पर इस तरह शैक्षणिक व्यवस्था के साथ शिक्षा विभाग की कार्य व्यवस्था में पर भी प्रश्नचिन्ह जरूर लगा रहे है, जो चिंतनीय है।
एनएचपीएस उर्फ बचपन स्कूल खवासा।