माही की गूंज, बामनिया।
सरकार आमजन की सुविधाओं के लिए चाहे कितने भी जतन कर ले, अगर जमीनी स्तर पर व्यवस्था ठीक नही हो तो सरकार की करोड़ो की योजना भी धूल चाटती नजर आती है। ऐसा ही कुछ ग्राम पंचायत बामनिया में देखने को मिल रहा है, जहां सरकार ने ग्राम के पेयजल संकट से निपटने के लिए पांच वर्ष पहले ढाई करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। लेकिन वर्तमान तक न तो पीएचई और न ही ग्राम पंचायत ये कह सकती हैं कि, शासन की योजना पूर्ण रूप से धरातल पर उतर गई है, जबकि सरकार के आंकड़े में बामनिया का पेयजल संकट समाप्त हो चुका है।
नही मिल रहा समय से पानी
ढाई करोड़ की योजना का कार्य शुरू होने पर आमजन को यकीन था कि, उन्हें रोज नल या फिर हप्ते में तीन से चार बार नलों से पानी मिल पाएगा, लेकिन अव्यवस्था का शिकार हुई योजना के कारण ग्रामवासियों को पानी नही मिल पा रहा है। हर 8 से 10 दिन में पंचायत की व्यवस्था गड़बड़ा जाती है और 15 से 20 दिनो तक लोगो को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। बीते एक माह में मुख्य मार्ग, प्रिंस प्रशांत मार्ग पर ये ही स्थिति बनी हुई है, यहां विगत एक माह में लोगो को नल से जल तीन से चार बार ही मिल पाया हैं अभी विगत दस दिनों से इस मार्ग के निवासी पानी के लिए अन्य स्रोतों के भरोसे है और पानी खरीद कर काम चलना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हाल चित्तोरुंडी, मेला ग्राउंड की भी जहाँ अल सुबह से निजी होल जो कि, लोगो की फ्री में सेवा कर पानी दे रहे है वहां भीड़ देखी जा सकती है। यहां से छोटे-छोटे मासूम बच्चे अपने सर पर भारी वजन उठाकर पानी ले जाने पर मजबूर हैं। अब करोड़ो की योजना किस काम की जो मासूमो के सर का बोझ भी कम न कर सके।
फिल्टर प्लांट से नहीं मिल रहा पीने का पानी
कहने को तो नल जल योजना में पानी का फिल्टर प्लांट लगा हुआ है, जिसका कार्य लाड़की बैराज से आने वाले पानी को फिल्टर कर पीने योग्य बनाकर सप्लाई करना था। लेकिन प्लांट लगने के बाद से ही फिल्टर प्लांट ने एक बार भी पीने योग्य पानी नही दिया। नलों से आने वाला पानी मटमैला और बदबूदार होने के कारण कोई इसे पीने के उपयोग में नही लेता है, जिससे ग्रामवासियों को पीने के पानी की भारी किल्लत उठानी पड़ती है और निजी खर्चे से टैंकरों के माध्यम से पानी खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है। ग्राम में हैडपम्प की स्थिति ठीक नही है ज्यादातर हैंडपंप बन्द या खराब ही पड़े हैं, जिससे निचली बस्तियों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जो लोग मजबूरी में नलों से मिल रहे पानी को पी रहे हैं, जिस कारण वहां बीमारियों का प्रकोप बढ़ना तय है।
नई पाइप लाइन अभी भी नही हो सकी शुरू, न ही होने की संभावना
कहने को तो पूरे ग्राम में नल-जल योजना के माध्यम से नई पाइप लाइन बिछाई गई लेकिन बिना योजना के ठेकेदार द्वारा मनमाने ठंग से लाइन डाल दी गई, वही ग्राम पंचायत ने भी इस और ध्यान नही दिया, जिसके चलते ग्राम के कई वार्डो में नई पाइप लाइन से पानी का सप्लाई शुरू नही हुआ है और न ही होने की संभावना है। वही ग्राम में कई वार्डो में ग्राम पंचायत को पाइप लाइन अलग से बिछानी पड़ी, ऐसे में ढाई करोड़ की योजना केवल सरकारी आंकड़े की शोभा बढ़ाने के अलावा कुछ नही कर रही है।
पूर्व उपसरपंच अजय जैन का आरोप है कि, हमारे कार्यकाल में स्वीकृत हुई योजना को वर्तमान पंचायत और पीएचई विभाग मिलकर भी ठेकेदार से योजना व्यवस्थित जमीन पर नही उतार सके ओर उसी के चलते आज इतनी बड़ी योजना के बाद भी ग्राम की जनता को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।