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चुनाव आयोग की जिम्मेदारी की पूर्ण समीक्षा करना आवश्यक
माही की गूंज, झाबुआ
मद्रास हाई कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग पर की गई तल्ख टिप्पणी के पश्चात अब यह जरूरी हो गया है कि, चुनाव आयोग के कार्यों की समीक्षा की जाना चाहिए। निःसंदेह हमारे संविधान में चुनाव आयोग से यह अपेक्षा की गई थी कि, वे स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए देश में निर्भीक व निष्पक्ष चुनाव का संचालन करें और अब तक चुनाव आयोग ने अपनी इस भूमिका का पूरी ईमानदारी से पालन भी किया है। लेकिन गत वर्ष कोरोना महामारी के पश्चात आयोग की भूमिका चुनौतीपूर्ण हो गई है, निश्चित रूप से आज देश में चुनाव से ज्यादा जरूरी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करना है। पांच राज्यों के हालिया चुनाव में आयोग के कार्यों को भी कोर्ट की फटकार लगाना इस बात का संकेत है कि, आयोग लोगों की जान की परवाह किए बिना चुनाव की ज्यादा चिंता करता नजर आया। नतीजा महामारी की इस दूसरी लहर ने पूरे देश में हाहाकार मचा दिया है, स्थिति यहां तक बन गई है कि, श्मशान में शवों को भी लाइन में लगाना पड़ रहा है। बेहतर यही होता कि सरकार व आयोग चुनाव से पहले आपदा प्रबंधन की योजना बनाते, अगर चुनाव 6 महीने टाल भी दिए जाते तो भी कोई बहुत बड़ी आफत नहीं आ जाती।
उपचुनाव की समीक्षा आवश्यक
भारतीय संविधान में विशेष परिस्थितियों में उपचुनाव का प्रावधान किया गया था, लेकिन कुछ लोगों की अति महत्वकांक्षा ने इसे अपना हथियार बना लिया है और दल बदलू नेताओं के लिए यह ‘‘अंधेरे कमरे में जलती रोशनी‘‘ साबित हो रहा है। अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए नेता इस्तीफा देते है पूरे प्रशासन को जन हितेषी मुद्दों से मोड़ कर चुनावी समर में धकेल देते हैं। ये ही नहीं जो पैसा जनता के विकास कार्य में लगना चाहिए वह चुनावी प्रचार व व्यवस्था में खप जाता है। अब समय आ गया है कि, चुनाव आयोग इनकी समीक्षा करें, आम जनता की जान को किसी के व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिए जोखिम में डालना कहां तक उचित है? आम जनता भी बार-बार होने वाले चुनावों से ऊब चुकी है और जनता भी अब इसमें परिवर्तन चाहती है। बेहतर यही हो कि चुनाव आयोग स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले सांसद या विधायक से उपचुनाव का पूरा खर्च वसूले या स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले के निकटतम प्रतिद्वंदी को शेष कार्यकाल के लिए मनोनीत घोषित कर दिया जाए। संविधान में उपचुनाव की व्यवस्था विशेष परिस्थितियों (किसी का निधन) होने पर की गई थी अगर ऐसी स्थिति निर्मित हो तो उपचुनाव साधारण रूप से स्थानीय नेताओं द्वारा ही लड़ा जाना चाहिए न कि पूरी सरकार को चुनाव में लगना चाहिए।
एक देश एक चुनाव पर हो सार्थक चिंतन
अब समय आ गया है कि, देश एक चुनाव के मुद्दे पर सार्थक व गंभीरता से चुनाव के लिए सभी दल चिंतन करें क्योंकि आम जनता में अब नेताओं की छवी लगातार गिरती जा रही है और बार-बार होने वाले चुनाव इसमें आग में घी डालने का काम कर रहे है, सभी दल इस बारे में गंभीरता से चिंतन करें और 5 वर्ष में केवल एक बार चुनावी समर में उत्तरे व अपनी योजनाओं को जनता के सामने रखें, अगर सत्ता मिले तो ठीक वरना जो भी सरकार बनाएं उसका रचनात्मक सहयोग करें। कुछ ऐसी ही कल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने भी की थी। लेकिन व्यक्तिगत स्वार्थ देशहित पर भारी हो गया और चुनाव में इतनी विकृति आ गई है आज चुनाव वैचारिक मतभेद नहीं मनभेद के कारण बन चुके हैं। पश्चिम बंगाल में चुनाव के पश्चात हो रही हिंसा इसका जीता जागता उदाहरण है।
सरकार की भूमिका भी तय हो
वर्तमान महामारी ने देश की जड़ें हिला दी है चारों और मौत का तांडव मचा है सरकार की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है, अब समय आ गया है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी तय करें, आम जनता को सरकार से बेहतर शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद रहती है और यह आम जनता का अधिकार भी है। आज ऑक्सीजन व जीवन रक्षक दवाइयों की कमी से भी कई लोग काल के ग्रास में समा रहे हैं, जिसमें सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है। सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस महामारी में अगर धन की कमी आ रही है तो अन्य योजनाओं में कटौती कर इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर तय करें, लोगों की जान से बढ़कर कुछ भी नहीं हो सकता है।
पूरा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहभागी बने
अब समय आ गया है कि, हम सारे राजनीतिक मतभेद भुलाकर कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दे और इस लड़ाई में देश का प्रत्येक नागरिक सहभागी बने। नेता अपनी राजनीतिक विचारधारा छोड़कर सरकार का साथ दे व आम जनता, सरकार के दिशा निर्देशों का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करें, तभी हम इस महामारी पर महा विजय प्राप्त कर सकते हैं। आज पूरे देश में जिस प्रकार इस महामारी ने कोहराम मचाया है उससे दोगुने जोश के साथ इसका मुकाबला करने के लिए देश का प्रत्येक व्यक्ति खड़ा रहे, तभी इससे मुकाबला किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति मास्क लगाएं, 2 गज की दूरी रखें, हाथों को सेनीटाइज करते रहे और वैक्सीन अवश्य लगाएं।
‘‘जीतेगा भारत हारेगा कोरोना‘‘