ग्राम पंचायत में लापरवाही का बड़ा मामला आया सामने, महापुरुषों की तस्वीरों को डाला कचरे के ढेर में
मीडिया के कवरेज की जानकारी लगते ही उठवा दी कचरे में पड़ी तस्वीरे
माही की गूंज, बामनिया
चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाले भाजपा के नुमाइंदे अपनी हरकतों से लगातार भाजपा को लजवा रहे हैं। आलम ये हो गया है कि, जिस दल से जुड़े हैं उनका न तो सम्मान करते हैं, न ही उस दल की नींव रखने वाले का, न ही देश के संविधान लिखने वाले और न ही उसका जिसको ये भारत माता के नाम पर पूजकर अपना वोट बैंक खड़ा कर रहे हैं।
मामला ग्राम पंचायत बामनिया का है जहां भ्रष्टाचार के समंदर में गोते लगा रही पंचायत, पहले फर्जी मार्केट की आड़ में देश की आन-बान-शान तिरंगे स्थल को भी बेचकर खा गई। एक बार फिर ग्राम पंचायत सुर्खियों में आई है, भाजपा समर्थित ग्राम पंचायत बामनिया के जिम्मेदार सरपंच-सचिव ने ऐसे कर्मकांड को अंजाम दिया है, जिसको देखकर हर कोई पंचायत की निंदा कर रहा है।
संस्कार, संविधान और आदर्श कचरे के ढेर में, भारत माता सहित महापुरुषों की तस्वीरों को डाला कूड़े के ढेर में
ग्राम पंचायत बामनिया के पीछे से गुजर रहे नाले के पास पड़े कचरे के ढेर में जब कुछ युवाओं ने कचरे में भारत माता, संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अम्बेटकर और भाजपा की नींव रखने वाले श्याम प्रसाद मुखर्जी की तस्वीर देखी जिसकी जानकारी मीडिया को दी। जानकारी मिलने पर पत्रकारो ने मौके पर पहुँचकर फ़ोटो व वीडियो बनाए। कूड़े के ढेर में पड़ी महापुरुषों की तस्वीरों के साथ ग्राम पंचायत में आने वाले आवेदन और निजी दस्तावेज भी कचरे के ढेर में पड़े थे। बताया जा रहा है कि, इन तस्वीरों के साथ महात्मा गांधी की तस्वीर भी फेंकी गई थी, जो किसी के द्वारा उठा ली गई। ये तस्वीरे ग्राम पंचायत में लगी रहती थी, लेकिन मद में मस्त ग्राम पंचायत ने भारत माता और महापुरुषों को सम्मान देने के बजाए अपमान करते हुए कचरे के ढेर में डाल दिया।
भाजपा के आदर्श मुखर्जी को भी नही छोड़ा
कहने को तो सरपंच सहित पूरी पंचायत बाड़ी के प्रतिनिधि लगभग भाजपा समर्थित है, ऊपर से शिक्षक सरपंच पति संजय मखोड़ को लगातार सोशल मीडिया पर भाजपा के लिए सक्रिय देखा जा सकता है। लेकिन जब बात भाजपा के सम्मान की आई तो भाजपा की नींव के पत्थर और आदर्श माने जाने वाले श्याम प्रसाद मुखर्जी, जिनकी तस्वीर पंचायत में लगी थी उसको भी कूड़े के ढेर में फेंक दीया।
पत्रकारो के कवरेज की जानकारी जब ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों को लगी तो कर्मचारियों को भेजकर कचरे में पड़ी तस्वीरों को उठवाया गया। लेकिन सवाल ये उठता है कि, सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े दावे करने वाले वास्तव में अपने आदर्श और संविधान के रचयिता को कितना मान-सम्मान देते हैं। संविधान के रचयिता भीम राव अम्बेटकर साहब की तस्वीर को भी कचरे के ढेर में फेका गया। जिस पर अब राजनीति गर्मा सकती है क्योंकि बाबा साहब को लेकर कई संगठन, पंचायत की इस हरकत के लिए सवाल खड़े कर सकते हैं।