माही की गूंज, बामनिया
पांच हजार के लगभग जनसंख्या वाली विकासखण्ड की सबसे बड़ी पंचायत बामनिया विगत तीन वर्षों से सहायक सचिव से भरोसे चल रही हैं। ग्रामवासियों द्वारा लगातार सचिव नियुक्ति हेतु अधिकारियों से मांग की जा रही थी, लेकिन ग्राम पंचायत के दबाव में या तो सचिव को भेजा नहीं जा रहा था या फिर नियुक्त किए गए सचिव को प्रभार नहीं दिया गया। जिससे परेशान सचिव ने अपना आदेश निरस्त करवा लिया। कुछ दिन पूर्व ही जिला पंचायत सीईओ संदीप शर्मा ने पास की ग्राम पंचायत मोईचारणी के सचिव लक्ष्मण मुणिया को बामनिया का अतिरिक्त प्रभार दिया था, लेकिन लगता है अधिकारियों के आदेश ग्राम पंचायत के सरपंच और सहायक सचिव के लिए कोई मायने नहीं रखते। सचिव की नियुक्ति हुए लगभग 20 दिन से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक सचिव लक्ष्मण मुणिया ग्राम पंचायत का प्रभार नहीं ले पाया है। जिसके पीछे सरपंच और सहायक सचिव की हठधर्मिता बताई जा रही हैं।
सचिव लक्ष्मण मुणिया ने बताया कि मैं विगत 15 दिनों से पंचायत का प्रभार लेने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन मुझे किसी न किसी प्रकार से टाल दिया जाता है या फिर आधा अधूरा रिकॉर्ड देकर मुझे प्रभार लेने का कहा जाता है। मैं बिना पूरे व्यवस्थित रिकॉर्ड के प्रभार नहीं लूंगा। तो मुझे एक दो दिन बाद आने कहा जाता है। वहीं सहायक सचिव भी पंचायत मे नहीं मिलता है। मैं पंचायत के चक्कर लगा-लगा कर परेशान हो गया हूं, इसलिए मेरे द्वारा अधिकारी को लिखित आवेदन पेश कर ग्राम पंचायत का प्रभार नहीं मिल पाने के संबंध में अगवत करा दिया हैं। वहीं ग्राम पंचायत सरपंच रामकन्या मखोड का कहना है कि ग्राम पंचायत बामनिया बड़ी पंचायत है और हमको प्रभारी सचिव नहीं चाहिए। अधिकारी किसी को भेज दें, लेकिन सचिव केवल बामनिया का प्रभार होना चाहिए। दो पंचायत के प्रभार वाला सचिव समय पर ग्राम पंचायत के कार्य नहीं देख पाएगा। इस संबंध में ग्राम पंचायत के माध्यम से अधिकारियों को एक की पंचायत के प्रभार वाले सचिव की नियुक्ति की मांग की हैं। पूरे मामले को देखा जाए तो सचिव लक्ष्मण मुणिया अधिकारी और ग्राम पंचातय बामनिया के बीच फुटवाल बन कर रह गया है। एक ओर अधिकारी सचिव पर प्रभार लेने का दबाब बना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत प्रभारी सचिव के नाम पर सचिव को प्रभार नहीं दे रहे हैं। पूरा मामला अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी किसी प्रकार का रास्ता नहीं निकाला जा रहा है। इससे साफ है अधिकारी अपने की दिए हुए आदेश का पालन करवाने में सक्षम नहीं है ।