अधूरे शौचालय का निकाल लिया भुगतान, सरपंच पति प्रधानमंत्री को दे रहा चुनोती
माही की गूंज, बामनिया
विकास के नाम पर भृम फैलाने वाली ग्राम पंचायत की जमीनी हकीकत बेहत ही भयवाह है, विकास खण्ड की बड़ी पंचायतों में से एक ओर शिक्षित वर्ग के मध्य बनी शिक्षित महिला सरपंच के कार्यो को देखकर कोई नही कह सकता कि, ग्राम के विकास के लिए कोई शिक्षित महिला सरपंच कार्य कर रही है। इतनी बड़ी पंचायत में विगत तीन से चार वर्षों में स्वच्छता अभियान के तहत बनने वाले शौचालय की स्थिति बद् से बद्तर है। ऐसा नही की हितग्राहियों ने शौचालय की देख-रेख नही की हो, पंचायत द्वारा बनाए गए सभी शौचालय बिना उपयोग के ही या तो अधूरे पड़े है या फिर धराशाई हो गए है। पंचायत में निचली बस्तियों में शौचालय के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है और जिम्मेदारो की मोन सहमति ऐसी की कोई देखने वाला ही नही है।
पंचायत के चितोड़ी फलिए और कजलिया फलिए में सड़क पर ही बने शौचालयों की दुर्दशा देखी जा सकती है। कजलिया के वाला पिता कांजी डामर के नाम से शौचालय स्वीकृत हुआ था लेकिन उसकी राशि वाला पिता कांजी डामर खाते में जमा नही करवाकर पंचायत के खाते में डलवा ली और कार्य ठेकेदार को दे दिया, अब ठेकेदार कार्य पूर्ण किए बिना ही गायब हो गया, ऐसा कोई एक मामला नही है ऐसे ही कजलिया फलिए के कई शौचालय अधूरे पड़े है। हितग्राहि का कहना है कि, ग्राम पंचायत से जब अधूरे निर्माण और पैसे भुगतान करने को कहा जाता है तो कहते है कि, तुम्हारा पैसा निकल चुका है अब कोई पैसा बाकी नही है। पंचायत के अनुसार यदि भुगतान कर दिया गया है तो, ऑफ-दी-रिकॉर्ड कार्य पूर्ण हो चुका है और हितग्राही का फोटो भी अपलोड किया गया होगा, पंचायत ने मटेरियल के फर्जी बिल लगाकर पैसे निकाल लिए। हितग्राही वाला डामर का कहना है कि, मेरे शौचालय की न तो छत भरी न ही सीट लगाई उल्टा ठेकेदार रेत और इंट तक मुझसे ले गया जिसका भी भुगतान नही किया जा रहा है।
देश के प्रधानमंत्री भले ही स्वच्छता अभियान के माध्यम से शौचालय बनवाकर गंदगी मूक्त करना चाहते हो लेकिन ऐसी भ्रष्ट पंचायत केवल इस अभियान के नाम पर अपना स्वार्थ सिद्ध कर स्वच्छता अभियान को पलीता लगा रही है।
शिक्षिक सरपंच पति खाद्यान्न पर्ची के लिए दे रहा प्रधानमंत्री को चुनोती
जिला कलेक्टर भले ही चुनी हुई महिला जनप्रतिनिधियों से उनके पति और करीबी रिश्तेदारो को दूर रखने का निर्देश हो लेकिन इसका कोई खास असर नही दिख रहा है, महिला चाहे शिक्षित हो या अनपढ़ महिला का पति ग्राम पंचायत की बागडोर अपने हाथ मे ही रखते है, भले ही फिर वो शासकीय शिक्षक ही क्यो नही हो। खाद्ययान पर्ची नही मिलने से परेशान पंचायत की कुछ महिलाएं जनसुनवाई कार्यक्रम में शिकायत लेकर पहुंची थी, जिस पर गूंज ने ग्रामीणों की समस्या को लेकर समाचार प्रकाशित किया था, समाचार की कटिंग सोशल मीडिया पर देखकर सरपंच के शिक्षक पति अपने आपको नही रोक पाए और पर्ची के लिए अपनी और से किए गए प्रयासों के बखान करते हुए प्रधानमंत्री तक मामला भेजने के बाद भी पर्ची नही बनने का दावा करने लग गए। शिक्षक महोदय अपने शिक्षक कार्य मे कम रुचि और सरपंच पत्नी के कार्यो में अधिक रुचि रखते हुए ग्राम पंचायत के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते है हुए कलेक्टर के आदेशों की खुल्लेआम धज्जियां उड़ाते हुए सामान्य रूप से दिख जाएंगे।