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माही की गूंज, खवासा।
पूरे देश में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम हेतु बनाए गए व्यापक नियमों का पालन किया जा रहा है। देश सदी की सबसे बड़ी त्रासदी से दो-दो हाथ कर रहा है। कई जगहों पर धर्म, जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर देशहित और मानवता को तरहीज दी जा रही है। संकट की इस घड़ी में गरीबों, जरूरतमंदों और असहाय की सहायता हेतु हजारों हाथ आगे आए हैं, लेकिन कुछ चिंताजनक तस्वीर भी देश के सामने आई है, जहां शासन के दिशा निर्देशों का मखौल उड़ाया गया है और लोगों ने स्वहित को प्राथमिकता दी है।
कुछ ऐसा ही मामला थांदला जनपद के मादलदा के बाद अब बेड़ावा की आदिम जाति सहकारी संस्था की दुकान में देखने को मिला। जहां न केवल शासन के सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के नियमों का माखौल उड़ाया गया, वरन गरीबों का हक छीनने का प्रयास भी किया गया। एक तरफ राज्य शासन ने निर्णय लिया कि, पात्रता रखने वाले हितग्राही को लॉकडाउन के चलते खाद्यान्न की कोई परेशानी ना हो इसके लिए उन्हें 3 माह का राशन एक मुश्त दे दिया जाए। वहीं जिसके पास पात्रता-पर्ची न हो उसे भी खाने के लिए खाद्यान्न गेहूं, चावल आदि निःशुल्क दिया जाए। राशन वितरण के समय सोशल डिस्टेंसिंग का अनिवार्यतः पालन किया जाए, लेकिन बेड़ावा सोसाइटी में भी सेल्समैन ने ऐसे किसी भी नियम का पालन नहीं किया। संस्था के जवाबदार ऐसे समय में भी भ्रष्टाचार की डुबकी लगाकर सिर्फ शराब पार्टियों का जश्न मना रहे है और अपने हाल में मदमस्त है। जिसके कारण संस्थाओ कि दुकानों पर अनियमिताएं देखने को सरेआम मिल रही है, जो किसी बड़े खतरे का आभास भी करवा रही है।
बेडावा में संस्था की दुकान पर भीड़ एकत्रित कर ली, यही नहीं पात्रता-पर्ची वालों के हस्ताक्षर करवा लिए और खाद्यान्न नहीं दिया। तथा बिना पात्रता-पर्ची वालों को खाद्यान्न नहीं आया यह कह कर गरीब एवं पीड़ित परिवार को रवाना करने का प्रयास किया। तो खाद्यान्न लेने आए परिवार ने खाद्यान्न नहीं मिलने पर खाद्यान्न की मांग की, तो गांव के कुछ युवक भी पीड़ित परिवार के पक्ष में बात कर उन्हें खाद्यान्न देने की मांग करते रहे। मामले को तूल पकड़ता देख सेल्समैन गुड्डु नायक ताला लगाकर रफ्पू चक्कर भी हो गया। मामले का पूरा वीडियो भी युवकों ने बनाकर उसे वायरल भी किया पर अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
गूंज असर पर अधिकारियो की कार्यवाही का जवाब नहीं
बता दे कि गूंज ने पिछले अंक में ‘मादलदा में दो माह का खाद्यान्न हुआ विलुप्त’ ‘संस्थाओं में खाद्यान्न वितरण करते समय नहीं हो रहा है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन’ शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद खाद्य आपूर्ति अधिकारी एवं प्रभारी तहसीलदार ललिता गडारिया जांच हेतु मादलदा पहुंचे। जांच में माही की गूंज के समाचार पर मोहर लगी और जांच में पाया कि, पूर्व में 4 माह तक खाद्यान्न वितरीत सेल्समैन ने नहीं किया। गूंज को ललीता गडारिया ने बताया की मौके पर ग्रामीणों द्वारा शिकायत सही पाई गई। पिछले 3-4 माह तक खाद्यान्न वितरित नहीं किया गया। जांच में खाद्य अधिकारी भी थे, जिन्होंने नोटीस जारी किया है कि, खाद्यान्न वितरित नहीं किया तो यह खाद्यान्न कहां गया? अगर खाद्यान्न में हेरा-फेरी पाई जाती है तो संबंधित सेल्समैन के विरूद्ध एफआईआर दर्ज होगी।
कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी एसके तोमर ने जानकारी दी कि, संबंधित अधिकारी मौके पर जांच हेतु गए थे। जांच में पाया कि लोगों को पूर्व में राशन नहीं मिला है। सेल्समैन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
सबसे बड़ी बात देखने में यह आई है कि, जिस संस्था कि दुकान का समाचार गूंज ने प्रकाशित किया। वहा जांच हेतु टीम पहुंची परन्तु मादलदा कि तर्ज पर ही बड़े रूप में ग्राम पंचायत बेडावा में भी कुछ ऐसा ही विवादित, खाद्यान्न की हेरा-फेरी एवं सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने का मामला सामने आया। लेकिन अधिकारी बेडावा में जांच करने नहीं पहुंचे। क्षेत्र में अधिकारियों की सांठगांठ एवं खाद्यान्न की हेरा-फेरी करने वाले इन भ्रष्टों की इतनी मोटी चमडी है कि जांचकर्ता अधिकारी मात्र जांच के नाम पर खानापूर्ति ही करते है। बेडावा में खाद्यान्न नहीं मिलने के कारण आक्रोशित परिवारों ने संयम रखा। जिसके कारण कोई बड़ी घटना घटित नही हुई। अगर खाद्यान्न वितरण में अभी भी संस्था के अधिकारी भ्रष्टाचार को बढावा देकर खाद्यान्न वितरण नहीं करेंगे तो ग्रामीणों का आक्रोश फूटना तय है।
लेकिन हम अभी भी यही कहेंगे कि, संकट की इस घड़ी में शासन के दिशा निर्देशों के साथ ही इंसानियत की भी आवश्यकता है। अगर हमें कोरोना संक्रमण जैसी महामारी को हराना है तो निश्चित रूप से एकजुट होने के साथ ही मानवीय मूल्यों का भी पालन करना होगा। तभी हमारी विजय संभव है।