8 वे रोड़ में जाने वाली भूमि व निर्माणाधीन मकानों का नहीं मिल रहा लागत मूल्य का भी मुआवजा
मामला: बस स्टॉप पाइंट में जाने वाली तोलसिंह कटारा की भूमि में बने मकानों की लागत मूल्य से मुआवजा नहीं मिलने का
माही की गूंज, खवासा
भारत माला परियोजना के अंतर्गत बन रहे दिल्ली-मुंबई 8 वे रोड में जाने वाली भूमि के साथ-साथ भूमि पर बने आशियानो का भी लागत मूल्य अनुसार मुआवजा नहीं मिल रहा है, जिसको लेकर आज भी सड़क निर्माण के ठेकेदारों व पीड़ित के साथ विवाद की स्थिति बन रही है तो, वहीं प्रशासन से भी शासकिय गाइडलाईन अनुसार ही लागत मूल्य से मुआवजा देने की गुहार लगाई जा रही है।
एसडीएम से लघु काश्तकार ने लागत मूल्य से मुआवजा दिलाने की मांग की
थांदला ब्लॉक के ग्राम तलावड़ा निवासी तोलसिंह पिता हकरिया कटारा लघु काश्तकार होकर कोटवाल के पद पर पदस्थ हैं। तोलसिंह कटारा की भूमि तलावडा पटवारी हल्का नंबर 53 सर्वे नंबर 1129/5 की करीब 2 बीघा जमीन उक्त एक्सप्रेस-वे मार्ग में ग्राम तलावडा में बन रहे बस स्टॉप पॉइंट में जा रही है। उक्त भूमि पर लघु काश्तकार तोलसिंह कटारा ने अपने आशियाने व कृषि कार्य एवं मवेशी हेतु 4 मकान, नलकूप, गोबर गैस प्लांट आदि बना रखे थे, जिनका अनुमानित लागत मूल्य 30 लाख के करीब है परंतु 19 लाख रुपए ही मुआवजे के रूप में मंजूर होना बता रहे हैं, जिसे तोलसिंह कटारा ने लेने से इनकार कर दिया है।
10 बिंदुओं पर की मांग, किसान पर है 12 लाख का कर्ज
वही तोलसिंह कटारा ने अपनी वास्तविक मांग के साथ एसडीएम थांदला को 14 दिसंबर को लागत मूल्य से मुआवजा दिलवाने की मांग की है। मांग पत्र में 10 बिंदुओं पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कर आवेदन दिया है, जिसमें उल्लेख किया कि, रहने का एक पक्का मकान 26 बाय 41 कुल 1 हज़ार 66 वर्ग फ़ीट में दो मंजिला आरसीसी मकान बना है जिसकी अनुमानित लागत मूल्य 16 लाख 8 हजार रुपए, जिसके पीछे बाउंड्री वॉल एवं एक चद्दर पोश मकान 500 वर्ग फ़ीट जिसकी लागत 3 लाख 90 हजार, साइड में पानी का टैंक, शौचालय, बाथरूम, 143 वर्ग फीट में पक्का निर्माण लागत 1 लाख 50 हजार। पशु सामग्री व कृषि उपकरण सामग्री रखने हेतु चद्दर का 256 वर्ग फीट में बना मकान लागत 2 लाख 10 हजार। मवेशी के लिए कवेलू का 240 वर्ग फीट में बना मकान लागत 18 हजार रुपए। ट्यूबवेल खनन 500 फीट गहरा लागत 60 हजार रुपए। माही नदी से 3 इंची पाइपलाइन 6 हजार फिट लागत 3 लाख 60 हज़ार रुपए, पाइपलाइन खुदाई व फिटिंग खर्च एक लाख 50 हजार रुपए। 30 वृक्ष जो उखाड़ दिए गए 30 हजार रुपए। गोबर गैस प्लांट लागत 25 हजार रुपए, जिनकी अनुमानित कुल लागत 29 लाख 13 हजार रुपए हैं। उक्त निर्माण का इंजीनियर से सर्वे करवाकर शासन के प्रावधान अनुसार दोगुनी राशि दिलाने की मांग की है।
आवेदन में उल्लेख कर किसान ने बताया कि, उस पर बाजार का 12 लाख रुपए का कर्ज है जो किस्तों में चुका रहा है। वहीं आवेदन में तोलसिंह ने बताया कि, उनके पास पियत की 4 बीघा जमीन थी जिसमें 2 बीघा जमीन 8 वें में चली गई है, अब सिर्फ दो बीघा जमीन बची है जिसमें वह उसका व परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ रहेगा।
तोलसिंह कटारा ने माही की गूंज को बताया, मुझे पूर्व में 2 बीघा जमीन का मुआवजा 2 लाख 60 हजार रुपए दिया गया था, जो कि गांव में पियत की कोई भी भूमि 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति बीघा में नहीं मिलती है, हमारे साथ छलावा कर हमें पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। जमीन की तरह अगर हमें हमारे उक्त निर्माण का मुआवजा भी शासन के प्रावधान अनुसार लागत मूल्य का दोगुना नहीं दिया गया तो, हम किसी भी स्थिति में हमारे मकान को नहीं तोड़ने देंगे। अगर ठेकेदार द्वारा जबरदस्ती की जाती है तो उस स्थिति में हमारे परिवार के सदस्य मकान के अंदर रहेंगे और फिर बुलडोजर घुमाकर हमारे आशियाने को तोड़ते हैं तो, हमें मौत के घाट उतारकर ही वह तोड़ेंगे, वरना हम किसी भी स्थिति में हमारा जब तक वास्तविक लागत मूल्य का मुआवजा नहीं मिलता तब तक हम नहीं तोड़ने देंगे, कहते हुए प्रशासन से मांग की है कि, वह मामले को गंभीरता से लेकर मुआवजा दिलवाया जाए।