माही की गूंज खवासा।
एक तरफ जहां बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार कई तरह की योजनाओं के साथ ही बच्चों की सहूलियत के लिए बजट आवंटित करती है। तो बच्चों को पढ़ने के साथ ही भरपेट भोजन मिले इसी उद्देश्य को सार्थक करते हुए मध्यान भोजन योजना शुरू की गई। जिससे आर्थिक व कमजोर वर्ग के बच्चों को स्कूल में पढ़ने के साथ समय पर भोजन भी मिल सके। लेकिन सरकार उद्देश्य व योजना का मजाक ही धरातल पर उड़ाया जा रहा है। इसकी बानगी देखना हो तो आप थांदला विकासखंड के कन्या संकुल खवासा के अंतर्गत आने वाले धूमडीया ग्राम पंचायत के रावत फलिया प्राथमिक स्कूल में एक बानगी के रूप में देख सकते हैं। जानकारीनुसार रावत फलिया प्राथमिक स्कूल मे टोटल बच्चे 32 है, तो प्रतिदिन उपस्थिति 28 से 27 बच्चों की रहती है।
यहां पदस्थ अतिथि शिक्षक ने जानकारी देते हुए बताया, स्कूल भी काफी जर्जर हो चुका है। एक ही कमरे में 1 से 5 वी तक के बच्चों को बिठाया जा रहा है। भवन काफी जर्जर हो चुका था। जिसकी छत डिसमेंटल करके गांव के लोगों ने ही इस पर सीमेंट के चद्दर लगाकर फिर से इस भवन में स्कूल का संचालन किया जा रहा है। एक ही कक्ष है, जहां बच्चों को बिठाया जा रहा है। लिखित में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वही आज दिन तक यहां कोई भी नया भवन नहीं आया है। यहां जिले से भी कोई अधिकारी कभी निरीक्षण करने नहीं आए। जिसके कारण हमारी समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां दो शिक्षक पदस्थ हैं, एक तो गुरुजी मे और एक अतिथि शिक्षक के रूप में बच्चों को सेवाएं दे रहे हैं। छात्राएं जिसमें पायल रावत कक्षा पांचवी, दीपिका डामर कक्षा चैथी, कलावती रावत कक्षा चैथी आदि बच्चों ने बताया कि, यहां पर मध्यान भोजन भी समय पर नहीं मिलता है। ना ही मूलभूत सुविधा इस स्कूल में हमें मिल पा रही है, हम अपने घर से बर्तन लेकर आते है, उसी मे मध्यान भोजन खाते हैं। हमें प्रतिदिन उड़द की दाल और रोटी दी जाती है। हमने कभी हरी सब्जी यहां देखी ही नहीं, हमें मंगलवार को खीर पूड़ी नहीं खिलाई जाती है। हमने सिर्फ 15 अगस्त को ही खीर पूड़ी खाई थी। बताते हैं कि, स्कूल में समूह का संचालन तेजाजी बचत स्वयं सहायता समूह द्वारा मध्यान भोजन दिया जाता है। जिसमें सचिव संस्था प्रभारी है, एक अध्यक्ष है, उनके द्वारा ही समूह का संचालन किया जाता है।
खाना बनाने वाली रसोयन सतुरी रावत ने बताया कि, मुझे समूह द्वारा प्रतिदिन भोजन के लिए आटा व दाल ही दिया जाता है तो वही बनाकर मैं बच्चों को खिलाती हूँ, मुझे जो समूह देता है, उसी आधार पर मैं बच्चों को भोजन दे देती हूं इसमें मेरी क्या गलती।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि, यहां बच्चे घर से ही थाली लाकर मध्यान भोजन करते हैं। समूह द्वारा नियमित मध्यान भोजन मीनू अनुसार नहीं दिया जा रहा है। जिसे कहीं ना कहीं बच्चों में शिक्षा के प्रति मन टूटता नजर आ रहा है। तो वहीं बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक भी समय पर नहीं पहुंचते हैं। जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में बना हुआ है। ग्रामीणो ने मांग की है कि, यहां नए सिरे से एक भवन आना चाहिए ताकि बच्चे उस भवन में पढ़ सके। वही एक तरफ सरकार बच्चों के भविष्य को देखते हुए प्रतिवर्ष बजट करोड़ों रुपए का आवंटित करती है, लेकिन निचले स्तर के अधिकारियों के साथ ही वरिष्ठ व जिले के अधिकारियों की मिली भगत से ग्रामीण अंचलों में आने वाली राशि किस तरह से बच्चों के नाम पर बंदर बाट की जाती है, इसका उदाहरण आप हमारे धूमडिया ग्राम पंचायत के रावत फलिया में देख सकते हैं।
बताते हैं कि, जिला पंचायत सदस्य भी इसी ग्राम पंचायत वार्ड नंबर 9 से है, लेकिन उसकी ही ग्राम पंचायत में अगर इस तरह से स्कूल के यह हाल है तो अन्य क्षेत्र में किस तरह से स्कूल का संचालन किया जा रहा होगा यह अपने आप में एक प्रश्न है।
माही की गूंज प्रतिनिधि खुद वस्तु स्थिति देखने के लिए स्कूल पर पहुंचा तो वहां कई तरह की अनियमिता स्कूल में मिली माही की गूंज के पास स्कूल का वीडियो सुरक्षित है।
मामले में कन्या संकुल के जन शिक्षक प्रभु कटारा से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि, अब समूह के खाते में राशि आई है, बच्चों के लिए बर्तन खरीदना है। वहां बर्तन नहीं थे यह सही है। भवन को लेकर उन्होंने बताया कि, हमने वरिष्ठ अधिकारियों को कह दिया है, नए सिरे से भवन स्वीकृत होगा, अभी तो पुरानी जगह ही संचालन किया जा रहा है। रही बात शौचालय की तो नए सिरे से जो भवन बनेगा उसमें शौचालय भी बनाया जाएगा।
बच्चों को मध्यान भोजन किस तरह से दिया जा रहा है- ग्रामीणों की जुबान
बच्चे घर से बर्तन लाकर अपने-अपने बस्ते से निकाल कर बता रहे हैं।
