माही की गूंज, संजय भटेवरा
झाबुआ। 2021 का विदा होना और 2022 का आगमन आम जनजीवन में अनिश्चितता... भय... व कोरोना का खात्मा होने जैसी नवीन ऊर्जा के संचार व एक अदृश्य शत्रु पर विजय का उत्साह और उमंग के साथ प्रारंभ हुआ था। यही नहीं कोरोना वायरस महामारी में दिवंगत हुए अपने स्वजनो के विरह पर पर्दा डालकर वायरस पर विजय की नई संभावनाओं के साथ प्रारंभ हुआ था। पूरे वर्ष भर यह उत्साह कायम रहा और आम जीवन कोरोना से पूर्व की स्थिति में लौटने लगा था। लेकिन दिसंबर 22 का अंतिम सप्ताह आते-आते एक बार फिर कोरोना की आहट ने आम जनता के मन-मस्तिष्क में कोरोना काल के दुख भरे दिन... लॉकडाउन में बजता हुआ पुलिसया सायरन... दौड़ती एंबुलेंस और अपने बिछड़े परिजनों की याद दिला दी और आने वाले वाले कल को लेकर सर्तकता का माहौल याद किया। अब ये तो भविष्य के गर्भ में है की आने वाला 2023 क्या लेकर आने वाला है...? कोरोना का खौफ या कोरोना से बमुश्किल मुक्त होती आम जनता के लिए उन्नति की नई रफ्तार...
कैसा रहा 2022
2022 का वर्ष भारत के लिए अच्छा वर्ष कहा जा सकता है। भारत ने इस वर्ष अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मनाया और इस अमृत काल के वर्ष में भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि में उल्लेखनीय सुधार हुआ। भारत को आज पूरी दुनिया ध्यान से सुन रही है। यही नहीं भारत को पहली बार जी-20 की अध्यक्षता करने का गौरव मिला। जहां तक भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का सवाल है, इस वर्ष दोनों ने ही सफलता प्राप्त की। इस वर्ष 7 राज्यों में चुनाव हुए 5 में भाजपा और एक में कांग्रेस तथा एक में आम आदमी पार्टी ने सत्ता प्राप्त की। गुजरात की महाविजय ने प्रधानमंत्री मोदी का कद निश्चित रूप से विराट कर दिया। वहीं हिमाचल प्रदेश में मोदी का जादू नहीं चला। यहां तक की दिल्ली के स्थानीय चुनाव में भी दिल्ली की जनता ने भाजपा और मोदी के चेहरे को नकारते हुए आम आदमी पार्टी पर अपना भरोसा जताया। समाप्त होते वर्ष में आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय दल होने का गौरव प्राप्त कर लिया। जो कि, आम आदमी पार्टी के लिए अल्प समय में हासिल की गई एक बड़ी उपलब्धि है। 2022 कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए भी नई आशा की किरण लेकर आने वाला साबित हुआ। भारत जोड़ो यात्रा से न केवल राहुल गांधी की छवि बदली है, वरन कांग्रेस पार्टी को भी अच्छा समर्थन प्राप्त हुआ है। इस वर्ष ही कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला।
जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है, पूरे वर्ष मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा चलती रही लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बदला गया। अनिश्चिता के बीच पंचायती निर्वाचन चुनाव की घोषणा की गई। लेकिन पिछड़ा वर्ग गलत आरक्षण के चलते कोर्ट द्वारा नाम वापसी व चुनाव आवंटन के बाद आखरी वक्त पर निरस्त कर दिए गए और राज्य शासन की भारी किरकिरी हुई। पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के पश्चात हुए चुनाव में एक और भाजपा ने दावा किया कि, उसके समर्थित प्रत्याशी ही सबसे ज्यादा चुनाव जीते, कुछ इसी प्रकार का दावा कांग्रेस द्वारा भी किया गया। बहरहाल ये चुनाव गैर दलीय आधार पर हुए थे, लेकिन उसके पश्चात दलीय आधार पर हुए नगरीय निकाय के चुनाव में जीत भले भाजपा की हुई हो लेकिन उसके प्रतिनिधियों की संख्या गत वर्ष के चुनाव के मुकाबले कम ही हुई। ग्वालियर महापौर का चुनाव पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ। जबकि इस बार पार्टी के साथ कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्रसिंह तोमर एक साथ थे। वर्ष समाप्ति पर नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाएं भी खूब चली, कई मंत्री विवादों में भी रहे। उद्योगमंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के लिए एक मंत्री ने अशिष्ट शब्दों का प्रयोग तक किया और बाद में माफी मांगी गई। वही वर्ष के अंतिम पखवाड़े में प्रदेष के उद्योगमंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के गृह क्षेत्र में ही एक युवती ने भोपाल से आकर रिसोर्ट में पहचान पत्र मागने पर भडक जाती है और मंत्री जी के खिलाफ अपषब्दो का प्रयोग करती है। जिसका विडीयो वायरल होने के साथ ही मंत्री जी के साथ भाजपा पर भी कथनी व करनी में फर्क होने के आरोप लगे। तो वही मंत्री जी हाईकोर्ट में उक्त मामले में मिडीया पर कवरेज करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए पहुचे है, जिसके बाद क्षेत्र की आम जनता की नजरो में उद्योगमंत्री बैकफुट पर आ गए है, जिसका नुकसान कही मंत्रीजी को 2023 में भुगतना न पड जाए।
झाबुआ जिले की बात की जाए तो यहां राजनीति में भाजपा जिलाध्यक्ष की कई आरोपों के बाद रवानगी की गई। पंचायती चुनाव में जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के लिए एक बार फिर सपना ही रह गई। गुटबाजी में फंसी भाजपा के अरमानों पर गुटबाजी ने ही पानी फेर दिया। प्रशासनिक दृष्टि से भी काफी फेरबदल हुए और कोविड कलेक्टर के रूप में पदस्थ हुए सोमेश मिश्रा को भी विवादों के कारण हटाया गया। कांग्रेस की राजनीति इस वर्ष भी दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया के इर्द-गिर्द ही रही और आज भी वे जिला कांग्रेस के सर्वमान्य नेता बने हुए है।ं अलीराजपुर के कांग्रेस नेता महेश पटेल के साथ हुए विवादों के बाद वे चर्चा में आए, लेकिन अन्ततः कांतिलाल भूरिया का ही पलड़ा भारी रहा और महेश पटेल को माफी मांगना पड़ी। अलीराजपुर की जोबट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने सुलोचना रावत को अपने पक्ष में लेकर उपचुनाव में अपना खाता अवश्य खोल लिया। यहां तक की सुलोचना रावत को मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं भी खूब चली लेकिन अचानक उनको ब्रेन हेमरेज होने व अस्पताल में भर्ती होने के बाद चर्चाओं पर विराम लग गया। इस वर्ष सामाजिक संगठन जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) की चर्चा भी राजनीतिक गलियारों में खूब हुई। यही नहीं थांदला जनपद के खवासा क्षेत्र की जिला पंचायत सीट पर भी युवा लड़की रेखा निनामा ने कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं के परिजनों को धूल चटाते हुए एक बड़ी जीत दर्ज करके तमाम राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। यही नहीं आदिवासियों के मसीहा समाजसेवी व पूर्व सांसद स्वर्गीय मामा बालेश्वर दयाल (मामाजी) की पुण्यतिथि पर अब तक कई राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए आते रहे है जिसमें कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी ,जनता दल आदि शामिल रहे है। लेकिन इस वर्ष इन दलों से कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा लेकिन जयस संरक्षण और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने पहुंचकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया। हालांकि मामा जी के समर्थक केवल मामा जी के अनुयाई है और वे बगैर किसी औपचारिकता के केवल मामा जी को ही शीश झुकाने कड़कती ठंड में आते हैं और रात भर भजन-कीर्तन कर सुबह मामा जी को नारियल, अगरबत्ती चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते हैं और वापस अपने घर की ओर प्रस्थान कर देते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में जयस तीसरी शक्ति के रूप में उभर सके इसके लिए जयस संरक्षण हीरालाल अलावा लगातार सक्रिय है।
बहरहाल अलविदा 2022 और सुस्वागतम 2023... नववर्ष आप सभी के लिए मंगलमयी हो... माही की गूंज परिवार की ओर से भी आप सभी को नववर्ष 2023 की हार्दिक मंगलकामनाएं... आप सभी पाठकगण व स्नेहीजनो का आशीर्वाद माही की गूंज पर इसी प्रकार बना रहे, इसी उम्मीद के साथ आपके हाथों में 2022 का अंतिम अंक नए जोश और उमंग के साथ 2023 में मिलेंगे.... अलविदा 2022