माही की गूंज, थांदला।
ग्रामीण क्षेत्र से अध्ययन करने के लिए आने वाली छात्राओं में आत्मरक्षा की क्षमता इस एवं आत्मविश्वास आवश्यक है। प्रतिदिन घर से महाविद्यालय आने में उन्हें यातायाात संबधी कठिनाईयों के अतिरिक्त संकीर्ण मानसिकता वाले लोगो की ओछी हरकतों का भी सामाना करना पड़ता है। ऐसे लोगो को मुंह तोड़ जवाब देने का साहस आत्मविश्वास से ही आता है। मनचलो को सबक सिखाने के लिए आत्मरक्षा के गुर सीखना भी आवश्यक है। प्रत्येक छात्रा को घर लौट कर अपनी माता, बडी बहन अथवा परिवार की वरिष्ठ सदस्य को अपनी दिनचर्या साझा करना चाहिए। दिनभर में यदि कुछ अनचाहा, अनपेक्षित व्यवहार होता है तो यह बात पूरी स्पष्टता से घर में बताना चाहिए। क्योंकि बात छुपाने या तीव्र व त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त न करने पर ऐसे लोगो का होसला बढ़ता है और किसी दिन बडी दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। उक्त विचार महाविद्यालय में महिला आत्मरक्षा कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस थाना थांदला प्रभारी श्रीमती कौशल्या चौहान ने छात्राओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जीसी मेहता ने बताया कि, महाविद्यालय में छात्राओं को समय-समय पर जुड़ो कराते के साथ ही मानसिक रूप से सशक्त करने के प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है।
विशेष अतिथि के रूप म.प्र. जन अभियान परिषद विकास खण्ड समन्वयक अधिकारी श्रीमती वर्षा डोडियार ने छात्राओं को समझाईश देते हुए कहा, शैक्षणिक संस्था में गुरूजन तथा घर पर माता-पिता निकटतम मार्गदर्शक एवं सहयोगी है, उनके सम्पर्क में रहें और सजग रहें।
कराते में गोल्ड मेडलिस्ट सुश्री निधि त्रिपाठी ने छात्राओं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से सशक्त रहने हेतु मार्गदर्शन दिया। स्वास्थ्य विभाग में लेब टेक्निशियन श्रीमती चंदा भूरिया ने भी छात्राओं को संबोधित किया। कार्यशाला में महाविद्यालय के प्रो. एसएस मुवेल, डॉ. बीएल डावर, डॉ.मीना मावी, प्रो. एच डुडवे, प्रो. मनोहर सोलंकी, दिनेश मोरिया, समस्त अतिथि विद्वान एवं कार्यालयीन स्टाफ सहित बड़ी संख्या मे छात्राओं ने सहभागिता की। कार्यशाला का संचालन महाविद्यालय की महिला उत्पीड़न प्रकोष्ट संयोजक डॉ. शुभदा भौसले ने तथा वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. पीटर डोडियार ने आभार व्यक्त किया।