जनवरी से स्वास्थ्य सेवाओं पर लागू एस्मा कानून , दवाई के लिए परेशान हुए थे लोगो ने दर्ज करवाई थी रिपोर्ट
माही की गूंज, पेटलावद।
17 अप्रैल को एक मेडिकल पर हुए विवाद के बाद नगर के लगभग सभी मेडिकल को एक दिन के लिए बन्द कर दिए गए थे। जो 17 अप्रैल की दोपहर से बन्द हो कर 18 अप्रैल को मेडिकल एसोसिएशन द्वारा ज्ञापन देने के बाद मेडिकल खोले गए थे। इस दौरान कई मरीज दवाइयों के लिए नगर के मेडिकलो पर भटकते रहे, गनीमत रही कि, इस दौरान कोई मरीज दवाओं के अभाव में मरा नही वरना स्थिति प्रशासन और पुलिस के लिए परेशानी खड़ी कर सकती थी। बन्द मेडिकलो के कारण दवाई नही मिलने से तीन पीड़ित लोगों ने थाना पेटलावद में आवेंदन देकर शिकायत दर्ज करवाई थी। मामले के 15 दिन से अधिक बीत जाने बाद भी पुलिस की और से कोई कार्रवाई नही की गई।
थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह गड़रिया ने बताया कि, इस संबंध में मेडिकल ऑफिसर पेटलावद को पत्र भेज कर नियमो की जानकारी ली जा रही जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी, फिलहाल कोई जबाब नही आया है। वही स्वास्थ्य सेवाओं पर एस्मा कानून को लेकर थाना प्रभारी द्वारा कोई जबाब नही दिया जा रहा।
वही बीएमओ एमएल चोपड़ा ने बताया कि, पुलिस द्वारा संपर्क करने पर उन्हे जिले से जानकारी लेने को कहा गया है पत्र जिले में भेजा गया है।
वही जिला स्वास्थ्य अधिकारी जयपाल ठाकुर का कहना है कि, ऐसा कोई पत्र फिलहाल नही मिला है अगर ऐसी कोई डाक आई हो तो में दिखवा लेता हुं।
जनवरी से स्वास्थ्य सेवाआ एस्मा कानून, बिना प्रशासन की जानकारी के सामूहिक बन्द नही की जा सकती स्वास्थ्य सेवाएं
कोरोना काल की स्थिति से निपटने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है। जिसके तहत स्वास्थ्य सुविधा को देखते हुए जनवरी में एस्मा कानुन लगाया था, जिसकी अवधि 06 माह तक रहती है। इस कानून के तहत पहले से अतिआवश्यक वस्तुओं में शामिल दवाईयां इस कानून के बाद बिना प्रशासन की जानकारी और अनुमति के मेडिकल स्टोर सहित कोई भी स्वास्थ्य सुविधाएं एक साथ बन्द नही की जा सकती। लेकिन एक मेडिकल पर हुए मामूली विवाद के बाद मेडिकल एसोशिएशन के आह्वान पर सारे मेडिकल सहित प्राइवेट क्लिनिक वेध-अवैध सभी बन्द किये गए थे।
मामले को दबाने का प्रयास, किसी की जान जा सकती थी तो बिगड़ सकती थी नगर की फिजा
रिपोर्टकर्ताओ का कहना है कि, आवेंदन देने के बाद से पुलिस ने इस मामले में कोई सुनवाई अब तक नही की है न ही कोई बयान दर्ज हुए है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिस प्रकार से एक-दूसरे से जानकारी लेने-देने की बात कर रही है और अधिकारी जो बयान दे रहे ह,ै उससे तो यही लगता है कि, मामले को दबाया जा रहा है। पुलिस कह रही पत्र भेजा है, बीएमओ बोल रहे पत्र जिले में भेजने को कहा गया और जिला अधिकारी कह रहे है पत्र अभी नही मिला। सामुहिक मेडिकल बन्द के आह्वान के बाद मरीज़ों के परिजन नगर में मेडिकल-मेडिकल भटकते रहे। ऐसे में किसी की मरीज की दवाइयों के अभाव में जान चली जाती तो नगर की फिजा बिगड़ सकती थी, या यूं कहें कि, ऐसी कोई अनहोनी होने पर ही प्रशासन और पुलिस तुरंत कार्रवाई करती। विवाद के बाद पुलिस ने तुरंत दोनों पक्षो पर तो कायमी कर दी लेकिन मरीज़ों की जान से खिलवाड़ करने वालो पर कार्रवाई के लिए जानकारी जुटाने का हवाला देकर मामले को दबाया जा रहा है।
दवाइयों के लिए परेशान मरीज के द्वारा 17 अप्रैल को सामुहिक मेडिकल बन्द होने की तस्वीरे समय के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी।
सरकार का जनवरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लगाए गए एस्मा कानून का राजपत्र