माही की गूंज, थांदला।
मुख्यमंत्री ऋण माफी योजना में भ्रष्टाचार के मामले में जिला सहकारी बैंक थांदला व क्षेत्र की कई सहकारी संस्थाओं में ऋण माफी के नाम पर अपने चहेतों को उपकृत कर भ्रष्टाचार के कृतिमान स्थापित करने वाली सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबंधक पारसिंग पिता धीरजी मुनिया को अपराध क्रमांक 542/21 की धारा 419, 420, 409, 465, 468, 471 आईपीसी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधन की धारा 13 तथा राशि बढ़ाने की धारा 120 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। विदित हो कि सहकारिता को चारागाह समझने वाले भ्रष्ट अधिकारियों ने शासन की उक्त योजना को पलीता लगा कर किसानों के झूठे ऋण माफी कर राशि आहरण का मामला पूर्व से थांदला थाने में दर्ज किया गया था। जिसमें साख संस्था थांदला के तत्कालीन प्रबंधक पवन दीक्षित पूर्व से गिरफ्तार होकर जेल में निरूद्ध है। इनके अलावा गुलाब सिंह पिता वरसीग निनामा, कमल सिंह पिता बुचा भूरिया निवासी मोजीपाड़ा को भी स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस मनोहर गवली ने बताया, दो अन्य कर्मचारी संजय नागर व कैलाश भट्ट फरार बताए जा रहे हैं।
ये है मामला
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता में आने के पूर्व किसानों से 2 लाख रुपए के ऋण माफी का वादा किया था। उसी के मुताबिक ऋण माफी योजना में भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया था। झाबुआ जिले में सहकारी के जनक कहे जाने वाले कद्दावर आदिवासी नेता स्व. दिलीप सिंह भूरिया व लक्ष्मी नारायण पाठक ने वनवासियों की दशा व दिशा सुधारने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी, जिसके चलते इन्हें राज्य शासन ने सम्मानित भी किया था। किंतु भ्रष्ट नौकरशाही ने इस क्षेत्र के आंदोलन को सहकारिता से बदलकर सरकारी कर दिया है। वह गरीबों का शोषण कर अपने घर भरे हैं। विदित हो कि जिले में सहकारी संस्था भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। पूर्व में भी कई सरकारी कर्मचारियों पर लोकायुक्त की गाज गिर चुकी है। अब देखना है कि मामा जी गुंडों पर तो बुलडोजर चला रहे हैं लेकिन शासकीय पैसा हड़पने वाले पर क्या कार्रवाई करते हैं।