अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद न्यायालय में स्टे की अपील भी हुई खारिज, फिर भी नही हटा अतिक्रमण
माही की गूंज, पेटलावद।
तहसील न्यायालय पर राजनीतिक रसूक इस कदर हावी है कि, न्याय की लड़ाई लड़ने वाला अपनी लड़ाई भूल कर सिस्टम से कैसे लड़ा जाए इस जगद्दोजद में लग जाता है। मामला पेटलावद विकास खण्ड की ग्राम पंचायत बनी का है, ननु मुणिया के घर के सामने एक व्यक्ति ने अतिक्रमण कर रास्ता बंद कर दिया, जिसकी शिकायत ननु के द्वारा तहसील न्यायालय में जहॉ दो साल से अधिक समय तक लड़ने के बाद ननु के हक में फैसला आया और अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी हुए, लेकिन उसका पालन नही किया गया। वही अतिक्रमण हटाने के नाम पर लगातार ननु को गुमराह किया गया। अतिक्रमणकर्ता द्वारा न्यायालय को गुमराह कर पट्टा होने का हवाला देकर प्रथम श्रेणी न्यायालय में स्टे की मांग की, जहॉ पट्टा जारी करने वाले पूर्व सरपंच और सचिव सहित वर्तमान सरपंच ,सचिव द्वारा किसी प्रकार का पट्टा जारी नही करने और रेकॉर्ड में अतिक्रमणकर्ता के नाम से रिकार्ड मे पट्टा उल्लेख नही होने के चलते पंचायत ने शपथपत्र दिया। जिसके बाद न्यायालय से स्टे के लिए की गई अपील को न्यायालय ने खारिज कर दिया।
न्यायालय के आदेश के साथ तहसीलदार से अतिक्रमण हटाने की मांग
बनी निवासी ननु मुणिया ने बताया कि, पेटलावद न्यायालय से विपक्षी का स्टे खारिज़ होने के बाद मेरे द्वारा अनुविभागीय अधिकारी और नायाब तहसीलदार ठप्पा झकनावदा के तहसीलदार महोदय को पूर्व में तहसील न्यायालय से जारी आदेश ओर प्रथम श्रेणी न्यायालय से जारी आदेश के साथ अतिक्रमण हटाने की मांग की, जिस पर ग्राम पंचायत के माध्यम और तहसील न्यायालय के माध्यम से अतिक्रमणकर्ता को नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने को कहा गया, जिसके बाद भी अतिक्रमण आज तक मौके से नही हटाया गया। विपक्षी बार-बार न्यायालय के निर्णय की जानकारी छुपा कर जिला अधिकारीयो को गुमराह कर किसी न किसी प्रकार से अतिक्रमण बचाने में कामयाब हो रहा है। ननु मुनिया ने बताया कि, न्यायालय के माध्यम से विगत 4 वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ने के बाद भी उसे न्याय नही मिल रहा जिससे में और मेरा परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं ।
विवाद की स्थिति होती है निर्मित
न्याय के लिए विगत चार वर्षों से न्यायालय के चक्कर लगा रहा ननु परेशान हो चुका है। विकास खण्ड में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमे तहसील न्यायालय द्वारा मामले के निराकरण के बाद भी जमीनी सुधार या निराकरण नही किया गया। जिस कारण न्यायालय में विवाद खत्म होने के बाद भी आपसी विवाद मौके पर लगातार जारी रहता है, जो कभी भी बड़े विवाद के रूप में सामने आता है। जिसके बाद अधिकारी और पुलिस प्रशासन सक्रिय होकर ताबड़तोड़ निराकरण मौके पर करता है, लेकिन इस सब के बीच मे कई लोगो को बड़े विवाद का निशाना बनाना पड़ता है ।
इस सम्बध में अनुविभागीय अधिकारी शिशिर गेमावत ने जल्द से जल्द निराकरण करने की बात कही है।
तहसील न्यायालय ने अतिक्रमणकर्ता के स्टे प्रकरण को किया खारिज़।
ननु के मकान के ठिक आगे किया गया अवैध अतिक्रमण।